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गत 20 मार्च को नई दिल्ली में राष्ट्रवादी लेखक श्री नरेन्द्र सहगल की पुस्तक “व्यथित जम्मू-कश्मीर” का लोकार्पण हुआ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचारक प्रमुख श्री मदनदास के मुख्य अतिथ्य में आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता जम्मू-कश्मीर के चर्चित पूर्व राज्यपाल श्री जगमोहन ने की। मुख्य वक्ता थे राज्यसभा में प्रतिपक्ष के नेता श्री अरुण जेटली। वरिष्ठ भाजपा नेता श्री केदारनाथ साहनी, वरिष्ठ प्रचारक ठाकुर रामसिंह, दिल्ली प्रान्त के प्रान्त संघचालक श्री रमेश प्रकाश, दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष श्री ओमप्रकाश कोहली सहित अनेक गण्यमान्यजन समारोह में उपस्थित थे।समारोह को सम्बोधित करते हुए श्री मदनदास ने कहा कि रा.स्व.संघ के द्वितीय सरसंघचालक श्रीगुरुजी के प्रयत्नों से जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन महाराजा हरि सिंह ने विलय-पत्रों पर हस्ताक्षर किए थे और जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग बना। किन्तु नेहरू जी ने शेख अब्दुल्ला को कश्मीर का शासन सौंप दिया और महाराजा हरि सिंह को निर्वासित कर दिया। यानी भारत में विलय करने की सजा महाराजा को मिली। इसके साथ ही पं. नेहरू ने जम्मू-कश्मीर में धारा-370 लागू कर उसे अलगाववाद के रास्ते पर धकेल दिया। यह अलगाववाद आज भी जारी है। इसलिए धारा 370 को समाप्त करके ही कश्मीर की समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि सीमा पर देशभक्त लोगों की संख्या बढ़ानी चाहिए।श्री जगमोहन ने कहा कि कश्मीरी अलगाववादी लोगों को बहका रहे हैं। उन्होंने प्रश्न किया कि जब पूरे भारत के लोग एक संविधान के अन्तर्गत रह रहे हैं तो फिर कश्मीरी क्यों नहीं रह सकते? क्या इसी संविधान के अन्तर्गत रहते हुए पं. बंगाल, तमिलनाडु आदि राज्यों के लोगों की संस्कृति खत्म हो गई है? तो फिर कश्मीरी अलगावावादी यह क्यों कहते हैं कि भारतीय संविधान के अन्तर्गत रहने से उनकी संस्कृति और पहचान खत्म हो जाएगी। उनके इस दुष्प्रचार को समझने की जरूरत है। श्री अरुण जेटली ने कहा कि कश्मीर पाकिस्तान के अधूरे एजेण्डे का एक हिस्सा है, किन्तु यह बात भारत के एक बड़े वर्ग को समझ नहीं आती। चार युद्धों के बाद पाकिस्तान को जब लगा कि उसका अधूरा एजेण्डा पूरा नहीं हो सकता तो उसने आतंकवाद का सहारा लिया। श्री जेटली ने कहा कि एक वक्त ऐसा आएगा कि हमें इस पर कठोर निर्णय लेना पड़ेगा कि कश्मीर पर पं. नेहरू सही थे या डा. मुखर्जी।कार्यक्रम के प्रारम्भ में पुस्तक के लेखक श्री नरेन्द्र सहगल ने पुस्तक के बारे में जानकारी दी। धन्यवाद ज्ञापन जम्मू-कश्मीर विचार मंच के अध्यक्ष श्री त्रिलोकी नाथ राजदान और संचालन श्री अजय भारती ने किया। द26
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