असम के समाज कल्याण विभाग में नियुक्त 300 कर्मचारियों में से 250 अल्पसंख्यक!
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असम के समाज कल्याण विभाग में नियुक्त 300 कर्मचारियों में से 250 अल्पसंख्यक!

by
Jan 10, 2006, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 10 Jan 2006 00:00:00

जांच अधिकारियों को संदेह, सरकारी विभागों मेंआई.एस.आई. की घुसपैठ?कांग्रेस शासित असम से एक और चौंकाने वाली खबर आई है। राज्य सतर्कता विभाग की जांच से पता चला है कि वर्ष 2005 में समाज कल्याण विभाग में नियुक्त 300 कर्मचारियों में से 250 अल्पसंख्यक समुदाय से हैं और वे कथित तौर पर आई.एस.आई. के एजेन्ट हैं। जांच से यह भी पता चला है कि इन सबकी नियुक्ति समाज कल्याण विभाग के निदेशक सी.आर. कालिता एवं उप निदेशक आई. आलम ने प्रति व्यक्ति 50 हजार से 1 लाख रुपए घूस लेकर की है। इस नियुक्ति के लिए न तो किसी तरह का विज्ञापन निकाला गया और न ही अन्य सरकारी नियमों का पालन किया गया। गुपचुप तरीके से नियुक्त किए गए इन कर्मचारियों की नौकरी पक्की भी कर दी गई है। उल्लेखनीय है कि कुछ समय पहले गुवाहाटी के एक अखबार ने इस मुद्दे को उछाला था। इसके बाद आरोपों से घिरी राज्य सरकार ने सतर्कता विभाग को जांच करने का आदेश दिया था। पुलिस उपाधीक्षक (सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक) हरमोहन काकोती ने इसकी जांच की और आरोपों को सत्य पाया। सतर्कता आयोग ने यह भी कहा है कि हो सकता है विभाग में पाकिस्तानी एजेन्ट घुस आए हैं। किन्तु किसी अदृश्य शह के कारण उन कर्मचारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।असम गण परिषद् के महासचिव दिलीप कुमार सैकिया ने सतर्कता विभाग की जांच से मिली जानकारी को चौंकाने वाला बताया है। जांच रपट में 250 कर्मचारियों में से कुछ पर आई.एस.आई. एजेन्ट होने की शंका व्यक्त की गई है। जांच अधिकारी श्री काकोती ने अपनी रपट में सलाह दी है कि अदालत को स्वयं पहल कर उन कर्मचारियों के कागजातों एवं तथ्यों की जानकारी लेनी चाहिए। असम गण परिषद् ने प्रधानमंत्री, केन्द्रीय गृहमंत्री, सामाजिक न्याय मंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता एवं असम के राज्यपाल को रपट की प्रतियां भेज कर इस मामले की केन्द्रीय जांच ब्यूरो से जांच कराने की मांग की है, क्योंकि यह देश की आन्तरिक सुरक्षा के लिए खतरा है।असम गण परिषद् ने कल्याण विभाग के निदेशक एवं उप निदेशक पर आरोप लगाए हैं कि उन्होंने आई.एस.आई. के इशारे पर उसके एजेन्टों की बहाली की है। परिषद् ने यह भी कहा है कि इस नियुक्ति के लिए उप निदेशक ने 2 करोड़ रुपए लिए और निदेशक को प्रति कर्मचारी 30 हजार रुपए दिए गए। सूत्रों का कहना है कि इसकी रपट राज्य सरकार को जुलाई 2005 में ही प्राप्त हो गई थी, किन्तु उसने कोई कार्रवाई अब तक नहीं की है। -बासुदेब पाल31

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