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कांग्रेस का कुशासन जारी या भाजपा का पलड़ा भारी?-राजेन्द्र देसाई संपादक, गोवादूतगोवा में ग्यारहवीं विधानसभा के चुनाव गत 2 जून को संपन्न हुए। हालांकि इन पंक्तियों के लिखे जाने तक परिणाम घोषित नहीं हुए हैं, मगर जिन मुद्दों पर ये चुनाव हुए उन पर और गोवा के राजनीतिक परिदृश्य पर एक नजर डालना समीचीन होगा। जून 2002 में पिछले विधानसभा चुनाव के बाद मनोहर पर्रीकर के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार का गठन हुआ था। पर्रीकर सरकार गोवा की आज तक की सरकाकों में अत्यंत लोकप्रिय साबित हुई। गोवा के पहले मुख्यमंत्री भाऊसाहेब बांदोडकर की सरकार के बाद इतनी लोकप्रियता शायद और किसी सरकार को नहीं मिली थी। स्पष्ट विचार, विकास, लोक कल्याणकारी योजनाओं, अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह जैसे लोकप्रिय कार्यक्रमों, राजकोषीय सुधार आदि के बल पर पर्रीकर ने लोगों के मन जीते थे। मगर कांग्रेस ने अपनी दुर्नीति चलाते हुए भाजपा सरकार गिरा दी और राज्य को अस्थिरता की ओर धकेल दिया।उसके बाद राज्य में कुछ महीनों के लिए राष्ट्रपति शासन लगा। बाद में भाजपा के विधायक तोड़कर कांग्रेस ने सरकार बनाई और उसकी कमान प्रताप सिंह राणे को सौंपी गई। लेकिन इस सरकार के शासन में गोवा में भ्रष्टाचार, जमीन घोटाले, कांग्रेस पार्टी और सरकार में संघर्ष, विकास में बाधा आदि के कारण राणे सरकार के अस्तित्व पर बहुत बड़ा प्रश्नचिन्ह लग गया था। राणे सरकार के कुशासन को देख चुकी जनता अपने राज्य की बागडोर इन चुनावों में भाजपा को सौंपेगी, ऐसा यहां के रानजीतिक विश्लेषक मान रहे हैं। कांग्रेस के कुशासन के अलावा ऐसे अनेक मुद्दे रहे जिन पर भाजपा ने राणे सरकार को आड़े हाथों लिया। इनमें प्रमुख मुद्दे थे राज्य का ठप पड़ा विकास, वित्तीय दुरावस्था, घोटाले आदि। टिकट बंटवारे में भी भाई-भतीजावाद और परिवारवाद हावी रहा।पहले से ही बदनाम कांग्रेस की छवि इस टिकट बंटवारे से और भी धुंधली हुई। लोगों ने इसके खिलाफ तीखी प्रतिक्रिया भी व्यक्त की। कांग्रेस उम्मीदवार के खिलाफ उन्हीं के लोगों का संघर्ष तो खुलेआम हुआ। अनेक समाजसेवी संगठनों, प्रतिष्ठित नागरिकों एवं आम जनता ने इस बार कांग्रेस के खिलाफ कड़ा रुख दिखाया है।कांग्रेस के लोकसभा सांसद रहे चर्चिल आलेमाव ने भी चुनाव आने पर कांग्रेस से इस्तीफा देकर दक्षिण गोवा में “सेव गोवा पार्टी” बनाई और अपने कई उम्मीदवार खड़े किए। वे खुद भी नावेली चुनाव क्षेत्र से चुनाव लड़े।गोवा में विधानसभा की 40 सीटें हैं। यह रपट लिखे जाते समय चुनाव के बाद राज्य में भाजपा सरकार बनने का विश्वास जताया जा रहा है। 5 जून को आने वाले परिणाम बता देंगे कि अगली सरकार मनोहर पर्रीकर के नेतृत्व में बनेगी या कांग्रेस के कुशासन का और दौर आएगा9
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