पाठकीय
July 15, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

पाठकीय

by
Sep 5, 2010, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 05 Sep 2010 00:00:00

हिन्दी के साथ अन्याय क्यों?पिछले दिनों समाचार पत्रों में एक समाचार छपा कि “गुजरात उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने सर्वोच्च न्यायालय पहुंची हिन्दी।” इस समाचार से ही स्पष्ट है कि अभी “हिन्दी” को न्याय नहीं मिला है और वह न्यायालयों के चक्कर काटने को मजबूर है। ध्यान रहे कि अभी भी अधिकांश उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय की भाषा अंग्रेजी ही है। यह भी समझ से परे और हास्यास्पद बात लगती है कि हिन्दी भारत की राजभाषा तो है किन्तु राष्ट्रभाषा नहीं। आखिर ऐसा क्यों? जो भाषा राजभाषा हो सकती है वह राष्ट्रभाषा क्यों नहीं? अक्सर यह कहकर भाषा विवाद खड़ा किया जाता है कि हिन्दी संपूर्ण भारत में नहीं बोली जाती इसलिए यह राष्ट्रभाषा नहीं हो सकती। ऐसे लोगों से यह पूछा जाना चाहिए कि बाघ पूरे देश में नहीं मिलता फिर वह हमारा राष्ट्रीय पशु कैसे है? इसी प्रकार राष्ट्रीय पक्षी मोर भी सब जगह नहीं मिलता और राष्ट्रीय पुष्प कमल भी संपूर्ण देश में नहीं खिलता। इसका अर्थ यह तो नहीं कि देशवासियों ने इन्हें अपने राष्ट्रीय प्रतीक मानने से इनकार कर दिया है। भारत में विभिन्न क्षेत्रीय भाषाएं व बोलियां हैं, अपने-अपने क्षेत्र में वे प्रचलन में हैं व उनका पूरा सम्मान है। लेकिन देश की अभिव्यक्ति की भाषा अंग्रेजी बना दी जाए यह असहनीय है। हिन्दी बोलने एवं समझने वाले देश के प्रत्येक कोने में मिल जायेंगे, चाहे नागालैण्ड हो या केरल, कश्मीर हो या तमिलनाडु। हिन्दी संपूर्ण भारत की संपर्क भाषा भी है। हिन्दुस्थान में 46 प्रतिशत लोग इसे फरर्#ाटे से बोलते हैं और समझने वालों की संख्या तो और भी अधिक है। यह स्थिति तो तब है जब हमने एक अभारतीय भाषा अंग्रेजी को सिर आंखों पर बैठा रखा है। उसको सीखने और बोलने के लिए प्रोत्साहन दिया जाता है और हिन्दी की लगातार उपेक्षा की जा रही है। अगर हिन्दी के लिए इसका आधा भी प्रचार-प्रसार किया जाये तो वे दिन दूर नहीं जब हिन्दी हमारे राष्ट्र के माथे की बिन्दी होगी। भारत की भी अपनी राष्ट्रभाषा होगी।-कुमुद कुमारए-5, आदर्श नगर, नजीबाबाद, जनपद-बिजनौर (उ.प्र.)नरेन्द्र भाई व कांग्रेस (आई)श्री देवेन्द्र स्वरूप का लेख “चक्रव्यूह टूटा अभिमन्यु जीता” पढ़ा। गुजरात में 2002 से अब तक कांग्रेस को विभिन्न चुनावों में हार का मुंह देखना पड़ा है। गुजराती समाज को विभाजित करने के लिए जातिवाद, दलितवाद, चर्चवाद, मुस्लिम वाद आदि सभी प्रकार के हथियार कांग्रेस चला चुकी है, लेकिन कोई अस्त्र काम नहीं आया। बल्कि बड़े-बड़े उद्योगपति भी गुजरात को सुशासन के कारण सुरक्षित मानते हैं। नरेन्द्र मोदी को ये लोग प्रधानमंत्री तक बनते देखना चाहते हैं। यही कांग्रेस की परेशानी है।-वीरेन्द्र सिंह जरयाल28ए, शिवपुरी विस्तार, कृष्ण नगर(दिल्ली)द सेकुलर नेताओं को न देश के विकास से मतलब है और न ही उनका विश्वास लोकतंत्र पर है। उनका एकमात्र उद्देश्य है किसी भी तरह सत्ता पर काबिज रहना। इसी कारण सभी सेकुलर राजनीतिक दलों के नेता नरेन्द्र मोदी को अपने निशाने पर रख रहे हैं। कांग्रेस तो नरेन्द्र मोदी के पीछे हाथ धोकर पड़ी हुई है। तीस्ता जावेद, शबनम, सेड्रिक, हर्ष मंदर, अहमद पटेल आदि को कांग्रेस ने मोदी की धार कुंद करने की जिम्मेदारी सौंप रखी है।