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तो इस तरह होगा महिला विकास?-अरुण शौरीपूर्व केन्द्रीय मंत्रीऋण धारक का नाम प्रतिभा पाटिल से उसका सम्बंध जुर्माना सहित बकायाराशि1. राजेश्वरी किशोरी सिंह पाटिल भाई की पुत्रवधु 45,82,670 रु.2. किशोर दिलीप सिंह पाटिल भतीजा 51,02,183 रु.3. किशोर दिलीप सिंह पाटिल भतीजा 43,87,680 रु.4. उद्धव सिंह दगडू राजपूत भाई का रिश्तेदार 42,89,602 रु.5. रणधीर सिंह दिलीप सिंह राजपूत भतीजा 21,44,800 रु.6. किशोर दिलीप सिंह पाटिल भतीजा 10,69,893 रु.7. दिलीप सिंह एन. पाटिल भाई 3,09,562 रु.8. दिलीप सिंह एन. पाटिल भाई 5,62,840 रु.कुल 2,24,49,150 रु.”महिलाओं के पक्ष में एक बड़ा कदम…यह भारत में स्त्रियों के प्रति सम्मान दर्शाता है।…मेरा नामांकन अन्य महिलाओं को भी प्रेरित करेगा और उनके सशक्तिकरण में मदद करेगा” -इन शब्दों के बल पर राष्ट्रपति पद के लिए संप्रग की उम्मीदवार प्रतिभा पाटिल ने अपने चयन को सही ठहराया।उनके जीवन परिचय में लिखा है कि “ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास और महिला कल्याण में विशेष रूचि”। इसके प्रमाण के तौर पर जलगांव (महाराष्ट्र) में प्रतिभा महिला सहकारी बैंक और महिला विकास महामंडल का नाम दिया गया है। साथ ही लिखा है कि वे श्रम साधना ट्रस्ट की प्रबंध न्यासी हैं, जलगांव जिले में एक चीनी मिल की मुख्य संस्थापक और अध्यक्ष हैं। उन्होंने गांव के नौजवानों के लिए एक इंजीनियरिंग कालेज की स्थापना की है।पहले बात करते हैं उस सहकारी बैंक की, जिसे उन्होंने अन्य महिलाओं के लिए अपने नाम से स्थापित किया है-प्रतिभा महिला सहकारी बैंक। प्रतिभा पाटिल ने खुद अध्यक्ष बनकर यह बैंक 1973 में शुरू किया था। उन्होंने अपने परिवार के कई लोगों को इसमें निदेशक बनाया। खुद भी वे कई बार निदेशक रहीं। निदेशक का पद परिवार के लोगों में ही कई बार आपस में ही चुनाव प्रक्रिया से अदल-बदल होता रहा। लेकिन प्रतिभा पाटिल अंत तक इसकी संस्थापक अध्यक्ष बनी रहीं।1995 में भारतीय रिजर्व बैंक ने इसे “कमजोर बैंक” की सूची में शामिल कर लिया क्योंकि इसका प्रबंधक ठीक से नहीं किया जा रहा था। मार्च, 1994 की जांच के दौरान यह पाया गया कि इसकी कुल सम्पत्ति में भारी मात्रा में कमी आई है। सन् 2002 में रिजर्व बैंक ने प्रतिभा बैंक के कार्यकलापों की दोबारा गहन जांच की। 25 फरवरी, 2003 को अपनी रपट में भारतीय रिजर्व बैंक के कार्यकारी निदेशक श्री पी.बी. माथुर ने कहा कि जांच में निम्न अनियमितताएं उजागर हुई हैं- थ् बैंक की अचल अथवा वास्तविक अथवा परिवर्तनीय कीमत 197.67 लाख है। इस प्रकार बैंक अपनी देनदारी का भुगतान करने की स्थिति में नहीं है। बैंक ने रिजर्व बैंक की न्यूनतम हिस्सेदारी की जरूरतों को भी पूरा नहीं किया है। थ् बैंक के अपने धन और जो धन में कमी आई है, उसका अनुपात है 312.4 प्रतिशत है। इस प्रकार घाटे के कारण बैंक ने सिर्फ अपना ही धन नहीं खोया है बल्कि जमा राशि के 197.67 लाख रुपए भी प्रभावित किए हैं, यह कुल जमा राशि का 26 प्रतिशत है। थ् बैंक द्वारा दी गई 65.8 प्रतिशत उधार राशि वसूली नहीं जा सकी। थ् निदेशक मंडल ने बैंक की वित्तीय स्थिति को सुधारने के लिए कोई जरूरी कदम नहीं उठाया।