|
औरों के भी लक्षण देख, और स्वयं भी दर्पण देख। उसके मन का राम निहार,अपने मन का रावण देख।-शिवनाथ बिस्मिलअगर तुम प्यार का मतलब न समझे, तो सारी जिंदगी तुमने पढ़ा क्या? कलम की बात है कद है कलम का, कलम वालों में फिर छोटा-बड़ा क्या?-राजेन्द्र तिवारीदर्द हमारा पढ़ने वाला मिला नहीं, खुशियों के विज्ञापन हैं हम बेगाने।-डा.प्रभा दीक्षित22
टिप्पणियाँ