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श्रद्धाञ्जलि

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Nov 2, 2007, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 02 Nov 2007 00:00:00

सुप्रसिद्ध कथाकार कमलेश्वर का निधनरा.स्व.संघ, दिल्ली प्रांत संघचालक सत्यनारायण बंसल की श्रद्धांजलिवे एक श्रेष्ठ विभूति थेराष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दिल्ली प्रान्त संघचालक श्री सत्यनारायण बंसल (हिन्दी साहित्य सम्मेलन के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष व दिल्ली नगर निगम, स्थायी समिति के पूर्व अध्यक्ष) ने प्रसिद्ध साहित्यकार कमलेश्वर के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। श्री बंसल ने कहा कि श्री कमलेश्वर हिन्दी साहित्य की एक श्रेष्ठ विभूति थे। उनके निधन से हिन्दी साहित्य की अतुलनीय क्षति हुई है।श्री बंसल ने कहा कि अपने उत्कृष्ट गीतों के द्वारा उन्होंने एक सामाजिक क्रांति का बिगुल बजाया। श्री बंसल ने स्व. कमलेश्वर को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि ईश्वर उनके परिवार एवं मित्रों को इस शोक से उबरने की शक्ति प्रदान करें। अपनी धारदार लेखनी और निर्भीक विचारों के लिए साहित्य जगत में सुपरिचित व्यक्तित्व कमलेश्वर का गत 27 जनवरी को उनके फरीदाबाद (हरियाणा) स्थित आवास पर निधन हो गया। वे 74 साल के थे। “कितने पाकिस्तान” जैसी मशहूर कृतियों के रचनाकार श्री कमलेश्वर का जन्म 6 जनवरी, 1932 को उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले में हुआ था। 1954 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिन्दी में स्नातकोत्तर करने के पश्चात् उन्होंने दूरदर्शन में पटकथा लेखक के रूप में काम किया। 1980-82 में वे दूरदर्शन के अतिरिक्त महानिदेशक भी रहे। श्री कमलेश्वर ने कहानी लेखन में एक नया आयाम जोड़ा जिसे नई कहानी कहा गया। उनकी पहली कहानी 1948 में प्रकाशित हो चुकी थी। लेकिन “राजा निरबसिया” से वे रातोंरात एक कथाकार के रूप में प्रतिष्ठित हो गए। फिर उन्होंने एक के बाद एक 300 से अधिक कहानियों की रचना की। “मुर्दों की दुनिया”, “कस्बे का आदमी”, “तलाश”, “नागमणि”, “अपना एकांत”, “बयान”, “आसक्ति”, “जार्ज पंचम की नाक” आदि कहानियां खूब चर्चित रहीं। वे एक उपन्यासकार के रूप में भी सुविख्यात हुए। “एक सड़क सत्तावन गलियां”, “डाक बंगला”, “तीसरा आदमी”, “काली आंधी” आदि उपन्यास आज भी काफी पसंद किए जाते हैं। “काली आंधी” पर ही गुलजार ने फिल्म “आंधी” बनाई थी जिसने कई पुरस्कार जीते। श्री कमलेश्वर ने अनेक पत्र-पत्रिकाओं का भी सम्पादन किया। सबसे पहले 1954 में उन्होंने “विहान” पत्रिका का सम्पादन किया। इंगित (1961-63), नई कहानियां (1963-66), सारिका (1967-68), कथायात्रा (1978-79), श्रीवर्षा (1979-80), गंगा (1984-88) आदि उनके द्वारा प्रकाशित कुछ प्रमुख पत्रिकाएं हैं। उन्होंने हिन्दी के दो बड़े अखबारों- दैनिक भास्कर और दैनिक जागरण- का भी कुछ समय सम्पादन किया था। टेलीविजन के क्षेत्र में भी श्री कमलेश्वर काफी हद तक सफल रहे थे। उन्होंने जैन टी.वी. के समाचार प्रभाग का कार्यभार संभाला था। सारा आकाश, आंधी, अमानुष, मि. नटवरलाल, द बर्निंग ट्रेन, राम-बलराम सहित कई फिल्मों की उन्होंने पटकथा लिखी थी। श्री कमलेश्वर ने दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले अनेक धारावाहिकों- चंद्रकांता, युग, बेताल पचीसी, आकाश गंगा, रेत पर लिखे नाम, दर्पण आदि- की भी पटकथा लिखी थी। उन्हें पद्मभूषण, साहित्य अकादमी सम्मान के अलावा कई पुरस्कारों से पुरस्कृत किया गया। स्व. कमलेश्वर की मृत्यु पर देश के वरिष्ठ साहित्यकारों ने गहन दुख प्रकट किया है। पाञ्चजन्य परिवार की ओर से स्व. कमलेश्वर को भावभीनी श्रद्धाञ्जलि। द21

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