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कहते हैं कि किसी भी व्यक्ति की सफलता के पीछे किसी न किसी स्त्री का हाथ होता है। परन्तु श्री विजेन्द्र गुप्ता के साथ विवाहोपरान्त मैंने पाया कि किसी भी स्त्री की सम्पूर्णता का श्रेय उसके पति को ही जाता है। किसी भी स्त्री के पथ प्रदर्शन के लिए मात्र एक पल या एक घटना काफी नहीं होती, अपितु जीवन-पर्यन्त समर्पण, प्रेम तथा बलिदान की आवश्यकता होती है। ये सब मुझे मेरे पति से सतत मिलते रहे हैं।मैं बचपन से कुछ नया करना चाहती थी। समाज सेवा मेरा प्रिय विषय रहा है। इस कारण कई गैर सरकारी संस्थाओं के साथ मिल कर कार्य भी किया। परन्तु स्वतंत्र रूप से कुछ करने की चाह मन में सदैव रहती थी।विवाहोपरान्त मेरे पति ने भी मेरी इस चाहत को भलीभांति समझा। सर्वप्रथम उन्होंने मुझसे कहा उच्च शिक्षा प्राप्त करो। इसके बाद मैंने स्नातकोत्तर और डाक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। ऊंची शैक्षणिक उपाधि के बावजूद हमने पुन: समाज सेवा में कदम रखा। तत्पश्चात् मैंने सितम्बर 1993 में दिल्ली के रोहिणी क्षेत्र में एक “परिवार परामर्श केन्द्र” खोला। प्रारंभ में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। पर जब भी पति की सहायता की जरूरत पड़ी तो उन्होंने मुझे हर तरह से समर्थन दिया। इस कारण मैं समाज में अपना एक अलग स्थान बना पाई। इसका मुझे लाभ भी मिला। फिर मैंने स्वयंसेवी संस्था “सम्पूर्णा” के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन लाने का बीड़ा उठाया। आज इस संस्था के दिल्ली में 8 स्थानों पर कुल 22 प्रकल्प चल रहे हैं। सम्पूर्णा से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति के आशीर्वाद तथा अपने पति के मित्रवत् व्यवहार के कारण मैं अपने कार्य का विस्तार कर पा रही हूं। ईश्वर की असीम कृपा से हमारी बगिया के दो फूल “आधार” एवं “आईना” अत्यन्त संस्कारी बालक हैं। पुत्र आधार, गुड़गांव में नौकरी कर रहा है तथा पुत्री “आईना” अभी कालेज में पढ़ रही है। ईश्वर करे हमारे जीवन की यह बगिया सदैव हंसती, मुस्कुराती रहे।-डा. शोभा विजेन्द्रबी-85, विनोबा कुंज, सेक्टर 9, रोहिणी,दिल्ली-8516
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