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चुनाव अभियान रैली की शुरूआत में ही

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Nov 19, 2011, 12:00 am IST
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राज्यों से

दिंनाक: 19 Nov 2011 16:13:55


इलाहाबाद/ हरिमंगल

सामने आई कांग्रेसी कुसंस्कृति

उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए लगभग एक वर्ष पूर्व सोनिया कांग्रेस के महासचिव राहुल गांधी ने “उ.प्र.मिशन- 2012” का नारा दिया तो अत्याचार, भ्रष्टाचार और माफिया राज से जूझ रहे आम आदमी के मन में उम्मीद जगी कि कांग्रेसी “युवराज” शायद उ.प्र.को बदहाली से खुशहाली की ओर ले जाने के लिए कुछ खास करेंगे। लेकिन “मिशन- 2012” की उद्घाटन रैली में राहुल समेत कांग्रेस के केन्द्रीय मंत्रियों से लेकर प्रदेश के नेताओं तक ने जो चरित्र दिखाया वह यह साबित करने के लिए पर्याप्त है कि सत्ता पाने के लिए कांग्रेसी सारे नैतिक मूल्यों एवं सिद्धांतों को दरकिनार कर गुंडागर्दी, चाटुकारिता, अमर्यादित टिप्पणियों के सहारे प्रदेश में सत्ता की बागडोर थामने का सपना देख रहे हैं। चुनाव अभियान रैली की शुरुआत में ही कांग्रेसी कुसंस्कृति सामने आ गई।

“मिशन-2012” की उद्घाटन रैली देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं.जवाहर लाल नेहरू के संसदीय क्षेत्र फूलपुर में उनके जन्मदिन (14 नवम्बर) पर करने का निर्णय होते ही फूलपुर के आसपास के सारे सभास्थलों का निरीक्षण और फिर उनका सुरक्षा कारणों से अनुपयुक्त बताने का सिलसिला कई दिनों तक चला। आखिर में फूलपुर के नाम से प्रचारित रैली उसकी सीमा के बाहर झूंसी कस्बे के एक ऐसे मैदान में करने का निश्चय किया गया जो अन्य सभास्थलों की तुलना में काफी छोटा था। दरअसल सुरक्षा कारण तो एक बहाना था, वास्तविकता यह थी कि आयोजकों को पता था कि इस रैली के लिए अपेक्षित भीड़ जुटा पाना आसान काम नहीं है, क्योंकि एक तो पार्टी का समाप्त प्राय: जनाधार और दूसरी ओर रीता बहुगुणा जोशी और प्रमोद तिवारी के धड़ों में बंटे कांग्रेसी एक-दूसरे को पछाड़ने के लिए जरूर खेल खेलेंगे। आयोजकों का अनुमान सही भी निकला। यदि सभास्थल पर कुर्सियां न लगाई गईं होतीं तो यह छोटा-सा मैदान भी आधा खाली रह जाता।

रैली की तैयारी में जुटे कांग्रेसियों ने शहर से लेकर सभास्थल तक राहुल गांधी की चाटुकारिता में लगाये गये बैनरों, पोस्टरों पर कुछ भी लिखने की छूट दे रखी थी। तभी तो इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष अभय अवस्थी ने अपने बैनरों में यहां तक लिख दिया “सोनिया बीमार, सरकार लाचार, राहुल स्वीकार।” रैली में आये तमाम बड़े नेताओं, जिन्हें मंच से बोलने का मौका मिला, ने राहुल को कांग्रेस का भविष्य बताते हुए उन्हें भावी प्रधानमंत्री के रूप में प्रस्तुत किया। इस चाटुकारिता में फिल्म अभिनेता व सांसद राज बब्बर से लेकर केन्द्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा तक शामिल रहे। वरिष्ठ कांग्रेसी नेता श्रीप्रकाश जायसवाल, सलमान खुर्शीद, राजीव शुक्ला आदि ने भी अपने भाषण में इंदिरा, राजीव और सोनिया का नाम तक नहीं लिया। इनका पूरा भाषण राहुल गांधी की वंदना तक समर्पित रहा।

