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प्रेरणा की गंगोत्री पुस्तक के लेखक श्री शिवकुमार गोयल ने इस पुस्तक में नैतिकता और राष्ट्रभक्ति के प्रेरक प्रसंगों का संकलन किया है। छोटी-छोटी घटनाओं और प्रसंगों से देशभक्ति जगाने का श्री गोयल का प्रयास स्तुत्य है। लेखक ने इस पुस्तक में कुछ ऐसे प्रसंगों व संस्मरणों को स्थान दिया है जिनसे पाठकों को सदाचार, नैतिकता व समाजसेवा की महत्ता के बारे में अवगत कराया जा सके। लेखक ने नैतिक मूल्यों के हास को देश के सबसे बड़ा संकट बताया है।”स्वर्ग के सात द्वार” कथा में लेखक ने ययाति की तपस्या, दान, शांति, संयम, लज्जा, सरलता व सभी जीवों के प्रति दया भावना के महत्व को बताया है। “माता पिता ही हैं ईश्वर” नामक कथा में कौशिक नामक एक तपस्वी माता-पिता को असहाय छोड़कर वेदाध्ययन के लिए घर से निकल गया। लेकिन तपस्या व साधना करते हुए भी वह अशांत था। व्याध नामक संत पुरुष ने कौशिक को इसका रहस्य बताते हुए कहा कि माता-पिता ही प्रत्यक्ष धर्म और परम देवता होते हैं, उनकी सेवा के लिए हमेशा तैयार और तत्पर रहना चाहिए। यह सुनकर कौशिक का विवेक जागा और वापस अपने माता-पिता की सेवा में जुट गया। आगे चलकर वह वेदज्ञ पंडित के रूप में विख्यात हुआ। संत भर्तृहरि “आश्चर्य क्या है” शीर्षक में कहते हैं-“बाघिन की तरह सामने खड़ा बुढ़ापा भयभीत कर रहा है। रोग व व्याधियां शत्रु की तरह शरीर पर प्रहार कर रही हैं। आयु फूटे घड़े के जल की तरह हर क्षण क्षीण होता जा रहा है। फिर भी मनुष्य अधर्म कर्म करने से नहीं डरता। इससे बड़ा दुनिया का आश्चर्य का क्या हो सकता है?”इसके अलावा मुझे स्वर्ग नहीं चाहिए, अन्नदान सर्वोपरि धर्म है, अनूठा नशा, संयम ही सर्वश्रेष्ठ है, अद्भुत पूजा, पूजा-पाठ का उद्देश्य, बेटी का भात, राखी की दक्षिणा आदि कई ऐसी छोटी-छोटी कहानियां हैं जो पाठकों को प्रेरणा देती हैं। इसके अतिरिक्त स्वाधीनता सेनानियों, विद्वानों, पत्रकारों, साहित्यकारों, कलाकारों तथा राजनेताओं के प्रेरक प्रसंग वर्तमान परिस्थितियों से जूझने और जीतने के लिए मार्ग दिखाते हैं। इसके अन्तर्गत नेताजी के आंसू, अनूठा संकल्प, राष्ट्रपति की विनम्रता, बंकिम चन्द्र चटर्जी की निर्भीकता आदि कहानियां देशभक्ति व नैतिकता का सबक सिखाती हैं। निश्चित ही यह पुस्तक प्रेरणा प्रदान करने वाली एक गंगोत्री है।पुस्तक का नाम-प्रेरणा की गंगोत्री लेखक-शिवकुमार गोयल प्रकाशक-अनिल प्रकाशन 26/9, न्यू मार्केट, नई सड़क, दिल्ली-6 मूल्य – 150 रुपए, पृष्ठ – 15224
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