राज्यों से
|
गिराई सदन की गरिमा
मंगल पाण्डेय
26 अगस्त से शुरू हुआ झारखंड विधानसभा का मानसून सत्र 3 सितंबर को समाप्त हो गया। कुल पांच दिनों के इस छोटे से सत्र में करीब दर्जन भर विधेयक पास कर दिये गये। लेकिन सदस्यों के कारनामों ने देश के संसदीय इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ दिया है। राज्य की तीन करोड़ जनता मुंह ताकती रही और उनके भाग्य विधाताओं ने पूरा सत्र हंगामे में ही बिता दिया। किसी भी विधेयक पर सार्थक चर्चा नहीं हो सकी। मुंडा सरकार की लौह अयस्क निर्यात नीति का विरोध करते हुए विपक्षी सदस्यों ने सदन की मार्यादा को ताक पर रख दिया। सदन में एक- दूसरे को देख लेने व दिखा देने तक की बात कही गयी।
पहले दो दिन तक हंगामें के बाद लौह अयस्क निर्यात के मुद्दे पर सरकार को घेरने के लिए विपक्ष ने मौन व्रत का हथियार अपनाया। पूरा विपक्ष मुं#ंह पर पट्टी लगाए बैठा रहा, किसी ने जुबान तक नहीं खोली। नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र सिंह, (झाविमो विधायक दल के नेता) सहित लगभग सभी विपक्षी विधायक मौन धारण किये व्वेलव् में बैठे रहे और सदन की कार्यवाही चलती रही, विधेयक भी पास होते रहे। घंटे- दो घंटे नहीं बल्कि पूरे दो दिनों तक सदन का यही नजारा था। व्वेलव् में मौन धारण किये विपक्षी सदस्यों को स्पीकर ने न तो व्मार्शल से आउटव् कराया और न ही गतिरोध दूर करने की कोशिश की।
इस मुद्दे पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और वर्तमान में चतरा से लोकसभा सदस्य इंदर सिंह नामधारी से पूछा गया तो उनका कहना था कि व्सदन की एकांगी कार्यवाही लोकतंत्र के ठीक नहीं है। सदन के नेता और सभापति को इसे गंभीरता से लेना चाहिए था। विपक्ष की अनुपस्थिति में, चाहे वह लोकसभा हो, या राज्यसभा या विधानसभा, सदन नहीं चल सकता।व् वहीं इस पर वरिष्ठ पत्रकार एवं करीब एक दशक से झारखंड विधानसभा पर लिखने वाले चंदन मिश्रा का कहना है कि इस मानसून सत्र में जो कुछ हुआ वह संसदीय परंपरा के साथ मजाक था। सदन सिर्फ सत्ता पक्ष ही चलाएगा तो मंत्रिपरिषद और विधानसभा में क्या अंतर रहेगा ! पूरा विपक्ष अपनी कुर्सी छोड़ व्वेलव् में बैठा रहे और सदन की कार्यवाही भी चलती रहे, यह संसदीय परंपरा का उपहास है। जबकि विधानसभा अध्यक्ष सीपी सिंह का कहना है कि विपक्ष का सिर्फ हठधर्मिता पर उतारू रहना राज्य और जनता के हित में नहीं है। सदन के नेता एवं मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि उन्हें बेहद दु:ख है कि विपक्ष के असहयोगात्मक रवैए के कारण राज्य की जनता के हितों से जुड़े कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा तक नहीं हो सकी।
। । ।
मंजर की खोज में गुजरात पुलिस
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) और आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) द्वारा खाक छानने के बाद अब गुजरात पुलिस की सूरत अपराध शखा की टीम ने मंजर इमाम की गिरफ्तारी के लिए रांची में डेरा डाल दिया है। मुंबई और अमदाबाद विस्फोट सहित कुल 15 मामलों में वांछित इंडियन मुजाहिदीन के आतंकी मंजर इमाम के रांची के बरियातू स्थित आवास पर छापेमारी की गयी, लेकिन वह पुलिस के हाथ नहीं लगा। मंजर के गिरफ्तारी वारंट लेकर रांची पहुंची गुजरात पुलिस फिलहाल उसके परिजनों से पूछताछ कर रही है। इधर रांची के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक साकेत कुमार सिंह का कहना है कि रांची पुलिस हर संभव मदद कर रही है। गुजरात में गिरफ्तार आतंकी दानिश से पूछताछ के आधार पर गुजरात पुलिस मंजर की तलाश कर रही है, लेकिन मंजर का बच निकलना एनआइए व एटीएस समेत विभिन्न जांच एजेंसियों के लिए चुनौती बनता जा रहा है। एजं#ेसियों के मुताबिक मंजर इमाम पाकिस्तान में बैठे अतंकी रियाज भटकल व इकबाल भटकल के साथ लगातार संपर्क में है। मंजर की गिरफ्तारी से मुंबई समेत कई स्थानों पर विस्फोटों की गुत्थी सुलझ सकती है।
जनजातीय भाषाओं को मिला द्वितीय राजभाषा का दर्जा
राज्य सरकार ने समाप्त प्राय: हो रही क्षेत्रीय भाषाओं को संजीवनी देने की कोशिश की है। मुंडा सरकार ने 11 जनजातीय भाषाओं को द्वितीय राजभाषा का दर्जा दे दिया है। राज्य मंत्रिमंडल के प्रस्ताव को विधानसभा के मानसून सत्र में पारित करा लिया गया है। इनमें बंगला, उड़िया, संथाली, मुंडारी, हो, ख़डिया, कुडुख (उरांव), कुरमाली, खोरठ, नागपुरी व पंचपरगनिया भाषा शामिल हैं। राज्य सरकार के इस कदम की सर्वत्र सराहना हो रही है। बंगलाभाषी व उड़ियाभाषियों ने शोभायात्रा निकालकर खुशिया मनार्इं। वहीं पं. बंगाल की मुख्यमंत्री सुश्री ममता बनर्जी एवं उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने भी झारखण्ड के मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा को बधाई दी है।
टिप्पणियाँ