राहुल की चापलूसी के चक्कर में केन्द्रीय मंत्री जतिन प्रसाद, आर.पी.एन.सिंह, प्रदेश विधानमंडल दल के नेता प्रमोद तिवारी तथा विधान परिषद सदस्य नसीब पठान ने अन्य कार्यकत्र्ताओं के साथ मिलकर रैली स्थल पर एक ऐसा अलोकतांत्रिक, अमर्यादित कार्य किया जिससे न केवल मानवीय मूल्य और नैतिकता शर्मसार हुई अपितु जिसने भी उस दृश्य को देखा उसे कांग्रेसी कुसंस्कृति का पुन: स्मरण हो आया। इलाहाबाद केन्द्रीय विश्वविद्यालय में छात्र संघ चुनाव कराने को लेकर आंदोलित छात्रों ने “हैलीपैड” से सभास्थल की ओर जा रहे राहुल गांधी को काले झण्डे दिखा दिए। सारी सुरक्षा व्यवस्था को दरकिनार कर अपनी जान की बाजी लगाकर विरोध दर्ज वाले छात्रों पर पुलिस, एसपीजी के साथ-साथ कांग्रेसी भी पिटाई में जुट गये। प्रमोद तिवारी तो अपना आपा खो बैठे थे। वे जूतों और हाथों से पिटाई करते हुए गालियां बक  रहे थे। लोकतांत्रिक परम्परा में काला झंडा दिखाना कभी भी इतना बड़ा अपराध नहीं रहा है कि पार्टी के दिग्गज नेता किसी विरोधी को मार-मारकर बेदम कर दें, वह भी तब जबकि कानून के रक्षक पुलिस वाले और राहुल के रक्षक एसपीजी वाले वहां मौजूद हों। इस घटना से हुई किरकिरी के बचाव में अब कांग्रेसी नेता छात्रों को “आतंकवादी” समझ राहुल की सुरक्षा में प्रतिरोध स्वरूप हुई प्रतिक्रिया का बहाना बना रहे हैं। सवाल उठता है कि जिस नेता को एसपीजी जैसी सुरक्षा मिली है, उसकी सुरक्षा में इन नेताओं को आगे आने की क्या जरूरत है? फिलहाल पिटाई से घायल अभिषेक यादव की तरफ से दी गई तहरीर पर केन्द्रीय मंत्री जतिन प्रसाद, आर.पी.एन.सिंह, प्रदेश विधानमंडल दल के नेता प्रमोद तिवारी, विधान परिषद सदस्य नसीब पठान सहित कुछ अज्ञात लोगों के विरुद्ध आईपीसी की धारा 308, 147, 323, 504 सहित 7 आपराधिक संहिताओं में मामला दर्ज कर लिया गया है।

कांग्रेसियों की चाटुकारिता का नमूना “सोनिया बीमार, सरकार लाचार, राहुल स्वीकार”

राहुल की चाटुकारिता में लगे कांग्रेसियों के कृत्यों की झलक सभा से पहले ही देखने के बाद राहुल की टिप्पणियों ने भी आम लोगों को अंदर तक झकझोर दिया। पार्टी की ओर से लगे बैनर, पोस्टरों में लिखा गया था कि “जवाब हम देंगे” लेकिन अपने आधे घंटे के भाषण में राहुल ने कोई जवाब नहीं दिया बल्कि तमाम ऐसे सवाल खड़े किए जिनका जवाब देश और प्रदेश के कांग्रेसी नेता अभी तक खोज रहे हैं। राहुल गांधी की जोशीली टिप्पणियों पर खूब तालियां बज रहीं थीं लेकिन जब राहुल गांधी ने कहा कि पूरा उ.प्र.भ्रष्टाचार में डूबा है तो तालियां बजाने वाले हाथ रुक गये। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के आरोप में मंत्री जेल में हैं। अब उ.प्र. के कांग्रेसी नहीं समझ पा रहे हैं कि कौन मंत्री- राजा और कलमाड़ी या फिर उ.प्र. के मंत्री। महंगाई का ठीकरा केन्द्र की सरकार पर फूट रहा है, प्रदेश का किसान रात-रात भर लाइन में लगने के बाद एक बोरी खाद तक नहीं ले पा रहा है, लेकिन इन पर राहुल कुछ नहीं बोले। आम जनता के मन में उठ रहा सवाल कि आखिर महंगाई पर राहुल को गुस्सा क्यों नहीं आता, एक बार फिर अनुत्तरित रह गया है।

