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रामसेतु तोड़ने वाले रावणवंशी-संत सीचेवाल”आपसी फूट और विदेशी आक्रमणों से हम पहले ही बहुत कुछ गंवा चुके हैं। लेकिन हमने अपनी विरासत और संस्कृति को बचाए रखा। आज फिर आवश्यकता है कि हम सभी भारतवासी एकजुट हों और रामसेतु सहित अपनी सभी प्राचीन धरोहरों व सभ्यता के अवशेषों को बचाने का संकल्प लें। जिस तरह भरत के लिए भगवान राम की चरण पादुकाएं प्रतिनिधित्व करती रहीं, उसी तरह रामसेतु कलियुग में हमारे लिए लिए साक्षात भगवान राम का स्वरूप है।” ये विचार हैं संत सीचेवाल के। गुरुनानक देव जी की आध्यात्मिक यात्रा की साक्षी रही “काली बेई” नदी को कारसेवा द्वारा प्रदूषणमुक्त करने के भागीरथ कार्य को पूर्ण करने वाले निर्मला सिख संप्रदाय के संत बलबीर सिंह सीचेवाल रामसेतु का नाम सुनते ही परमानंद की अनुभूति करते हैं। उन्होंने कहा कि रामसेतु तोड़ना तो दूर, ऐसा सोचना भी अपराध है। जिस सेतु का एक-एक कण हजारों तीर्थाटनों का सार अपने में समेटे हो, ऐसे सेतु को क्षति पहुंचाने का काम केवल रावणवंशी ही कर सकते हैं। यह दुर्भाग्य है कि रामसेतु को तोड़ने वाले भारतीय हैं परन्तु धन के लालच, परस्पर फूट और स्वाभिमान की कमी के चलते ऐसा कुछ हो रहा है जो विदेशी हमलावरों के शासन में भी नहीं हो पाया। संत सीचेवाल ने पूरी दुनिया के पर्यावरण प्रेमियों से अपील की है कि वे भारत सरकार पर इस परियोजना को रोकने के लिए दबाव डालें।धर्म रक्षार्थ खड़्ग धारण करना आवश्यक है!-स्वामी सूर्यदेवपंजाब प्रदेश आर्य वीर दल के अध्यक्ष ब्राह्मचारी स्वामी सूर्यदेव जी ने रामसेतु के मुद्दे पर पूरी दुनिया के हिन्दुओं व भारतीय सभ्यता व संस्कृति प्रेमी शक्तियों से एकजुट होने की अपील की है। स्वामी सूर्यदेव जी ने कहा कि पूरे विश्व में रामसेतु ही एकमात्र अत्यन्त प्राचीन धरोहर है जो मानव निर्मित है। यह किसी धर्म, जाति, देश के लोगों की नहीं, पूरी दुनिया की सांझी धरोहर है। इसका संरक्षण करने की बजाय तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है, विश्वभर के लोगों को इसका विरोध करना चाहिए। और भारत के लोगों, विशेषकर हिन्दुओं को इसके विरोध में सबसे आगे रहना चाहिए क्योंकि हमारी आस्था के प्रतीक प्रभु राम का नाम इस सेतु से जुड़ा है। स्वामी सूर्यदेव जी ने कहा कि समुद्र को रास्ता देने के लिए भगवान राम ने भी तीन दिन तक समुद्र देव की प्रार्थना की थी और बाद में यह कहते हुए हथियार उठाए थे कि “भय बिनु होय न प्रीति”। हिन्दू समाज उन्हीं भगवान राम की परम्परा का वाहक है जो अपने धर्म की रक्षा के लिए विनती कर सकता है तो बात न मानने पर शक्ति का प्रयोग भी कर सकता है। गुरु गोबिंद सिंह जी ने भी कहा है कि जुल्म-अत्याचारों का मुकाबला करने व अपने अधिकार प्राप्त करने के लिए जब सभी रास्ते बंद हो जाएं तो तलवार उठाना ही धर्म है। आज हिन्दू समाज को अपने पूर्वजों द्वारा दिखाए गए “संत-सिपाही” के मार्ग पर चलते हुए हाथ में माला और कमंडल के साथ-साथ खड्ग भी धारण करना होगा, ताकि धर्म का पालन करने के साथ-साथ इसकी रक्षा भी की जा सके। राकेश सैनहर हालत में रामसेतु की रक्षा करनी होगी!-स्वामी दीनदयाल पाण्डेगत दिनों अमृतसर के प्रसिद्ध श्री रघुनाथ बड़ा मन्दिर में श्रीमद्भागवद् ज्ञान यज्ञ आयोजित हुआ। स्वामी करपात्री जी के शिष्य स्वामी दीनदयाल पाण्डे जी ने श्रद्धालुओं को जहां भक्तिरस में डुबोया, वहीं उन्होंने उन्हें रामसेतु की रक्षा के लिए तैयार रहने को कहा। स्वामी जी ने कहा कि रामसेतु को हिन्दुओं की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने के लिए तोड़ा जा रहा है, यह 80 करोड़ हिन्दुओं के लिए एक चुनौती है। यदि रामसेतु को न बचाया गया तो संप्रग सरकार हिन्दू संस्कृति के अन्य “प्रतीकों” को भी वामपंथी और कथित सेकुलर सहयोगियों के साथ मिलकर नष्ट करने से नहीं चूकेगी।जो मरना नहीं जानते, उन्हें जीने का भी हक नहीं!-महंत श्री अनंत दासप्रसिद्ध सन्त बाबा लाल दयाल जी की गद्दी सन्तोख सर के पीठाधीश्वर महन्त श्री अनन्त दास जी ने कहा कि अब समय आ गया है कि हिन्दुओं को “शठे शाठं समाचरेत्” की नीति पर चलना चाहिए। उन्होंने रामसेतु की रक्षा के लिए हिन्दुओं से एकजुट होकर आन्दोलन करने व बलिदान के लिए तैयार रहने का आह्वान किया। महन्त जी ने कहा कि जो कौम मरना नहीं जानती उसे जीने का भी कोई हक नहीं है। के.एल. कमलेश18
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