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हम करें तो गलत, आप करें तो ठीकऔर अब मध्य प्रदेश में कांग्रेसी और वामपंथी खेमा पाठ्यपुस्तकों को लेकर खेमेबाजी पर उतर आया है। भोपाल में कांग्रेस और कम्युनिस्ट नेताओं ने म.प्र. शासन द्वारा प्राथमिक एवं मिडिल कक्षाओं की पाठ्पुस्तकों में किए गए कतिपय संशोधनों पर आपत्ति जताई है। आरोप लगाया गया है कि म.प्र. सरकार ने पण्डित नेहरू से सम्बंधित अंश पाठ्यपुस्तकों से हटा दिए हैं। उल्लेखनीय है कि हाल ही में म.प्र. सरकार द्वारा कुछ पाठ्यपुस्तकों का पुनर्लेखन कराया गया है। यह कार्य उस सरकारी नीति के अन्तर्गत हो रहा है जिसमें प्रत्येक पांच वर्ष पर पाठ्यपुस्तकों के पुनर्लेखन का प्रावधान है ताकि समयानुकूल परिवर्धन एवं परिवर्तन पाठ्पुस्तकों में होते रहें। इसी क्रम में म.प्र. सरकार ने राज्य की प्राथमिक कक्षाओं में पहली कक्षा की हिन्दी की पाठ्यपुस्तक में उल्लिखित चाचा नेहरू से सम्बंधित कविता को यह कहते हुए हटाने का निर्णय किया कि अत्यधिक कम आयु वर्ग के बच्चों के लिए पाठ्यसामग्री भी उनकी समझ व बाल मनोविज्ञान के अनुरूप होनी चाहिए। पुस्तक लेखन के लिए गठित शिक्षाविदों की समिति ने इसकी जगह पर्यावरण और बच्चों के परिवेश से सम्बंधित बातों के समावेश को स्वीकृति दी। समिति ने पहली कक्षा की अंग्रेजी की पुस्तक से “ट्विंकल-टिं्वकल लिटिल स्टार” कविता हटाकर एक नई अंग्रेजी कविता का समावेश किया है। अब जो नई कविता है उसका शीर्षक है- “कम लिटिल चिल्ड्रन कम टू मी।” समिति के सदस्यों ने दूसरी कविता को बच्चों के मनोविज्ञान के ज्यादा अनुकूल मानकर इसे स्वीकृति देने का निर्णय लिया है। बस इन्हीं संशोधनों पर बवाल शुरू कर दिया गया। आरोप यह भी लगाया गया है कि कक्षा 7 की हिन्दी की पाठ्पुस्तक से भी पं. नेहरू का पाठ हटा दिया गया है। पाञ्चजन्य प्रतिनिधि ने इन आरोपों की पड़ताल की तो मामला दूसरा ही निकला। यह सही है कि कक्षा 7 की हिन्दी की पुस्तक से पं. नेहरू का “पिता का पत्र पुत्री के नाम” नामक अध्याय हटाया गया है किन्तु इसके स्थान पर पं. नेहरू द्वारा लिखी गई वसीयत को “कमला” नामक पाठ के रूप में स्थान दिया गया है। समिति ने इस वसीयत में वर्णित कुछ मूलभूत बातों को बच्चों के मानस और जीवन में देशभक्ति व अन्य सद्गुणों के विकास हेतु ज्यादा उपयोगी पाया है। दूसरी तरफ यह तथ्य छुपाया गया है कि म.प्र. में अभी भी कक्षा 2 से लेकर कक्षा 8 तक हिन्दी की सभी पाठपुस्तकों में पं. नेहरू किसी न किसी रूप में हैं। अब जरा तस्वीर का दूसरा पहलू देखिए। एन.सी.ई.आर.टी. और दिल्ली की शीला दीक्षित सरकार ने जो पाठ्य पुस्तकें प्रकाशित की हैं, उनमें पं. नेहरू को कितना स्थान और सम्मान दिया गया है? एन.सी.ई.आर.टी ने कक्षा 1 और कक्षा 3 के लिए रिमझिम नामक जो नई पुस्तक प्रकाशित की है, दोनों में पं. नेहरू कहीं नहीं हैं। स्वयं दिल्ली सरकार की पहली से चौथी कक्षा की हिन्दी की पुस्तकों के किसी कोने में पं. नेहरू का उल्लेख तक नहीं है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा सम्पूर्ण प्रकरण पर की गई टिप्पणी यहां उल्लेखनीय है। श्री चौहान के अनुसार, “देश की आजादी की लड़ाई में एक से एक क्रांतिवीरों ने अपना-अपना योगदान दिया। म.प्र. में ऐसे वीरों की मालिका बहुत बड़ी है। सवाल है कि हम इसके बारे में भावी पीढ़ी को कुछ बताएं अथवा नहीं? क्या आजादी सिर्फ एक वंश या परिवार की ही देन है? निश्चित रूप से अपने देश-प्रदेश की गौरवमयी परम्परा और महापुरुषों के बारे में क्रमश: बच्चों को जानकारी दी जानी चाहिए। सरकार ऐसे सभी महान पुरुषों के जीवन चरित्र को पाठपुस्तकों में शामिल करना चाहती है। इसमें किसी के निरादर या किसी की अवमानना का प्रश्न ही नहीं है।”27
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