राहुल ने मतदाताओं को कांग्रेस से जोड़ने के लिए उनके अन्तर्मन और स्वाभिमान पर गहरी चोट की। पहले तो उन्होंने कहा कि यूपी के लोग महाराष्ट्र, पंजाब, दिल्ली आदि प्रदेशों में जाकर वहां की तरक्की कर रहे हैं। लेकिन इसके बाद उन्होंने लोगों से सोच बदलने की अपील करते हुए सवाल किया कि “कब तक महाराष्ट्र जाकर भीख मांगोगे? कब तक पंजाब जाकर मजदूरी करोगे?” राहुल की इस टिप्पणी का चौतरफा विरोध हो रहा है और कांग्रेसी प्रवक्ता बचाव के लिए तरह-तरह की कहानी गढ़ रहे हैं। पर मतदाताओं को भिखारी बताने वाली कांग्रेस और उनके नेताओं के पास उत्तर नहीं है कि इसके लिए जिम्मेदार कौन है? द

उत्तराखण्ड/ मनोज गहतोड़ी

उत्तराखण्ड में लोकायुक्त

भ्रष्टाचार के विरुद्ध खण्डूरी का ठोस कदम

दोबारा सत्ता संभालते समय ही उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री मे.जन. (से.नि.) भुवन चन्द्र खण्डूरी ने स्पष्ट कर दिया था कि वह भ्रष्टाचार के खात्मे के लिए हर कदम उठायेंगे, जिससे पूरा प्रशासनिक तंत्र भ्रष्टाचार से मुक्त हो। भ्रष्टाचार मुक्त राज्य के लिए संकल्पबद्ध मुख्यमंत्री की इस मुहिम में अब उत्तराखण्ड के सामाजिक संगठन ही नहीं, संत समाज भी कदम से कदम मिलाकर खड़ा हो गया है।

मुख्यमंत्री मेजर जनरल (से.नि.) भुवन चन्द्र खण्डूरी ने आम जनता की इच्छा जानकर भारत के इतिहास मे उत्तराखण्ड का नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित करा दिया है। उत्तराखण्ड लोकायुक्त विधेयक- 2011 में सरकार ने भ्रष्टाचार के अपराधों की जांच, अपराधियों पर कार्रवाई, लोक हित में शिकायतें दूर करने और शिकायतकर्ताओ को सुरक्षा देने के लिए स्वतन्त्र प्राधिकरण की स्थापना की बात मजबूती और विश्वास के साथ रखी है। लोकायुक्त विधेयक को पारित कराकर मुख्यमंत्री खण्डूरी ने साबित कर दिया है कि वह भ्रष्टाचार को कतई बर्दास्त नहीं करेंगे। एक प्रश्न के उत्तर में मुख्यमंत्री भुवन चन्द्र खण्डूरी ने पाञ्चजन्य से कहा कि सरकार की इच्छा भ्रष्टाचार को पूरी तरह से समाप्त करने की है और इसी के चलते सशक्त लोकायुक्त विधेयक लाया गया है। 17 अध्यायों के 35 उपवन्धों में सशक्त लोकायुक्त संस्था का गठन कर उसकी शक्तियां, जवाबदेही, भ्रष्टाचार के मामलों की जांच और कार्रवाई, विनियम बनाने का अधिकार, भ्रष्ट लोकसेवक के खिलाफ दण्ड, वित्तीय व्यवस्था, भ्रष्ट लोकसेवकों से क्षतिपूर्ति की बसूली और संपत्ति का जब्तीकरण व अधिग्रहण, लोकसेवकों की परिसम्पत्ति के व्यौरे जैसी महत्वपूर्ण व्यवस्था विधेयक में है। उत्पीड़न के लिए शिकायत करने पर शिकायतकर्ता पर कार्रवाई के साथ लोकसेवक की पुनर्नियुक्ति पर प्रतिबंध और अनुबंधों में पारदर्शिता के साथ ही अवमानना के लिए दंडित करने का अधिकार लोकायुक्त के पास होगा।

