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-सविता चड्ढाकमजोर और निरीहसिंह सी हुई खड़ीअधिकारों के लिए भिड़ी,मांग कर ही नहींशक्ति बन जो चली,ये कलम की ताकत हैआपके समक्ष होकरअपनी बात कहने का,साहस और भरोसा,सुनने और सुनाने का,समझने समझाने का गुरकलम से ही पाया है,ये कलम की ताकत है।करोड़ करोड़ जन तकआवाज पहुंच
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