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डा. लक्ष्मीमल्ल सिंघवी का प्रयास रंग लाया
संसद में महर्षि अरविंद और स्वामी विवेकानंद की प्रतिमाएं
महर्षि अरविंद की प्रतिमा के सम्मुख (बाएं से) श्रीमती सोनिया गांधी, श्री प्रणव मुखर्जी, श्री चरनजीत सिंह अटवाल, डा. सिंघवी, श्री भैरोंसिंह शेखावत, श्री सोमनाथ चटर्जी, डा.कर्ण सिंह, श्री लालकृष्ण आडवाणी, डा. मनमोहन सिंह, श्री प्रियरंजन दासमुंशी और श्रीश्रीप्रकाश जायसवाल
मन में संकल्प करके किसी काम का बीड़ा उठा लिया जाए तो वह पूरा होता ही है। और अगर वह काम किसी दैवीय प्रेरणा से शुरु हुआ है तो उसके पूरा होने में प्रभु भी सहायक होते हैं। वरिष्ठ संविधानविद्, मनीषी एवं ब्रिटेन में भारत के पूर्व उच्चायुक्त डा. लक्ष्मीमल्ल सिंघवी और उनकी धर्मपत्नी श्रीमती कमला सिंघवी ने एक सपना देखा था कि संसद के प्रांगण में महर्षि अरविन्द और स्वामी विवेकानंद की दिव्य प्रतिमाएं स्थापित होनी चाहिए। उपराष्ट्रपति श्री भैरोंसिंह शेखावत ने गत 23 अगस्त, 2006 को जब संसद के केन्द्रीय कक्ष के सामने बड़े प्रांगण में स्वामी विवेकानंद की और लोकसभा अध्यक्ष श्री सोमनाथ चटर्जी ने महर्षि अरविंद की भव्य प्रतिमाएं अनावृत्त कीं तो जैसे सिंघवी दम्पति का चिर स्वप्न साकार हुआ था। इस अवसर पर प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह, संप्रग अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी, प्रतिपक्ष के नेता श्री लालकृष्ण आडवाणी, लोकसभा उपाध्यक्ष श्री चरनजीत सिंह अटवाल, सूचना व प्रसारण मंत्री श्री प्रियरंजन दासमुंशी, रक्षामंत्री श्री प्रणव मुखर्जी, राज्यसभा सदस्य डा. कर्ण सिंह सहित अनेक वरिष्ठ राजनेता उपस्थित थे।
संसद के इसी प्रांगण में पं. जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, मौलाना आजाद और लोकनायक जयप्रकाश नारायण की प्रतिमाएं पहले से ही लगी हैं। यह प्रांगण उसी केन्द्रीय कक्ष के सामने है जहां भारत के संविधान की रचना की गई थी, जहां राष्ट्रपति दोनों सदनों के सामने भाषण देते हैं। इसी प्रांगण में साढ़े नौ फुट ऊंची इन कांस्य प्रतिमाओं का अनावरण किया गया। 1962-67 तक लोकसभा के और 1998 से 2004 तक राज्यसभा के सदस्य रहे डा. लक्ष्मीमल्ल सिंघवी और डा. कर्ण सिंह, श्री कांतिलाल दलाल, श्री किरीट जोशी तथा प्रो.इंद्र नाथ चौधरी की सदस्यता वाली श्री अरविन्दो समिति द्वारा ये प्रतिमाएं भेंट की गई हैं। डा. सिंघवी ने ही ओंटारियो के सर्वोच्च न्यायालय, कैरिबियाई संसद, सियोल के पीस पैलेस सहित यू.के. में महात्मा गांधी की 125 कांस्य प्रतिमाएं लगवाई थीं। सुप्रसिद्ध शिल्पकार फ्रेड्डा ब्रिलिएंट ने महात्मा गांधी की सुंदर प्रतिमा अपनी ओर से बनाकर डा. सिंघवी को अर्पित की थी। यह प्रतिमा लंदन के बीचोंबीच टाविस्टाक स्क्वायर में लगी प्रतिमा की ही अनुकृति थी, जिसे डा.सिंघवी ने नई दिल्ली में सर्वोच्च न्यायालय को भेंट कर दिया और यहां यह न्यायालय क्रं. 1 के सामने लगी है। यही वह स्थान है जहां डा. सिंघवी ने एक वरिष्ठ अधिवक्ता के नाते अपने जीवन का अधिकांश समय बिताया है।
संसद में लगी महर्षि अरविंद की प्रतिमा बंगाल के शिल्पकारों ने ललित वर्मा के नेतृत्व में पांडिचेरी स्थित “ओरोधन” संस्था में निर्मित की ही। स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा के शिल्पकार हैं चेन्नै के श्री सी.दक्षिणमूर्ति। अनावरण समारोह में इन दोनों शिल्पकारों का प्रधानमंत्री ने अभिनंदन किया। प्रधानमंत्री डा.मनमोहन सिंह ने इस महनीय कार्य के लिए डा. सिंघवी को साधुवाद दिया और कहा कि इन दोनों प्रतिमाओं की गरिमामय उपस्थिति संसद को धैर्य और आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करेगी। इस अवसर पर डा. सिंघवी ने प्रधानमंत्री, दोनों शिल्पकारों और डा. कर्ण सिंह सहित श्री अरविन्दो समिति के अन्य सदस्यों के प्रति आभार व्यक्त किया। प्रतिनिधि
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