मुख्यमंत्री द्वारा किये जा रहे कार्यों की प्रशंसा अब कांग्रेसी नेता भी कर रहे हैंै। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री एवं वयोवृद्ध कांग्रेसी नेता श्री नारायण दत्त तिवारी ने श्री खण्डूरी के कार्यों की खुलकर प्रशंसा की है। उत्तराखण्ड की जनता में मुख्यमंत्री खण्डूरी के प्रति बढ़ते विश्वास को देखकर राज्य के विपक्षी दल चारों खाने चित्त हो गये हैं।

यही नहीं, हरिद्वार और ऋष्ािकेश का संत समाज भी भ्रष्टाचार को पूरी तरह से समाप्त करने के मामले में मुख्यमंत्री खण्डूरी के साथ दिखायी दे रहा है। ऋष्ािकेश के प्रसिद्ध संत एवं परमार्थ आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द मुनि, राजीव लोचन आश्रम के संत स्वामी हरिग्रीवाचार्य, वेदान्त दर्शन के विद्धान संत डा. रामेश्वर दास, भारत माता मंदिर, हरिद्वार के संस्थापक निवर्तमान शंकराचार्य स्वामी सत्यमित्रानन्द गिरि, शंकराचार्य राजराजेश्वराश्रम सहित अनेक संतों ने श्री खण्डूरी की मुक्तकंठ से प्रशंसा की है।

मेरठ/अजय मित्तल

गोहत्या के विरुद्ध हस्तिनापुर से

महाभारत का शंखनाद

कौरवों के अधर्म से पीड़ित जिस धरती ने महाभारत के युद्ध को जन्म दिया, गत 6 नवम्बर को उसी हस्तिनापुर से पशुवध के विरुद्ध एक नये महाभारत का शंखनाद हुआ। आर्यिका ज्ञानमती माता जी, ऐलाचार्य वसुनंदी महाराज, भाजपा नेता राजनाथ सिंह, भारतीय जैन मिलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरेश जैन “रितुराज”, केन्द्रीय ग्रामीण विकास राज्यमंत्री प्रदीप जैन “आदित्य” की उपस्थिति में आयोजित अहिंसा महारैली में एकत्र विशाल जनसमुदाय ने जता दिया कि यदि गोहत्या और गोमांस निर्यात पर प्रतिबंध नहीं लगा तो शीघ्र ही एक प्रचण्ड जनांदोलन होगा। भारतीय जैन मिलन और अहिंसक समाज द्वारा आयोजित इस विराट रैली ने एक बार पुन: दिखा दिया कि देश के पशुधन को बचाने की व्यग्रता में जनता अब अपना धैर्य खोने के कगार पर है। इससे पहले 26 अप्रैल से 12 मई के बीच बड़ौत में जैन संत मैत्री प्रभ सागर जी महाराज के 17 दिवसीय अनशन और उसी दौरान उनके समर्थन में मेरठ में हुई विशाल जनसभा भी यह तथ्य रेखांकित कर चुकी है कि मांस निर्यातक माफियाओं के पैसों तले दबी केन्द्र व राज्य सरकारें या तो भारत के पशुधन को बचाने की नीति शीघ्र घोषित करें वरना अगले चुनाव में यह भी एक बहुत प्रभावी मुद्दा बनेगा।

