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और आज आतंकवादी हो गए?जिसकी कल्पना भी कोई नहीं कर सकता, भारत में इस्लामी जिहादी वह सब करने पर उतारू हैं। लोभ-लालच, छल-छद्मपूर्वक जिहादियों द्वारा तमिलनाडु में मतांतरण का खतरनाक खेल खेला जा रहा है। निशाने पर हिन्दू समाज के वे लोग हैं जिनके सामने हमारी व्यवस्था और सामंती मानसिकता ने ठीक से गुजर-बसर कर सकने की समस्या खड़ी कर रखी है। परिणामत: बड़ी संख्या में अनुसूचित जाति के लोगों को पहले मुसलमान बनाया जा रहा है और कालांतर में उनके हाथों में हथियार थमाकर उन्हीं से आतंकवादी योजनाओं का क्रियान्वयन भी कराया जा रहा है। हाल ही में जब खुफिया एजेंसियों को इन सारे क्रिया-कलापों के पीछे मनिया नीथी पसरई (ह्रुमन जस्टिस फोरम) अर्थात एम.एन.पी. की भूमिका के बारे में पता चला तो उनके होश ही उड़ गए। इण्डियन एक्सप्रेस के मुख पृष्ठ पर गत 27 जुलाई, 2006 को प्रकाशित समाचार के अनुसार गत 22 जुलाई से तमिलनाडु पुलिस ने कोयम्बतूर में आतंकी योजना बना रहे 22 एम.एन.पी. कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ की तो सारा कुचक्र सामने आ गया। इन गिरफ्तार लोगों में अतीकुर रहमान और टीपू सुल्तान नामक दो व्यक्ति ऐसे थे, जो एक वर्ष पूर्व ही मुसलमान बने हैं। दोनों को इस्लामिक अध्ययन केन्द्र, जिसे “अरिवगम” कहते हैं, में मतांतरित कर मजहबी तालीम भी दी गई। “अरिवगम” में प्रत्येक चौथे महीने यानी एक वर्ष में 3 बार दलित हिन्दुओं के सामूहिक मतांतरण कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। प्रत्येक कार्यक्रम में 50 से अधिक हिन्दुओं को मतांतरित किया जाता है और ये लगभग समूचे तमिलनाडु और पड़ोसी राज्य केरल से विभिन्न मौलवियों, एम.एन.पी. कार्यकर्ताओं या लीगी मुसलमानों द्वारा भेजे जाते हैं। अधिकतर बेरोजगार और गरीब युवक ही मतांतरण के इस कुचक्र के शिकार होते हैं। पिछले पांच सालों से लगातार चल रहे इस मतांतरण के भयानक खेल में अब तक 2,500 हिन्दुओं को शिकार बनाया जा चुका है। दलित हिन्दुओं को रोजगार आदि की दृष्टि से खुला प्रलोभन देकर अरिवगम लाया जाता है। मुसलमान बनने के बाद उनके लिए कहीं छोटी-मोटी दुकान, ठेला, सब्जी आदि बेचने के लिए सहायता मुहैया कराई जाती है और कालांतर में अधिक पैसे कमाने का लालच देकर आतंकवाद की आग में झोंक दिया जाता है। मतांतरितों में अधिकांशत: किशोर वय लड़के होते हैं। इनके ही माध्यम से बाद में उनके परिवारों को भी मुस्लिम बना लिया जाता है। मतांतरित युवकों को मजहबी शिक्षा, आवास, कपड़े, भोजन आदि मुफ्त उपलब्ध कराए जाते हैं। हिन्दू लड़कियों का भी मतांतरण किया जा रहा है। उनके लिए बाकायदा “इरूवदी” नामक संस्थान अलग से अपनी गतिविधियां चलाता है। इन लड़के-लड़कियों के विवाह का आयोजन भी कट्टरपंथियों द्वारा ही किया जाता है। इस भयानक कुचक्र का असर तमिलनाडु में किस हद तक हो रहा है, इसे मथुथेवनपट्टी नामक दलित हिन्दुओं के गांव के ई.एन. करुपिया बताते हैं, “गांव के कम से कम 50 दलित परिवारों के लगभग 500 लोग मतांतरित हो चुके हैं।”मदनी की मालिशकोयम्बतूर काण्ड के मुख्य आरोपी अब्दुल नसीर मदनी पर केरल और तमिलनाडु सरकारें विशेष ध्यान दे रही हैं। अंग्रेजी दैनिक इण्डियन एक्सप्रेस में दिनांक 24 जुलाई, 2006 को प्रकाशित एक समाचार के अनुसार करुणानिधि सरकार ने केरल की अच्युतानन्दन सरकार की सिफारिश पर कोयम्बतूर जेल में मदनी की विशेष आयुर्वेदिक चिकित्सा के प्रबंध किए हैं। जेल में मदनी की आयुर्वेदिक पद्धति से मालिश होती है और इस कार्य में 10 लोग रोज लगते हैं। अत्यंत कड़ी सुरक्षा वाली मदनी की बैरक में मदनी के आराम का खास ख्याल सरकार रख रही है। शायद ही कोई आधुनिक चिकित्सा सुविधा हो जो जेल में फिलहाल मदनी को उपलब्ध नहीं है। मदनी की पत्नी सूफिया, जिसके विरुद्ध गैर जमानती वारंट लम्बित था, ने आत्मसमर्पण किया। उसे गिरफ्तार किया गया पर तुरंत जमानत भी दे दी गई। इससे पहले ही सूफिया को द्रमुक सरकार द्वारा मदनी के साथ प्रतिदिन कुछ समय रहने की अनुमति दे दी गई थी। समाचारों के अनुसार, मदनी की निजी आयुर्वेदिक चिकित्सा पर हो रहे सम्पूर्ण व्यय का वहन भी तमिलनाडु सरकार कर रही है यद्यपि नियम यह है कि यदि किसी कैदी को सरकारी चिकित्सा के अतिरिक्त निजी चिकित्सा लेने की जरुरत हो तो उसका खर्च कैदी के परिजनों को ही वहन करना पड़ता है। उधर जमानत के बाद सूफिया को 11 अगस्त और उसके बाद हर सुनवाई के दिन अदालत में हाजिर होने को कहा गया है। धारा 353 और 506 के अंतर्गत उसके खिलाफ मामले दर्ज हैं।10
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