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गत 16 सितम्बर को हवाना में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह व राष्ट्रपति जनरल मुशर्रफ के बीच वार्ता के बाद जारी संयुक्त वक्तव्य का मूल पाठ इस प्रकार है-हवाना में जनरल मुशर्रफ और डा. मनमोहन सिंह के बीच भारत-पाकिस्तान संबंधों से जुड़े लगभग सभी पहलुओं पर सौहार्दपूर्ण ढंग से अत्यंत खुले और विस्तृत रूप में विचारों का आदान-प्रदान हुआ। संवाद प्रक्रिया को आगे बढ़ाने पर सहमति व्यक्त करते हुए दोनों नेताओं ने 6 जनवरी, 2004, 24 सितम्बर, 2004, 18 अप्रैल, 2005 और 14 अप्रैल, 2005 के संयुक्त वक्तव्यों के क्रियान्वयन के प्रति प्रतिबद्धता और दृढ़ता पर जोर दिया।दोनों नेता इस बात पर सहमत थे कि शांति प्रक्रिया जारी रहनी चाहिए। इसकी सफलता दोनों देशों के साथ-साथ सम्पूर्ण क्षेत्र के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है। इस सन्दर्भ में, दोनों देशों ने अपने विदेश सचिवों को निर्देशित किया कि वे शीघ्रातिशीघ्र परस्पर संवाद को दुबारा प्रारम्भ करें।दोनों नेता मुम्बई बमकाण्ड के बाद मिले थे। उन्होंने हर तरह की आतंकवादी गतिविधि की कड़ी निन्दा करते हुए सहमति व्यक्त की कि आतंकवाद एक अभिशाप है और इससे प्रभावी ढंग से निपटा जाना चाहिए। यह निर्णय भी लिया गया कि दोनों देश एक संयुक्त आतंकवाद प्रतिरोधी संस्थागत तंत्र का निर्माण कर इसके द्वारा आतंकवाद के विरुद्ध उठाए जाने वाले कदमों और जांच प्रक्रिया के मुद्दों को चिन्हित व क्रियान्वित करेंगे।नेताओं ने दोनों देशों के बीच गंभीरतापूर्वक एवं उद्देश्यपूर्ण ढंग से जम्मू-कश्मीर सहित सभी मुद्दों पर परस्पर स्वीकार्य संभावित शांतिपूर्ण समझौतों को संयुक्त रूप से खोजने की बात कही। जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर पहले भी लाभकारी बातचीत हो चुकी है। मतभेदों को भुलाकर सहयोग को बढ़ाने की जरूरत है। दोनों नेताओं ने अपने विदेश सचिवों को निम्नांकित निर्देश भी दिए-दोनों देशों के विदेश सचिव शीघ्र ही नई दिल्ली में समग्र बातचीत शुरु करने के लिए मिलेंगे।सियाचिन मुद्दे के जल्दी समाधान के लिए विचारों का आदान-प्रदान सुलभ करेंगे।सर क्रीक और उससे जुड़े क्षेत्र के संयुक्त सर्वे हेतु दोनों देशों के विशेषज्ञ मिलें। इस पर एक-दूसरे की स्थिति को लेकर परामर्श हों। सर्वे नवम्बर, 2006 में प्रारम्भ होगा। विशेषज्ञ समुद्री सीमा पर भी विचार विमर्श प्रारम्भ करें।दोनों पक्ष उन समझौतों और सहमतियों के क्रियान्वयन को सुगम करें जो नियंत्रण रेखा से सम्बंधित विश्वास बढ़ाने वाले कदमों, जैसे बस सेवा, आर-पार जाने वाले रास्तों और ट्रक सेवा से हासिल हुए हैं।पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने भारत के प्रधानमंत्री को पाकिस्तान के दौरे का निमंत्रण दिया। प्रधानमंत्री ने इस संदर्भ में उन्हें धन्यवाद ज्ञापित किया और कहा कि वह कूटनीतिकों द्वारा निर्धारित किसी समय पर एक उद्देश्यपूर्ण दौरे के इंतजार में हैं।11
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