भाजपा नेता राजनाथ सिंह ने अहिंसा रैली को संबोधित करते हुए कहा कि सत्ता में पुन: आते ही उनकी पार्टी पहले ही दिन गोहत्या व मांस निर्यात पर प्रतिबंध का कानून बनाएगी। उन्होंने कहा कि राजग सरकार में कृषि मंत्री रहते हुए उन्होंने ऐसा विधेयक  तैयार किया था, पर विपक्षी दलों के अनियंत्रित विरोध के चलते लोकसभा अध्यक्ष  मनोहर जोशी ने उन्हें विधेयक प्रस्तुत करने की इजाजत नहीं दी। उन्होंने कहा कि मांस को कृषि उत्पाद मानते हुए उसके निर्यात पर जो छूट भारत सरकार दे रही है, वह तुरंत बंद की जानी चाहिए। उल्लेखनीय है कि नरसिंह राव सरकार ने 1 जनवरी, 1995 से मांस को कृषि उत्पाद का अंग मानकर उसके निर्यात पर सहायता (सब्सिडी) शुरू की थी। इसके पूर्व 1969 में इंदिरा गांधी सरकार ने गांधी जन्म शताब्दी वर्ष के दौरान भारत से विदेशों को पशु मांस (जिसमें गोमांस भी शामिल है) के निर्यात का निर्णय किया था।

इस अवसर पर भारतीय जैन मिलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरेश जैन “रितुराज” ने कहा कि प्रदेश में पशुओं की संख्या 1998 के मुकाबले 2003 में (केवल पांच वर्षों के दौरान) 23.73 प्रतिशत घटी है। इसके बाद के आंकड़े जारी ही नहीं किये गये हैं। अकेले मेरठ में ही 8 हजार से ज्यादा पशु प्रतिदिन, अर्थात प्रतिवर्ष लगभग 30 लाख पशु कट रहे हैं। इस शहर की अपनी खपत मात्र 350 पशु प्रतिदिन की है, शेष 7650 पशुओं का मांस निर्यात हो रहा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश मांस निर्यात की मंडी बन गया है। यहां से 64 देशों को 42243.43 मीट्रिक टन मांस निर्यात किया जाता है। मांस की आपूर्ति के लिए दुधारू पशुओं को भी काटा जाता है, फलत: दूध की भारी कमी हो गयी है। पहले 20 हजार टन मिल्क पाउडर विदेश से आयात किया जाता था, अब 50 हजार टन आयात करना पड़ रहा है। इसके बावजूद दूध के भाव बढ़कर 35 से 40 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच चुके हैं।

उल्लेखनीय है कि भारत में मांस उत्पादन, जो 2001-02 तक 44,25,000 टन था, 2009-10 में बढ़कर 65,24,185 टन हो गया। इसके विपरीत दुग्ध उत्पादन 2006-07 में 11.40 करोड़ लीटर प्रतिदिन से घटकर 2010-11 में 5.39 करोड़ लीटर प्रतिदिन रह गया है। इस प्रकार प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता आधे से भी कम रह गयी है। फलत: दूध के दाम 2006-07 के 16-18 रुपये प्रति लीटर से बढ़कर आज 35-40 रु. प्रति लीटर भी है।

आर्यिका ज्ञानमती माता जी ने अपने प्रवचन में आह्वान किया कि कत्लखाने ले जाये जा रहे पशु भरे ट्रकों को रोक लें, इन बेजुबानों की जान बचायें। उन्होंने यहां तक कहा कि पुरुषार्थ दिखाते हुए कत्लखानों में घुसकर भी उन्हें बचायें। ऐलाचार्य वसुनंदी महाराज ने कहा कि आतंकवाद नक्सलवाद और उग्रवाद बढ़ने का कारण मांसाहार है।द

झलकियां

थ् हस्तिनापुर की अहिंसा महारैली में मेरठ, बड़ौत, बागपत, बुलंदशहर, सहारनपुर, बिजनौर, मुजफ्फरनगर, शामली जैसे पड़ोसी जिलों के अलावा हरियाणा, राजस्थान आदि राज्यों से भी बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे। यांत्रिक पशुवधशालाओं व मांस निर्यात के लिए अवैध पशु कटान के विरोध में बड़ी संख्या में टोपी लगाये महिलाएं भी दिख रही थीं।

