उत्तराखण्ड
July 15, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

उत्तराखण्ड

by
Jan 7, 2007, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 07 Jan 2007 00:00:00

पांच प्रयागों की पुण्य भूमि-डा. केशवानन्द ममगाईंउत्तराखण्ड के अंतर्गत गढ़वाल में देव-सरिताएं एक नहीं, अनेक हैं। भावात्मक धरातल पर उत्तराखण्ड के इस समूचे क्षेत्र का बहुआयामी महत्व है। हिमाच्छादित हिमालय तो है ही, गंगा का उद्गम यहीं से होता है और असंख्य तीर्थों की यह पवित्र धरती है। इसमें बहने वाली हर नदी पावन गंगा का रूप मानी जाती है। हिन्दू मान्यता है कि जहां नदियों का संगम हो वह स्थान प्रयाग कहलाता है। इस दृष्टि से देवभूमि उत्तराखण्ड में अनेक संगम हैं, परन्तु यहां के पांच प्रयाग बहुत ही प्रसिद्ध हैं।देवप्रयागबद्रीनाथ यात्रा मार्ग में सबसे पहला प्रयाग “देवप्रयाग” आता है। इसका असाधारण महत्व इसलिए है कि भागीरथी तथा अलकनन्दा- इन दो देवनदियों का यह संगम-स्थल है। यहां दोनों नदियां अपना अलग अस्तित्व छोड़कर एक हो जाती हैं, “गंगा” नाम से पुकारी जाती हैं। इस संगम की शोभा अनुपम है। ऐसे नयनाभिराम दृश्य हैं जिसे शब्दों में नहीं बांधा जा सकता। नारायण पुराण तथा स्कंध पुराण में देवप्रयाग का वर्णन मिलता है।कहते हैं कि सतयुग में देवशर्मा नामक मुनि ने इस स्थान पर भगवान विष्णु की आराधना की थी। भगवान ने प्रसन्न होकर वर मांगने को कहा। मुनि ने प्रार्थना की, “प्रभु, आपकी प्रीति हम पर और इस क्षेत्र पर सदा बनी रहे। यह क्षेत्र कलियुग में पापों का नाशक हो। आपकी पूजा-आराधना करने वाले को परमगति प्राप्त हो।” भगवान विष्णु ने कहा, “तथास्तु”। साथ ही यह भी कहा कि तुम मोक्ष के अधिकारी बनोगे और यह स्थान तीनों लोकों में विख्यात होगा। यह स्थान तुम्हारे नाम से जाना जाएगा।तीर्थयात्रियों के लिए यहां दूसरा मुख्य आकर्षण रघुनाथजी का मन्दिर है। इसके शिखर के नीचे भगवान राम की विशाल मूर्ति विराजमान है। संगम के उत्तर में गंगा-तट पर वाराह शिला, वेताल शिला, वशिष्ठ तीर्थ, पौष्पमाल तीर्थ, विल्व व सूर्य तीर्थ, भरत जी का मन्दिर है। यहां राजा दशरथ ने भी तपस्या की थी इसलिए यहां दशरथ पर्वत भी है, जिससे शान्ता नदी निकलती है। देवप्रयाग के चारों ओर शिवजी विराजमान हैं, जो क्षेत्रपाल माने जाते हैं। यहां के संगम पर पितृ-श्राद्ध करने का अत्यन्त महत्व है।रुद्रप्रयागदूसरा प्रयाग है रुद्रप्रयाग। यहां मन्दाकिनी तथा अलकनन्दा नदियों का नयनाभिराम संगम है। जब दोनों नदियों का जल यहां पूरे वेग से टकराता है तो लहरें कई-कई फुट ऊपर तक उछल जाती हैं। दृष्टि ठहरती नहीं, तृप्ति होती नहीं। यहां रुद्रनाथ जी का मन्दिर है। केदारखण्ड के अनुसार यहां पर नारद जी ने संगीत विद्या की कामना से शिवजी की आराधना की थी। तब शिवजी ने प्रसन्न होकर उन्हें संगीत विद्या का सम्पूर्ण ज्ञान दिया। यहां का प्राकृतिक दृश्य बड़ा ही मनमोहक है।कर्णप्रयागकर्ण प्रयाग तीर्थ में पिण्डर तथा अलकनन्दा नदियों का सुन्दर संगम है। दूर से देखने पर संगम का दृश्य मनोरम प्रणवाकार दिखाई देता है। यहां एक प्रसिद्ध शिवालय है। संगम के सामने ही उमा देवी का प्राचीन मंदिर है। दानवीर कर्ण ने देवी उमा का आश्रय लेकर अजेय बनने के लिए यहां सूर्य देव की आराधना की थी, जिसके फलस्वरूप उसे अभेद्य कवच तथा अक्षय धनुष प्राप्त हुआ था। तब से ही इस स्थान का नाम कर्णप्रयाग पड़ा। कर्णप्रयाग बद्रीनाथ मार्ग में आता है। प्रयाग है, अत: यहां पर स्नान-दान का महत्व जग-प्रसिद्ध है। वैसे भी संगम पर पितरों को तर्पण देने का महात्म्य है।नन्दप्रयागयह चौथा प्रयाग अत्यंत प्राचीन और पुण्य माना जाता है। यहीं से थोड़ा आगे स्थूल बदरी है। बदरी क्षेत्र के चार रूप बताए गए हैं। स्थूल (नन्दप्रयाग से विष्णुप्रयाग तक), सूक्ष्म (विष्णुप्रयाग से देव देखनी तक), अतिसूक्ष्म (देव देखनी से ऋषिगंगा तक), विशुद्ध क्षेत्र (ऋषि गंगा से माना तक)। नन्दप्रयाग का एक नाम कण्वाश्रम भी है। नन्दप्रयाग में नन्दा व अलकनन्दा का संगम है। यहां गोपालजी का मन्दिर है। यहां से बद्रीनाथ 82 कि.मी. दूर है। कहते हैं नन्द राजा ने यहां यज्ञ किया था, इस कारण इस स्थान का नाम नन्दप्रयाग पड़ा। यहां लक्ष्मीनारायणजी का भी प्रसिद्ध मंदिर है।विष्णुप्रयागलोक मान्यता के अनुरूप के यह पांचवां प्रयाग है। यहां से आगे की पर्वत-श्रृंखलाओं को गंधमादन कहते हैं। इस पर्वत श्रृंखला में दाईं ओर के पर्वतों को नर तथा बाईं ओर के पर्वतों को नारायण पर्वत कहते हैं। यहां विष्णुगंगा एवं अलकनन्दा नदियों का संगम है। यहां विष्णुगंगा को धौलीगंगा भी कहते हैं। इसका प्रचण्ड प्रवाह देखने से भय लगता है। संगम का स्थान संकुचित है। कहा जाता है कि नारद जी ने यहां पर पंचाक्षरी मंत्र का जाप करके भगवान को प्रसन्न किया था और यह वरदान प्राप्त किया था कि वे स्थायी रूप से यहीं विराजें। तब से भगवान विष्णु का वास यहां पर है। यहीं विष्णु भगवान का भी मन्दिर है।18

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

समोसा, पकौड़े और जलेबी सेहत के लिए हानिकारक

समोसा, पकौड़े, जलेबी सेहत के लिए हानिकारक, लिखी जाएगी सिगरेट-तम्बाकू जैसी चेतावनी

निमिषा प्रिया

निमिषा प्रिया की फांसी टालने का भारत सरकार ने यमन से किया आग्रह

bullet trtain

अब मुंबई से अहमदाबाद के बीच नहीं चलेगी बुलेट ट्रेन? पीआईबी फैक्ट चेक में सामने आया सच

तिलक, कलावा और झूठी पहचान! : ‘शिव’ बनकर ‘नावेद’ ने किया यौन शोषण, ब्लैकमेल कर मुसलमान बनाना चाहता था आरोपी

श्रावस्ती में भी छांगुर नेटवर्क! झाड़-फूंक से सिराजुद्दीन ने बनाया साम्राज्य, मदरसा बना अड्डा- कहां गईं 300 छात्राएं..?

लोकतंत्र की डफली, अराजकता का राग

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

समोसा, पकौड़े और जलेबी सेहत के लिए हानिकारक

समोसा, पकौड़े, जलेबी सेहत के लिए हानिकारक, लिखी जाएगी सिगरेट-तम्बाकू जैसी चेतावनी

निमिषा प्रिया

निमिषा प्रिया की फांसी टालने का भारत सरकार ने यमन से किया आग्रह

bullet trtain

अब मुंबई से अहमदाबाद के बीच नहीं चलेगी बुलेट ट्रेन? पीआईबी फैक्ट चेक में सामने आया सच

तिलक, कलावा और झूठी पहचान! : ‘शिव’ बनकर ‘नावेद’ ने किया यौन शोषण, ब्लैकमेल कर मुसलमान बनाना चाहता था आरोपी

श्रावस्ती में भी छांगुर नेटवर्क! झाड़-फूंक से सिराजुद्दीन ने बनाया साम्राज्य, मदरसा बना अड्डा- कहां गईं 300 छात्राएं..?

लोकतंत्र की डफली, अराजकता का राग

उत्तराखंड में पकड़े गए फर्जी साधु

Operation Kalanemi: ऑपरेशन कालनेमि सिर्फ उत्तराखंड तक ही क्‍यों, छद्म वेषधारी कहीं भी हों पकड़े जाने चाहिए

अशोक गजपति गोवा और अशीम घोष हरियाणा के नये राज्यपाल नियुक्त, कविंदर बने लद्दाख के उपराज्यपाल 

वाराणसी: सभी सार्वजनिक वाहनों पर ड्राइवर को लिखना होगा अपना नाम और मोबाइल नंबर

Sawan 2025: इस बार सावन कितने दिनों का? 30 या 31 नहीं बल्कि 29 दिनों का है , जानिए क्या है वजह

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies