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-जम्मू से खजूरिया एस. कांत
बाबा अमरनाथ के पवित्र प्राकृतिक शिवलिंग को लेकर छिड़े विवाद के बावजूद अमरनाथ यात्रियों के उत्साह में कोई कमी नहीं है। प्रतिदिन लगभग 10 हजार दर्शनार्थी बाबा के दर्शनों का पुण्य लाभ प्राप्त कर रहे हैं। देश के सुदूरवर्ती क्षेत्रों से पवित्र अमरनाथ की यात्रा पर आने वालों का प्रवाह आतंकवादी हमलों, तमाम अफवाहों के बावजूद कम नहीं हुआ है। तीर्थयात्रियों को बाबा के पवित्र प्राकृतिक शिवलिंग के साथ की गई छेड़छाड़ की चर्चा की भी परवाह नहीं है। ऐसे ही एक सवाल पर एक श्रद्धालु ने पाञ्चजन्य संवाददाता से कहा, “शिवलिंग के साथ छेड़छाड़ की अफवाहें बाबा और गुफा के प्रति हमारी श्रद्धा और आस्था को डिगा नहीं सकतीं।” यात्रियों में से कई का यह भी मानना है कि श्री अमरनाथ गुफा का महात्म्य बाबा के शिवलिंग के महात्म्य की तरह ही पवित्र और महत्वपूर्ण है क्योंकि इसी पवित्र गुफा में भगवान शंकर ने माता पार्वती को अमर कथा का उपदेश दिया था। पूरे यात्रा मार्ग पर आस्था और भक्ति का सैलाब हिलोरें लेता दिखाई देता है। हजारों लोग बालटाल और पहलगाम के रास्ते सभी प्रकार के कष्ट व दु:खों को भूलकर बाबा के नाम की जय जयकार करते हुए रोज दर्शन के लिए बढ़ते हैं। उन्हें देख ऐसा लगता है कि मानो सारा हिन्दुस्थान ही कश्मीर की ओर उमड़ आया है। श्रद्धालुओं में से अनेक ने यह भी बताया कि निहित स्वार्थों के कारण हिन्दू विरोधी तत्व शिवलिंग के साथ छेड़छाड़ का मुद्दा उठाकर यात्रा में विघ्न पैदा करने की कोशिश में हैं। विश्व हिन्दू परिषद्, जम्मू-कश्मीर के प्रदेश अध्यक्ष श्री रमाकांत दुबे कहते हैं, “यह हिन्दुओं की भावनाओं को आहत करने की कोशिश है।” दूसरी ओर कृत्रिम शिवलिंग का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। श्री अमरनाथ गुफा बोर्ड ने हाल ही में एक बयान देकर इसे और तूल दे दिया है कि “पहले भी शिवलिंग पर बर्फ ढकी जाती रही है। इसके पीछे भक्तों की भावनाओं को आहत करने का कोई इरादा नहीं रहता है।” लेकिन कहा जा रहा है कि कृत्रिम शिवलिंग बनाने के पीछे एक गहरा षडंत्र है। कश्मीर में सेकुलर मीडिया का एक वर्ग इन दिनों यह हवा भी बना रहा है कि अमरनाथ यात्रा कश्मीर और कश्मीरियों के हित में नहीं है।
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