थ् महारैली में शामिल हुए केन्द्रीय राज्यमंत्री प्रदीप जैन “आदित्य” जब बोलने खड़े हुए तो पंडाल लगभग खाली हो गया था। यह उस रोष का नतीजा था जो मांस निर्यात संबंधी सरकारी नीति के कारण लोगों में है। श्री जैन ने कहा कि वे मांस निर्यात रोकने के लिए प्रधानमंत्री से बात करेंगे।

थ् दोनों प्रमुख जैन संतों-आर्यिका ज्ञानमती माताजी और ऐलाचार्य वसुनंदी महाराज ने अपने प्रवचन के दौरान भाजपा नेता राजनाथ सिंह को न सिर्फ आशीर्वाद दिया बल्कि उन्हें मांस निर्यात रोकने का जिम्मा भी सौंपा। उन्होंने राजनाथ सिंह से अपील की कि वे इस काम में नेतृत्व प्रदान करें, सारा अहिंसक समाज उनके साथ है।

थ् कार्यक्रम स्थल पर मांस निर्यात तथा पशु वध के खिलाफ एक विशाल हस्ताक्षर पट रखा गया था। लगभग 35 हजार से ज्यादा लोगों ने इस पर हस्ताक्षर किये। महामहिम राष्ट्रपति के नाम हजारों पोस्टकार्ड भी लिखकर “बाक्स” में डाले गये।

थ् रैली के पंडाल में बकरीद मुबारक के बैनर भी लगे थे, जिन पर लिखा था, “इस साल बलिदान नहीं, एक बकरी दान करें।” मंच से बताया गया कि बकरी दान से अल्लाह खुश होकर सेहत व सुकून बख्शेगा।

केरल/प्रदीप कृष्णन

जेल से खतरनाक खेल

मोबाइल और सेटेलाइट फोन से  सीमा पार संपर्क साधते हैं केरल के कैदी

अन्य राज्यों की तुलना में अपेक्षाकृत शांत एवं शिक्षा के व्यापक प्रचार-प्रसार वाला राज्य केरल भी धीरे-धीरे आतंकवादियों की चपेट में आता जा रहा है। देश की चेतना को झकझोर देने वाले प्राय: सभी बम धमाकों के सूत्र कहीं न कहीं केरल से भी जुड़े पाये गए हैं। बंगलौर, अमदाबाद और दिल्ली में हुए बम धमाकों की जांच में यह साफ तौर पर पता चला कि इन धमाकों को अंजाम देने वालों को प्रशिक्षण केरल में दिया गया था।

अब इस प्रकार की खबरें आ रही हैं कि वैश्विक इस्लामी आतंकवाद का केरल की जेलों में भी जबरदस्त प्रभाव है। यह बात सुनी-सुनाई या उड़ाई हुई नहीं है बल्कि केरल के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कारागार) ने अपनी रपट में इस बात का खुलासा किया है। राज्य सरकार को सौंपी गई अपनी विस्तृत रपट में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कारागार) एलेक्जेंडर जैकब ने जो कुछ भी लिखा उससे स्पष्ट है केरल की जेलों में बहुत कुछ ऐसा हो रहा है जो देश के लिए खतरनाक है। जैकब ने कहा है कि राज्य सरकार को अविलम्ब ऐसे कारगर उपाय करने होंगे जिससे आतंकवादियों के पैर केरल की जेलों में न जम सकें।

