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राउरकेला के निकट जंगलों में माओवादियों द्वारा पुलिस के एक सब इंस्पेक्टर की अपहरण के बाद हत्या की घटना को लेकर प्रदेश में तनाव हो गया है। उड़ीसा विधानसभा में विपक्षी दल द्वारा इस मुद्दे पर काफी हंगामा भी किया गया। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने नक्सलवादियों को मुख्यधारा में आने का परामर्श देते हुए चेतावनी भी दी है कि यदि हिंसा को बंद नहीं किया गया तो प्रदेश से नक्सलियों का सफाया करने के लिए राज्य सरकार अपनी पूरी ताकत लगा देगी।उल्लेखनीय है कि गत 24 जुलाई को राउरकेला के निकट राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 23 से नक्सलियों ने बारूद से भरे एक वाहन के साथ कराड़ा थाने के युवा सब इंस्पेक्टर अजीत वर्धन का अपहरण कर लिया था। बारूद से भरे वाहन एवं सब इंस्पेक्टर को बचाने के लिए उड़ीसा पुलिस एवं केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल द्वारा जंगल को चारों तरफ से घेरकर सघन तलाशी अभियान शुरू कर दिया गया। लेकिन नक्सलियों द्वारा बारूदी सुरंग बिछाये जाने के कारण विस्फोट होने से एक जवान की मृत्यु हो गयी। सघन तलाशी अभियान के दौरान पुलिस को बारूद लूटने के बाद जला दिया गया वाहन एवं सब इंस्पेक्टर अजीत बर्धन का गोली से छलनी शव मिला।पिछले एक वर्ष में नक्सलियों द्वारा कोरापुट तथा नयागढ़ जिले के थानों पर हमला कर 15 से ज्यादा पुलिस वालों की हत्या तथा पुलिस के शस्त्र लूटने की घटनाओं को विपक्ष ने एक मुद्दा बना दिया है।पिछले हफ्ते गृहमंत्री पी. चिदम्बरम ने संसद को बताया कि सन् 2008-09 में नक्सलियों के हाथों जितने लोग मारे गये उतने तो इस साल पूर्वोत्तर भारत में विद्रोहियों के हाथों भी नहीं मारे गये। यह एक बड़ी चिंता का विषय है। लेकिन इससे भी बड़ी चिन्ता का विषय यह है कि नक्सली किसी न किसी रूप में देश के 150 जिलों में सक्रिय हो गए हैं। अब उनकी ताकत इतनी बढ़ गयी है कि वे प्रधानमंत्री सहित देश के प्रमुख नेताओं को मारने की धमकी देने लगे हैं।सन् 2004 से 2008 तक देश में 7,806 नक्सली हिंसा की घटनाओं में 3,338 लोग मारे गये हैं। इस वर्ष 13 जुलाई तक हुई हिंसा के आंकड़े जुटाए जाएं तो नक्सली हिंसा में मरने वालों की संख्या 3,823 हो चुकी है। उड़ीसा में 2008 में 711 लोग नक्सली हिंसा से मृत्यु को प्राप्त हुए थे। 2009 में पहले छह माह में 230 सुरक्षाकर्मी सहित 485 लोगों की मृत्यु नक्सलियों के कारण हुई है। खुफिया सूत्रों से पता चलता है कि माकपा (माओवादी) के पास लगभग 10,000 प्रशिक्षण प्राप्त सशस्त्र माओवादी मौजूद हैं। सारे देश में उनके 80 प्रशिक्षण केन्द्र हैं। हर प्रशिक्षण केन्द्र पर एक ही समय में 300 गोरिल्लाओं को युद्ध करने का प्रशिक्षण दिया जाता है। इतने सारे प्रशिक्षित नक्सलवादी सीमा पार के आतंकवादियों से ज्यादा खतरनाक हो सकते हैं।द24
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