श्रीगुरुजी जन्मशताब्दी-समाचार दर्शन
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श्रीगुरुजी जन्मशताब्दी-समाचार दर्शन

by
Apr 2, 2007, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 02 Apr 2007 00:00:00

आंध्र प्रदेश में दो महत्वपूर्ण कार्यक्रमहिन्दुत्व और मीडियापर संगोष्ठी औरसमरसता सम्मेलनगत दिनों श्रीगुरुजी जन्म शताब्दी वर्ष समारोहों के अन्तर्गत आंध्र प्रदेश में दो महत्वपूर्ण कार्यक्रम सम्पन्न हुए। इनमें से एक था “हिन्दुत्व और मीडिया” पर संगोष्ठी, जिसका आयोजन समाचार भारती (आंध्र प्रदेश) ने किया और दूसरा था समरसता सम्मेलन।3 जनवरी, 2007 को समाचार भारती द्वारा आयोजित संगोष्ठी में न्यायमूर्ति एल. नरसिंहा रेड्डी, श्री पी.एल. विश्वेश्वर राव (प्रधानाचार्य, उस्मानिया आर्ट्स कालेज), श्री एम.वी.आर. शास्त्री (सम्पादक, दैनिक आंध्र भूमि), श्री रामचन्द्र मूर्ति (सम्पादक, दैनिक आंध्र ज्योति), वरिष्ठ पत्रकार श्री अशोक मलिक, श्री वर्दचारी, श्री ए.सूर्यप्रकाश, श्री हरिहर शर्मा (अध्यक्ष, समाचार भारती) आदि ने भाग लिया।अपने वक्तव्य में न्यायमूर्ति रेड्डी ने कहा कि हिन्दुत्व एक जीवन पद्धति है और यह सनातन है। इसका आधार इतना मजबूत है कि कोई भी विधर्मी ताकत इसको चुनौती नहीं दे सकती। उन्होंने कहा कि मीडिया का एक वर्ग पूर्वाग्रहग्रस्त है जो हिन्दुत्व को नकारात्मक दृष्टि से ही देखता है। श्री हरिहर शर्मा ने कहा कि हिन्दुत्व के बारे में मीडिया और साधारण जन को पूरी जानकारी नहीं है। श्री पी.एल. विश्वेश्वर राव ने समाचार पत्रों और इलेक्ट्रोनिक मीडिया में अल्पसंख्यकों के आरक्षण की वकालत की ताकि उन्हें इस क्षेत्र में विकास के अधिक अवसर उपलब्ध हों। श्री एम.वी.आर. शास्त्री ने कहा कि समाज को मीडिया में प्रकाशित हर उस बात का विरोध करना चाहिए जो उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचाती हो। श्री रामचन्द्र मूर्ति ने मीडिया की निष्पक्षता का उल्लेख किया और कहा कि इस तरह की शंका नहीं रहनी चाहिए कि हिन्दुत्व पर किसी प्रकार की आंच आ सकती है। श्री अशोक मलिक ने कहा कि प्रत्येक हिन्दू के ह्मदय में हिन्दुत्व के प्रति स्पष्ट धारणा होनी चाहिए। हमें हिन्दुत्व को लेकर किसी प्रकार की राजनीति नहीं करनी चाहिए। प्रथम सत्र के अंत में श्री वर्दचारी ने कहा कि मीडियाकर्मियों को अपने आलेखों में हिन्दुत्व का वास्तविक चित्रण करना चाहिए। अगर किसी को किसी प्रकार की आपत्ति हो तो उसे सम्पादक के नाम पत्र लिखना चाहिए। संगोष्ठी के दूसरे सत्र में वरिष्ठ पत्रकार श्री ए.सूर्यप्रकाश ने कुछ उदाहरणों की मदद से मीडिया में भ्रामक तथ्यों की प्रस्तुति पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मीडिया का एक वर्ग हिन्दुओं और हिन्दुत्व को आक्रामक के रूप में प्रस्तुत करता है जो गलत है। श्री सूर्यप्रकाश ने सरकार की तुष्टीकरण नीति पर चोट करते हुए कहा कि भारत के अधिकांश हिन्दुओं को नहीं मालूम कि ज्यादातर मंदिरों पर राज्य सरकारों का कब्जा है और हुण्डी में जाने वाले श्रद्धालुओं के पैसे का प्रयोग मदरसों और मस्जिदों के निर्माण में किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मैं हिन्दू हूं और मैं नहीं चाहता कि सरकार मेरे मंदिरों का प्रबंधन चलाए।