केरल की विभिन्न जेलों में बंद नामी गिरामी अपराधियों के पास से बरामद 120 मोबाइल फोन की “काल डिटेल्स” व उनसे हुई बातचीत का विश्लेषण करने पर यह तथ्य सामने आया है कि इनमें से कुछ अपराधियों का सम्पर्क-संबंध देश की सीमा से बाहर भी हैं, खासकर पाकिस्तान और अफगानिस्तान से। यहां तक कि कुछ अपराधियों के पास सेटेलाइट फोन होने या सेटेलाइट फोन से बात करने की भी रपट है। सबसे चौंकाने वाली बात यही सामने आयी है कि जेल में बंद अपराधियों के पास “मोबाइल टावर्स” की परिधि से बाहर रहने वाले सेटेलाइट फोन कहां से आए और अत्यधिक महंगी दरों पर उन्होंने देश की सीमा से बाहर फोन क्यों किए? विभिन्न जेल परिसरों में लगाए गए उच्च तकनीकी के यंत्रों व “जैमर” से जेल प्रशासन ने जेल में बंद अपराधियों के पास से 120 मोबाइल फोन बरामद किए व उनसे की गई “काल्स” का रिकार्ड निकाला। इनमें से 29 मोबाइल फोन से की गई लगभग 3500 “काल्स” का विश्लेषण बहुत चौंकाने वाला रहा। पकड़े गए कुछ मोबाइल फोन की “काल हिस्ट्री” में 18 अंकों व शब्दों वाले नम्बर भी पाए गए जो साधारणतया सेटेलाइट फोन के होते हैं। विश्लेषकों का मानना है कि लाखों रुपए की कीमत वाले सेटेलाइट फोन आम अपराधियों के पास नहीं, प्राय: आतंकवादियों के पास ही पाए जाते हैं, जिसे वे बड़ी आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देते समय प्रयोग करते हैं। इससे भी अधिक चौंकाने वाला तथ्य यह है कि कुछ मोबाइल फोन से 5 अंकों वाले नम्बर “डायल” किए गए जो पाकिस्तान, अफगानिस्तान व सोमालिया में “डायवर्ट” किए गए थे। 4 अंकों के नम्बर से इंटरनेट फोन का भी इस्तेमाल किया गया। विश्लेषकों के अनुसार इस उच्च व नई तकनीकी से काल करके उसे बम धमाकों के समय “रिमोट कंट्रोल” की तरह प्रयोग किया जा सकता है। इन मोबाइल फोन पर अधिकांशत: 6 या 8 अंकों वाले नम्बरों से फोन आए हैं जो भारत के नहीं है, क्योंकि यहां 10 अंकों के मोबाइल नम्बर हैं।

हालांकि जेलों में बंद अपराधियों से बरामद किए गए मोबाइल फोनों का विश्लेषण जारी है, पर जितना भी विवरण अब तक सामने आया है वह देश की सुरक्षा की दृष्टि से बेहद चौंकाने वाला व खतरनाक है। इसीलिए केरल की जांच एजेंसियों ने राष्ट्रीय जांच एजेंसियों-एनआईए, आईबी एवं रॉ से सहयोग मांगा है, ताकि जब्त किए गए फोनों से की गई बातचीत का पूरा ब्योरा मिल सके। एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) ने भी केरल की 52 जेलों में बंद 36,000 कैदियों का पूरा विवरण जुटाने को कहा है। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कारागार) एलेक्जेंडर जैकब ने अपनी रपट में कहा है कि जेल प्रशासन द्वारा लगातार निगरानी या मोबाइल जैमर तकनीकी बहुत प्रभावी ओर कारगर सिद्ध नहीं हो रही है। रपट में कहा गया है कि जेलों में मोबाइल फोन न पहुंचने पाएं इसके लिए अतिरिक्त जांच के साथ-साथ निरन्तर छापेमारी की जानी चाहिए, देश की सुरक्षा के लिए यह बहुत आवश्यक है।

पर केरल की राज्य सरकार ऐसा करेगी, इसमें संदेह है, क्योंकि वर्तमान संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ)हो या पूर्ववर्ती वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ)-दोनों मोर्चों के लिए मुस्लिम और ईसाई वोटों का गणित देश की सुरक्षा से ज्यादा महत्वपूर्ण है।द

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Operation Kalanemi: ऑपरेशन कालनेमि सिर्फ उत्तराखंड तक ही क्‍यों, छद्म वेषधारी कहीं भी हों पकड़े जाने चाहिए

अशोक गजपति गोवा और अशीम घोष हरियाणा के नये राज्यपाल नियुक्त, कविंदर बने लद्दाख के उपराज्यपाल 

वाराणसी: सभी सार्वजनिक वाहनों पर ड्राइवर को लिखना होगा अपना नाम और मोबाइल नंबर

Sawan 2025: इस बार सावन कितने दिनों का? 30 या 31 नहीं बल्कि 29 दिनों का है , जानिए क्या है वजह

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