-ओम वापजेयी10, कृष्ण विहार, ठाठीपुर,ग्वालियर(म.प्र.)द आज का अभिमन्यु (नरेन्द्र मोदी) बार-बार चक्रव्यहू तोड़कर बाहर आ रहा है। अभिमन्यु की यही वीरता कांग्रेस की परेशानी बनी हुई है। चिढ़कर वह कभी गुजरात के जनादेश का अपमान करती है, कभी राष्ट्र को, कभी न्यायालय को भी अपमानित करती है। यदि कांग्रेसियों में कुछ भी नैतिकता बची हो तो 1984 के सिख नरसंहार के आरोपियों पर भी वे कुछ बोलें।-सूर्यप्रताप सिंह “सोनगरा”मु. व. पो.-कांडरवासा, रतलाम (म.प्र.)द नरेन्द्र मोदी गुजरात के विकास पुरुष बन कर उभरे हैं। उन्होंने अपनी दूरदृष्टि, दृढ़ संकल्प और ईमानदारी से गुजरात का कायाकल्प कर दिया है। इसीलिए वे तीसरी बार गुजरात के मुख्यमंत्री बने हैं। मोदी के कार्यों ने गुजरात से कांग्रेस का लगभग सफाया कर दिया है और यह बात कांग्रेसियों को हजम नहीं हो रही है। इसीलिए उन्हें कभी बेस्ट बेकरी कांड और कभी एस.आई.टी. जांच में उलझाए रखा जा रहा है।-अरुण मित्र324, राम नगर (दिल्ली)वे बहुत याद आते हैंवरिष्ठ प्रचारक ज्योति स्वरूप जी के देहावसान का समाचार मिला। सदा मुस्कुराने बाला चेहरा याद आया। समय-समय पर हुई भेंट-वार्ताएं याद आयीं। परमपिता से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को शान्ति और उनके परिजनों तथा प्रियजनों को असीम धैर्य प्रदान करें। मंथन में नरेन्द्र मोदी के विरुद्ध हो रहे षड्यंत्रों तथा इन सबके बावजूद गुजरात की प्रगति की झलक मिली। जम्मू-कश्मीर व पूर्वोत्तर राज्यों में प्रतिदिन हिंसक घटनाएं हो रही हैं। किन्तु वहां के मुख्यमंत्रियों के विरुद्ध मीडिया चुप रहता है। पूरी तैयारी के साथ मीडिया का एक वर्ग उन सभी मुख्यमंत्रियों के विरुद्ध अपप्रचार में लगा हुआ है, जो भारतीय जनता पार्टी के हैं। मीडिया के इस वर्ग ने भाजपा की छवि धूमिल करना ही मानो पत्रकारिता मान लिया है।-डा. नारायण भास्कर50, अरुणानगर, एटा (उ.प्र.)साधुवाद!सम्पादकीय “गंगा की चिन्ता सर्वोपरि” में बड़ी सार्थक बातें कही गई हैं। इसके लिए साधुवाद! गंगा का महत्व केवल हिन्दुओं के लिए ही नहीं, उन लोगों के लिए भी है, जो भारत का अन्न खाते हैं, और भारत की वायु में श्वास लेते हैं। कल-कल बहती गंगा से करोड़ों भारतीयों का पोषण होता है। किन्तु पिछले कुछ वर्षों से गंगा कल-कल बह नहीं पा रही है। उसे स्थान-स्थान पर रोका जा रहा है। यह ठीक बात नहीं है। इसका असर पूरे भारत पर पड़ेगा।-मनमोहन राजावत “राज” 73, राजावत काम्पलेक्स, नई सड़क, शाजापुर (म.प्र.)गुलाम मानसिकताश्री अरुण कुमार सिंह की रपट “15000 करोड़ रु. का खेल” हमारी गुलाम मानसिकता को बताती है। दुनिया का हर देश अपनी संस्कृति और गौरवमय इतिहास को संजो कर रखता है। किन्तु भारत में ऐसा नहीं हो पा रहा है। नेताओं की गुलाम मानसिकता के कारण भारतीय संस्कृति व भारतीय पहचान को समाप्त किया जा रहा है। दूसरी ओर ऐतिहासिक विरासत के नाम पर कुछ मदरसों, मकबरों को सजाया-संवारा जा रहा है। कुछ सेकुलर नेता तो वोट के लिए सारी हदें पार कर रहे हैं।