श्रीगुरुजी जन्मशताब्दी समारोह की कड़ी में अगला कार्यक्रम 7 जनवरी को महबूबनगर में पालमूर नामक स्थान पर हुआ। इस विशाल सामाजिक समरसता सम्मेलन को रा.स्व.संघ के सरकार्यवाह श्री मोहनराव भागवत ने संबोधित किया। इस अवसर पर सेंटर फार दलित स्टडीज के संयोजक श्री मल्लैपल्ली लक्ष्मैय्या मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। सम्मेलन में 340 गांव से आए 11,321 गणवेशधारी स्वयंसेवकों के अतिरिक्त बड़ी संख्या में आम नागरिक उपस्थित थे। सम्मेलन से पूर्व नगर के दस स्थानों से पथ संचलन आरंभ होकर एक साथ सभा स्थल पर पहुंचा। पूरा नगर भगवा ध्वजों से सजा हुआ था और सम्मेलन का मंत्र था- समरसता से ही एकता।सम्मेलन शुरू होने से ठीक पहले श्री भागवत और श्री लक्ष्मैय्या ने अन्य विशिष्टजन के साथ बाबा साहब अम्बेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। इसके बाद सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए सरकार्यवाह ने कहा कि समरसता के बिना समाज सबल, सुरक्षित और सम्मानित नहीं रह सकता। देश की प्रगति के लिए भी समरसता नितांत आवश्यक है। देश आज अनेक प्रकार के संकटों से गुजर रहा है, विधर्मी और विनाशकारी ताकतें इस देश को तोड़ना चाहती हैं। देश फिर से गुलाम न हो इसके लिए समाज में एकजुटता आवश्यक है। सरकार्यवाह श्री भागवत ने कहा कि रा.स्व.संघ समाज को एकजुट करने के अपने उद्देश्य में जुटा है। समाज से जात-पात, वर्गभेद मिटें, इसके प्रयास निरंतर जारी रहने चाहिए। समाज के वंचित वर्ग के लिए संघ से अनुप्राणित अनेक संगठन सेवा कार्यों में जुटे हैं।सम्मेलन को संबोधित करते हुए श्री लक्ष्मैय्या ने कहा कि यह सही है कि वंचितों के उद्धार के लिए कई संगठन कार्यरत हैं परंतु फिर भी स्थिति में कोई विशेष अंतर नहीं दिखता है। कुछ स्थानों पर अब भी भेदभाव बरता जाता है। यह स्थिति बदलनी चाहिए। संघ से हमें बहुत उम्मीद है और मैं चाहूंगा कि हिन्दू समाज में यह भेदभाव मिटे। वंचितों के कल्याण के बिना पूरे समाज का कल्याण संभव नहीं है। सब साथ मिलकर चलें तो देश आगे बढ़ेगा। -के. अनिल कुमारछत्तीसगढ़वनवासी विकास समिति का नि:शुल्क चिकित्सा शिविरगत दिनों वनवासी विकास समिति की दुर्ग इकाई (छत्तीसगढ़) द्वारा छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में गांव गोटाटोला में नि:शुल्क चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया। इसमें 1200 से भी अधिक रोगियों की जांच की गई और उन्हें आवश्यक दवाएं दी गईं। वनवासी कल्याण आश्रम के अनेक कार्यकर्ताओं के अलावा विभिन्न रोगों के विशेषज्ञ चिकित्सकों ने शिविर में अपना पूर्ण सहयोग दिया। -प्रतिनिधि29

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