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रा.स्व. संघ के सरकार्यवाह मोहनराव भागवत का अमरीका प्रवास
हिन्दू संगम के मंच पर उपस्थित हैं (बाएं से) उप महापौर सुश्री वेंग, प्रो. वेद नंदा, श्री मोहनराव भागवत, महापौर लोवनथल, श्री राज भनोट एवं श्री संजीव अग्रवाल
न्यू जर्सी में हिन्दू संगम में (बाएं से) प्रो. वेद नंदा, स्वामी दयानंद सरस्वती और श्री मोहनराव भागवत
नन्हे बालकों द्वारा प्रस्तुत रामायण नाटिका के दो दृश्य- (बाएं से) लव-कुश और (दाएं) राम और रावण की सेनाओं में युद्ध
हिन्दू संगम में उपस्थित प्रवासी हिन्दू
नृत्य प्रस्तुत करती हुई हिन्दू बालाएं
9सितम्बर को अमरीका में क्यूपरटिनो स्थित डे अंजा कालेज में अद्भुत दृश्य था। अमरीका भर से 16000 से अधिक हिन्दू विशाल हिन्दू संगम का हिस्सा बनने एकत्रित हुए थे। हिन्दू ज्ञान, संस्कृति और अध्यात्म का वह एक दिवसीय उत्सव असाधारण रहा। इस अवसर पर 40 अन्य स्थानीय संगठनों की मदद से हिन्दू स्वयंसेवक संघ द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में हिन्दुओं द्वारा गत हजारों वर्षों से संस्कृति और अध्यात्म के क्षेत्र में किए योगदानों का विहंगम प्रदर्शन हुआ। यह समारोह श्रीगुरुजी जन्मशताब्दी वर्ष के निमित्त आयोजित हुआ था।
11 सितम्बर की आतंकवादी घटना की पृष्ठभूमि में विश्व शांति हेतु यज्ञ के साथ दिनभर के कार्यक्रम शुरू हुए। आठ भिन्न-भिन्न स्थलों पर आयुर्वेद, संस्कृति, धर्म वेदि (धार्मिक दर्शन) प्रदर्शन, हिन्दू थीम पार्क, संस्कृत, योग और युवा गतिविधियों से जुड़े कार्यक्रम चले, जिनमें हिन्दू महिला-पुरुषों-बच्चों ने सहर्ष भाग लिया। इसके बाद 300 बालक-बालिकाओं ने रामायण नाटिका का मंचन किया। हिन्दू संगम के मुख्य अतिथि थे रा.स्व.संघ के सरकार्यवाह श्री मोहनराव भागवत। श्री भागवत ने अपने संबोधन में हिन्दुओं से विविधता में एकजुटता स्थापित करने का आह्वान किया। कार्यक्रमों का अंत सुप्रसिद्ध गायिका अनुराधा पौडवाल की संगीतमय प्रस्तुतियों से हुआ।
दिनभर कालेज का प्रांगण वैदिक मंत्रोच्चार से गुंजायमान रहा। धूप-अगरबत्तियों की महक से स्निग्ध वातावरण में परमपिता परमात्मा का स्तुतिगान हुआ। विश्व शांति यज्ञ सम्पन्न हुआ। कार्यक्रमों का उद्घाटन किया सान जोस की उप महापौर सुश्री सिंडी चावेज ने। उन्होंने कहा कि उन्हें यहां उपस्थित होकर गर्व का अनुभव हो रहा है। हिन्दू संस्कृति पर आधारित कार्यक्रमों में अतिथियों ने उत्साह से भाग लिया। रंगारंग पोषाक पहने युवाओं ने लोकनृत्य प्रस्तुत किए। नेपाल और फिजी की संस्कृति की भी झलक दिखाई दी। इस कला संगम कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे फ्रीमोंट हिन्दू मंदिर के न्यासी और समाज के नेता डा. रोमेश जपरा। युवा संगम में हिन्दू स्टूडेन्ट्स काउंसिल के छात्रों ने हिन्दू छात्रों से जुड़े विषयों पर चर्चा की। संस्कृतम के अंतर्गत संस्कृत भारती के कार्यकर्ताओं ने संस्कृत संभाषण की जानकारी दी। संस्कृत विद्वान डा. उदय भास्कर दीक्षित ने हिन्दू पूजा पद्धति के समसामयिक प्रकार पर वक्तव्य दिया।
बाल संगम में बच्चों ने हिन्दू थीम पार्क में जादू, मेहंदी, कला, शिल्प और परंपरागत खेलों में भाग लिया। चिन्मय मिशन, श्री चैतन्य मिशन और हि.स्व.संघ के कार्यकर्ताओं ने हिन्दू संस्कारों की जानकारी दी।
दोपहर में नि:शुल्क भोजन का सबने आनंद लिया। सन्नीवाले हिन्दू मंदिर के श्री राज भनोट और विश्व हिन्दू परिषद्, अमरीका ने इसमें भरपूर सहयोग दिया।
शाम को 5 से 15 वर्ष तक के 300 बच्चों ने रामायण नाटिका का मंचन किया। जय श्रीराम और श्री रामचंद्र की जय नारों से पूरा वातावरण गूंज उठा। इस अवसर पर भारतीय वेश में आए क्यूपरटिनो के महापौर रिचर्ड लोवनथल ने बच्चों से कहा कि आपके दादा-दादियों ने आपको संस्कृति और विरासत का यह महत्वपूर्ण उपहार दिया है। उप महापौर क्रिस वेंग, मिलपिटास के महापौर जोस एस्टीव्ज और हिन्दू स्वयंसेवक संघ, अमरीका के संघचालक प्रो. वेद नंदा भी इस मौके पर उपस्थित थे।
श्री मोहनराव भागवत ने इस अवसर पर कहा कि भारत विविधताओं का देश है और इस विविधता में एकता के सूत्र तलाशने चाहिए। भारत अपने लिए प्रवासी भारतीयों से कोई अपेक्षा नहीं रखता परन्तु आपको भारत के सांस्कृतिक दूत के रूप में जरुर देखता है। आपको दुनिया को दिखाना है कि विविधता में एकता कैसे होती है।
न्यू जर्सी में 16 सितम्बर को सम्पन्न हिन्दू संगम में भी सरकार्यवाह श्री मोहनराव भागवत विशेष रूप से उपस्थित हुए। गणेश पूजन से कार्यक्रम शुरू हुआ। यहां हिन्दू धर्म और संस्कृति पर आधारित प्रदर्शनी लगाई गई थी। रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम सम्पन्न हुए। समारोह में विशिष्ट अतिथि थे आर्ष विद्या गुरुकुलम (कोयम्बतूर) के पूज्य स्वामी दयानंद सरस्वती जी। इस संगम में एक हजार से अधिक लोगों ने भाग लिया। उपस्थितजन को संबोधित करते हुए सरकार्यवाह श्री मोहनराव भागवत ने कहा कि दुनिया भर में ताकत के बल पर एकता स्थापित करने के प्रयास कभी सफल नहीं हुए हैं। हिन्दू चिंतन विविधता में एकता में विश्वास करता है। यह हिन्दू एकता का ही परिणाम है कि तिरुपति मंदिर और उसके आस-पास चल रहे हिन्दू विरोधी षडंत्रों पर लगाम लगाई जा रही है। श्री भागवत ने दुनिया भर के हिन्दुओं का आह्वान किया कि वे खुद को “हिन्दव: सोदरा: सर्वे” (सभी हिन्दू भाई-भाई हैं) के मूल मंत्र के अनुसार संगठित करें। विदेशों में बसे हिन्दू, जो सांस्कृतिक दूत की तरह हैं, भारत के अपने हिन्दू भाइयों की मदद करें जिनके कंधों पर हिन्दू-विरोधी ताकतों से लड़ने की महती जिम्मेदारी है। महर्षि अरविंद के कथन कि “सनातन धर्म का उदय निश्चित है” का स्मरण करते हुए श्री भागवत ने हिन्दुओं से सभी प्रकार की विपरीत परिस्थितियों में भी साहस के साथ धर्म का की रक्षा करने का आह्वान किया।
इस अवसर पर पूज्य दयानंद सरस्वती जी ने कहा कि भारत में आज सरकार में हिन्दू धर्म हित रक्षक नहीं हैं। लेकिन सदियों से हिन्दू धर्म बिना किसी की सहायता के अपने प्रखर तेज के कारण अक्षुण्ण रहा है। आजकल बड़े सुनियोजित तरीके से सरकार की शह पर हिन्दू विरोधी कृत्य चल रहे हैं। हिन्दू अपने धर्म का परिपालन करें और इन दुष्कृत्यों को परास्त करें। प्रतिनिधि
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