-मोहन कुमार कांकरोली, राजसमन्द (राजस्थान)फासीवादी प्रवृत्तिचर्चा-सत्र के अन्तर्गत श्री ए. सूर्यप्रकाश का तथ्यपरक आलेख “फासीवादी कांग्रेसी सोच देश के लिए खतरनाक” देश में नेहरू-गांधी परिवार के फर्जीवाड़े को लेकर लिखा गया एक उत्कृष्ट दस्तावेज है, जो देश का हित चाहने वाले नागरिकों के लिए एक चुनौती भी है और चेतावनी भी। यह बात समझ से परे है कि देश में जो भी नई योजना बनती है उसका नामकरण नेहरू-गांधी वंश के किसी व्यक्ति के नाम पर ही कर दिया जाता है, जबकि देश में एक से बढ़कर एक विभूतियां हुई हैं। भिन्न विचारधाराओं के लोगों के प्रति असहिष्णुता नेहरू-गांधी परिवार की विशेषता है, जो इस समय अपने पूरे ऊफान पर है। मानो भारत इसी एक वंश की जागीर है। इस सामंती फर्जीवाड़े का अंत तभी संभव है जब देश के जागरूक नागरिक जोरदार तरीके से इसका विरोध करने के लिए सामने आएंगे। देश के स्वाभिमान को कायम रखने के लिए कांग्रेस की इस फासीवादी प्रवृत्ति का अंत होना बेहद जरूरी है।-आर.सी.गुप्ता द्वितीय ए-201, नेहरू नगर, गाजियाबाद (उ.प्र.)द चर्चा सत्र में कांग्रेस के असली चेहरे को सामने लाने का प्रयास किया गया है। कांग्रेसी मानसिकता लोकतंत्र के लिए घातक है। क्या देश के नेता, अभिनेता, खिलाड़ी या अन्य लोग किनसे किस प्रकार के सम्बंध रखेंगे, यह कांग्रेस से पूछना पड़ेगा? नरेन्द्र मोदी और अमिताभ बच्चन प्रकारण तो यही संकेत कर रहा है। धिक्कार है ऐसे कांग्रेसियों को।-राममोहन चंद्रवंशीविट्ठल नगर, टिमरनी (म.प्र.)देशव्यापी विरोध”पादरी न बनने पर हिन्दू छात्र की हत्या” शीर्षक से प्रकाशित समाचार हिन्दुओं की आंखें खोलने वाला है। ईसाई मिशनरी के लोग दिन-रात हिन्दुओं के मतान्तरण पर लगे हैं। किन्तु हिन्दू समाज स्वयं में विभिन्न जातियों में विभाजित होकर सब कुछ चुपचाप देख रहा है। कुछ ही लोग मतान्तरण का विरोध कर रहे हैं। यह विरोध देशव्यापी होना चाहिए।-हुकुमचन्द चौधरीग्रा. व .पो.-सपोटरा, जिला-करौली (राजस्थान)भारत में भगत सिंह4 अप्रैल के अंक में श्री मुजफ्फर हुसैन का लेख “क्या बनेगा लाहौर में भगत सिंह चौक?” पढ़ा। लेखक को साधुवाद! किन्तु प्रश्न उठता है कि क्या भगत सिंह सरीखे क्रांतिकारियों को सम्मान देने में स्वतंत्र भारत में न्याय हुआ। आज किसी क्रांतिकारी के लिए पाठ्यक्रम में उचित स्थान नहीं है। उन पर छपे साहित्य काफी महंगे हैं। किसी तरह कुछ राष्ट्रवादी भगत सिंह जयंती मना कर युवा वर्ग में उनके संदेश पहुंचाने का काम करते हैं। सरकारी स्तर पर कहीं कुछ होता नहीं दिखता है।-उपेन्द्रनाथ उपाध्यायअध्यक्ष, भगत सिंह स्मारक समिति गोपालगंज (बिहार)वे कैसे जीवन जी पाएंगेअखबारों में हैं भरे, मोदी और थरूर दिल्ली शासन हो रहा, है इसमें मगरूर। है इसमें मगरूर, सभी मदमस्त पड़े हैं दस करोड़ निर्धन सूची में नये जुड़े हैं। कह “प्रशांत” वे कैसे जीवन जी पाएंगे शायद रोटी के बदले में रन खाएंगे।।-प्रशांतपञ्चांगवि.सं.2067 – तिथि – वार – ई. सन् 2010 अधिक वैशाख कृष्ण 11 रवि 9 मई, 2010 ” 12 सोम 10 ” ” 13 मंगल 11 ” “(तिथि वृद्धि) 13 बुध 12 ” ” 14 गुरु 13 ” अधिक(पुरुषोत्तम मास समाप्त) वैशाख अमावस्या शुक्र 14 ” शुद्ध वैशाख शुक्ल 1 शनि 15 ” 16