इस कारण रिजर्व बैंक ने अपने आदेश में कहा, “सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए रिजर्व बैंक निष्कर्ष पर पहुंचा है कि इस बैंक को बैंकिंग कार्य करते रहने देना मौजूदा और भविष्य के जमाकर्ताओं के हित में नहीं होगा, अत: प्रतिभा महिला सहकारी बैंक लि. को दिया गया लाईसेंस रद्द किया जाता है।अपनो को ही दिया उधारआखिर बैंक का धन गया कहां? इस बैंक ने अपने अस्तित्व को बचाने के लिए कोई कदम क्यों नहीं उठाया? ऋण वापस क्यों नहीं लिया? ध्यान रहे कि रिजर्व बैंक ने इस बैंक को बंद करने का कदम एकदम से नहीं उठाया। फिर 8 सालों में बोर्ड ने बैंक की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाया? ऋण लेने वाले लोगों के नाम और उनके द्वारा ली गई धन राशि का बयौरा खुद ही स्थिति साफ कर देता है। (देखें बाक्स)स्पष्ट है कि प्रतिभा पाटिल के सहकारी बैंक ने जिन महिलाओं का सशक्तिकरण किया, वे हैं उनके भाई और भतीजे। बुर्के में छिपे मर्द। सहकारी बैंक कार्मचारी संघ ने एक के बाद एक कई पत्र लिखे कि कैसे इस बैंक के निदेशक बैंक का सुनियोजित दिवाला निकाल रहे हैं। उन्होंने मांग की कि इस परिवार द्वारा नियंत्रित बैंक के बोर्ड को भंग किया जाए और बैंक की अनियमितताओं के लिए प्रतिभा पाटिल, जो राज्यसभा की उपसभापति भी रह चुकी हैं, के खिलाफ सी.बी.आई. से जांच कराई जाए।3 दिसम्बर, 2001 के ऐसे ही एक पत्र में कमर्चारी संघ ने शिकायत की, “संस्थापक अध्यक्ष प्रतिभा पाटिल ने अपने निदेशक मंडल के सदस्य के नाते कार्यकाल से पहले, बाद में और उस दौरान भी बिना किसी गारंटी के अपने रिश्तेदारों को गैर कानूनी तरीके से ऋण दिए हैं। हालांकि बैंक की आथिर्क स्थिति ठीक नहीं थी, फिर भी रिश्तेदारों द्वारा लिए गए ऋण पर देय बयाज प्रतिभा पाटिल द्वारा माफ कर दिया गया। इसके समर्थन में उन्होंने ऐसे तीन खातों का उल्लेख किया- 1. अंजलि दिलीप सिंह पाटिल (प्रतिभा पाटिल की भतीजी) 21.86 लाख रुपए का ब्याज माफ। 2. कविता अरविंद पाटिल (प्रतिभा पाटिल की भाभी)-8.59 लाख रुपए का ब्याज माफ। 3. राजकुमार दिलीप सिंह पाटिल (प्रतिभा पाटिल की एक अन्य भाभी)-2.47 लाख रुपए का ब्याज माफ। ब्याज माफ करने के तुरंत बाद ये खाते बंद कर दिए गए। कमर्चारी संघ ने इसे “32.93 लाख रुपए की लूट” कहा। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि बैंक के अंदर भी इस शिकायत पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। क्योंकि इस बैंक के कानूनी सलाहकार प्रतिभा पाटिल के बड़े भाई दिलीप सिंह पाटिल थे, और उनकी पत्नी ही ब्याज की माफी में एक लाभार्थी थीं!बैंक को काल के गाल से बचाने के लिए कर्मचारी संघ ने मांग की कि “श्रीमती प्रतिभा पाटिल, उनके भाई दिलीप सिंह पाटिल और रिश्तेदारों की संपत्ति जब्त कर ली जाए। और जांच की जाए कि इतनी सम्पत्ति उन्होंने जमा कैसे की। इस पर महाराष्ट्र सरकार के सहकारिता विभाग ने जांच शुरू की। जांच चल ही रही थी कि कर्मचारी संघ के पूर्व अध्यक्ष अनंत सिंह पाटिल ने प्रतिभा पाटिल की मदद करते हुए एक पत्र लिखा कि बैंक की अनियमितताओं से प्रतिभा पाटिल का कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने श्रीमती पाटिल से कर्मचारी संघ की ओर से माफी भी मांगी।लेकिन कर्मचारी संघ की शिकायतों में झलकता था कि बही खातों में अनियमितताएं तो आम बात थी। ये पत्र अन्य लोगों के साथ-साथ प्रतिभा पाटिल को भी भेजे गए। 13 मार्च, 2002 को कर्मचारी संघ ने राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और मंत्रिमण्डलीय सचिव सहित श्रीमती प्रतिभा पाटिल को बताया कि उन्होंने अपने भाई दिलीप सिंह को बैंक का टेलीफोन सं. 224672 उपयोग करने की अनुमति दी और उनके घर पर वह फोन लगा दिया गया। इसका बिल 20 लाख रुपए आया। रिकार्ड से पता चला कि मुम्बई के शेयर दलालों से इस नंबर से बात की गई थी। बाद में ये रिकार्ड नष्ट कर दिए गए। जांच में इस आरोप को सही पाया गया। अमोल खैरनार, जिन्हें बैक का मुख्य प्रशासक बनाया गया था, ने बैंक प्रबंधक पी.डी. पाटिल से अन्य बातों के साथ ही इस बारे में भी उस कारण बताओ नोटिस के अंतर्गत पूछा था, जो 14 फरवरी, 2003 को जारी किया था। खैरनार द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस में यह भी था कि समय समय पर गैरकानूनी सरीके से प्रतिभा बैंक ने संत मुक्ताबाई सहकारी चीनी मिल को ऋण क्यों दिया? उल्लेखनीय है कि गांव के नौजवानों के उत्थान के लिए यह चीनी मिल भी प्रतिभा पाटिल ने ही स्थापित की थी। इसका उद्घाटन स्वयं श्री सोनिया गांधी ने 1999 ने किया था। जैसा कि “द एशियन ऐज” समाचार पत्र ने छापा, प्रतिभा बैंक की ही तरह यह मिल भी बंद हो गई है, 20 करोड़ का ऋण डकारने और नाममात्र की चीनी बनाने के बाद। इस बैंक ने नाकारा लोगों को इस चीनी मिल के शेयर खरीदने के लिए उधार भी दिया। अब जो दो पैरा आने वाले हैं उनको उस ऊ‚ंचे पद को ध्यान में रखकर आंका जाए जिस पर प्रतिभा पाटिल को बैठाने के लिए कोशिश हो रही है। बैंक कर्मचारी संघ ने प्रतिभा पाटिल को भेजे पत्र में लिखा, “आप इस बैंक की संस्थापक अध्यक्ष हैं लेकिन अपने स्वार्थ के कारण आप बैंक को खाई में धकेलना चाह रही हैं।” अब आखिरी पैरा। अपने भावी राष्ट्रपति को जानने के लिए, उस महिला को जानने के लिए जो हमारे संविधान की संरक्षक होगी, इन पंक्तियों को दो बार पढ़ें। बैंक कर्मचारी संघ ने प्रतिभा पाटिल को लिखा- “हमें और हमारे परिवार के लोगों को जान का खतरा है। आपके साथ हमारी बैठक में आपने हमें यह बता दिया है। हालांकि आपने हमें इस खतरे की सूचना दे दी है, पर हम सच की खोज में अपनी जान गंवाने को तैयार हैं। हमें या हमारे परिवारजनों को कुछ होता है, दुर्घटनावश या किसी अन्य कारण से, तो कृपया ध्यान दें, इसकी जिम्मेदार आप होंगी।”अब चर्चा करें उनकी जो इस बैंक के जमाकर्ता थे। वे थीं उस इलाके की गरीब महिलायें, जो कूड़ा बीनकर या सब्जी बेचकर अपना गुजारा करती थीं। और महिलाओं के अधिकारों की पुरोधा, ग्रामीण विकास की भक्त ने क्या किया? 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