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वैचारिक प्रदूषण पर्यावरण प्रदूषण से अधिक खतरनाकगत 18 जुलाई को रिचमण्ड वर्जिनिया (अमरीका) में “अन्तरपांथिक संवाद” आयोजित हुआ। इसमें विभिन्न मत-पंथों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इनमें प्रमुख थे यहूदी पंथ के फ्रान सिदेन, ईसाई मत के मिरियम बेली, इस्लाम के अनेटे खान, जरथ्रूस्ट के फारोक प्रेसवल्ला, हिन्दू धर्म की प्रभा दुनेजा, बौद्ध पंथ के वेन किम कांग, जैनाचार्य एवं राष्ट्रीय एकता समिति के सह संचालक युवाचार्य मुनिश्री लोकेश, सिख मत के बलजीत सिंह सिद्धू आदि। सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए युवाचार्य मुनिश्री लोकेश ने कहा कि धर्म के क्षेत्र में हिंसा, घृणा व आतंक का कोई स्थान नहीं है। धर्म जोड़ना सीखाता है, तोड़ना नहीं। हमें अपने अस्तित्व और विचारों की तरह दूसरों के अस्तित्व व विचारों का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वैचारिक प्रदूषण पर्यावरण प्रदूषण से अधिक खतरनाक है। मुनिश्री ने धर्म को समाज सेवा से भी जोड़ने पर बल दिया। -प्रतिनिधि35
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