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

समोसा, पकौड़े और जलेबी सेहत के लिए हानिकारक

समोसा, पकौड़े, जलेबी सेहत के लिए हानिकारक, लिखी जाएगी सिगरेट-तम्बाकू जैसी चेतावनी

निमिषा प्रिया

निमिषा प्रिया की फांसी टालने का भारत सरकार ने यमन से किया आग्रह

bullet trtain

अब मुंबई से अहमदाबाद के बीच नहीं चलेगी बुलेट ट्रेन? पीआईबी फैक्ट चेक में सामने आया सच

तिलक, कलावा और झूठी पहचान! : ‘शिव’ बनकर ‘नावेद’ ने किया यौन शोषण, ब्लैकमेल कर मुसलमान बनाना चाहता था आरोपी

श्रावस्ती में भी छांगुर नेटवर्क! झाड़-फूंक से सिराजुद्दीन ने बनाया साम्राज्य, मदरसा बना अड्डा- कहां गईं 300 छात्राएं..?

लोकतंत्र की डफली, अराजकता का राग

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

समोसा, पकौड़े और जलेबी सेहत के लिए हानिकारक

समोसा, पकौड़े, जलेबी सेहत के लिए हानिकारक, लिखी जाएगी सिगरेट-तम्बाकू जैसी चेतावनी

निमिषा प्रिया

निमिषा प्रिया की फांसी टालने का भारत सरकार ने यमन से किया आग्रह

bullet trtain

अब मुंबई से अहमदाबाद के बीच नहीं चलेगी बुलेट ट्रेन? पीआईबी फैक्ट चेक में सामने आया सच

तिलक, कलावा और झूठी पहचान! : ‘शिव’ बनकर ‘नावेद’ ने किया यौन शोषण, ब्लैकमेल कर मुसलमान बनाना चाहता था आरोपी

श्रावस्ती में भी छांगुर नेटवर्क! झाड़-फूंक से सिराजुद्दीन ने बनाया साम्राज्य, मदरसा बना अड्डा- कहां गईं 300 छात्राएं..?

लोकतंत्र की डफली, अराजकता का राग

उत्तराखंड में पकड़े गए फर्जी साधु

Operation Kalanemi: ऑपरेशन कालनेमि सिर्फ उत्तराखंड तक ही क्‍यों, छद्म वेषधारी कहीं भी हों पकड़े जाने चाहिए

अशोक गजपति गोवा और अशीम घोष हरियाणा के नये राज्यपाल नियुक्त, कविंदर बने लद्दाख के उपराज्यपाल 

वाराणसी: सभी सार्वजनिक वाहनों पर ड्राइवर को लिखना होगा अपना नाम और मोबाइल नंबर

Sawan 2025: इस बार सावन कितने दिनों का? 30 या 31 नहीं बल्कि 29 दिनों का है , जानिए क्या है वजह

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies