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प्रो. मो. शब्बीर ने अमरीकी छात्रा का यौन शोषण किया तो फरहा अजीज को मुस्लिम छात्रों ने टीशर्ट पहनने पर अपमानित किया
अ.मु.वि. प्रशासन का पक्षपाती रवैया
हिन्दू छात्र-छात्राओं को परेशान किए जाने की घटनाएं अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में अक्सर होती ही रहती हैं। इस बीच वहां की छात्राओं के प्रति बढ़ते अपराध तथा इन मामलों में विश्वविद्यालय प्रशासन के आपत्तिजनक रवैये ने कई प्रश्न खड़े कर दिए हैं। पिछले वर्ष अमरीका से आई एक शोध छात्रा के विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रोफेसर द्वारा यौन उत्पीड़न की घटना ने सबको सकते में डाल दिया था। हालांकि एक वर्ष से अधिक समय के बाद ही सही, विश्वविद्यालय प्रशासन ने आरोपी प्रोफेसर को गत 16 मई को निलंबित कर दिया है, लेकिन इसी वर्ष 2 फरवरी को एक छात्रा के साथ छेड़छाड़ के मामले पर विश्वविद्यालय प्रशासन का रवैया हैरत में डालने वाला है। प्रशासन दोषियों को सजा देने की बजाय पीड़िता के चरित्र पर ही उंगली उठा रहा है।
उल्लेखनीय है कि गत वर्ष मार्च महीने में अमरीका से आई एक 30 वर्षीय शोध छात्रा ने विधि विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर मोहम्मद शब्बीर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। यह छात्रा विश्वविद्यालय जाने वाली महिलाओं और मुस्लिम पर्सनल ला पर उनकी सोच के बारे में शोध कर रही थी। पीड़िता की शिकायत पर विश्वविद्यालय के महिला शिकायत प्रभाग ने इस मामले को उठाया जिसकी बाद में शमीम जहां रिजवी की अध्यक्षता वाले एक पांच सदस्यीय दल ने जांच की। जांच दल की सदस्य तथा महिला कालेज की प्राचार्या अमीना के अनुसार प्रारंभिक जांच में मिले साक्ष्यों से साफ पता चलता है कि प्रोफेसर शब्बीर ने छात्रा के साथ यौन दुव्र्यवहार किया था। विश्वविद्यालय के प्रवक्ता राहत अबरार ने बताया कि जांच दल की अनुशंसा पर कुलपति ने प्रो. मोहम्मद शब्बीर को निलंबित कर दिया है।
उधर प्रो. शब्बीर का कहना है कि गत वर्ष मार्च महीने में आरोप पत्र की एक प्रति उनके पास भेजी गई जिसका उन्होंने विस्तृत जवाब दिया था। उसके बाद अब 14 महीने के बाद जांच समिति की अनुशंसा पर उन्हें निलंबित किया गया है। प्रो. मोहम्मद शब्बीर 1978 से अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में पढ़ा रहे हैं। इस दौरान 7 वर्ष तक उन्होंने मलेशिया के अंतरराष्ट्रीय इस्लामिक विश्वविद्यालय में भी अध्यापन कार्य किया। उनके आरोपों का जवाब देते हुई जांच दल की सदस्या अमीना ने कहा कि मोहम्मद शब्बीर द्वारा भेजा गया विस्तृत जवाब आगे की कार्रवाई के लिए पर्याप्त था इसलिए जांच दल ने उन्हें व्यक्तिगत रूप से बुलाना उचित नहीं समझा।
उधर, एक-दूसरे मामले में भी विश्वविद्यालय प्रशासन पर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाया गया है। वामपंथी संगठन सहमत ने कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की छात्रा फरहा अजीज के साथ छेड़छाड़ की घटना की जांच कर रहे महिला विभाग की रपट में दोषियों को सजा देने की बजाय पीड़िता को दोषी बताया गया है। उल्लेखनीय है कि इस वर्ष 2 फरवरी को मोटर साइकिल पर सवार दो छात्र फरहा की शाल खींचकर भाग गए थे। छात्रा इस शॉल को अपने शरीर पर दुपट्टे की तरह डाले हुई थी। दरअसल, फरहा अक्सर अपने कालेज जींस और टी-शर्ट पहनकर आया करती थी। यह बात उसकी कक्षा के कुछ मुस्लिम छात्रों को पसंद नहीं थी। ये लोग छात्रा पर छींटाकशी भी करते थे। इन लोगों ने फरहा को कालेज में पश्चिमी चाल-ढाल के कपड़े न पहनकर आने की चेतावनी दी तथा उसे विश्वविद्यालय के “ड्रेस कोड” के अंतर्गत सलवार- कमीज और दुपट्टा पहनाने को कहा। सहमत के अनुसार विश्वविद्यालय की ओर से मामले की जांच के लिए गठित महिला प्रकोष्ठ दोषियों को सजा दिलाने में नाकाम तो रहा ही, उल्टे इसने पीड़िता को ही दोषी ठहरा दिया। इस संस्था ने राष्ट्रीय महिला आयोग से इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की है। प्रतिनिधि
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