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नरिन्दर कौर का ऐलान
धर्म के लिए जंग लड़ूंगी
– अमृतसर से राजीव कुमार
घटना पुरानी है किन्तु चर्चा में उस समय आई जब शेरे पंजाब महाराजा रणजीत सिंह के वंशज कुंवर कुलदीप सिंह की पत्नी नरिन्दर कौर ने ईसाई मिशनरियों के विरुद्ध खुलेआम पंजाब की सड़कों पर उतरने का ऐलान किया। नरिन्दर कौर को यह निर्णय यूं ही नहीं लेना पड़ा। इसके पीछे पंजाब में ईसाई मिशनरियों के फैलते संजाल और इसके कारण परिवारों में बढ़ते बिखराव की मार्मिक दास्तां भी छिपी है। घटना अमृतसर के वेईपुई ग्राम की है। इसकी शुरुआत अप्रैल, 2003 में उस समय हुई, जब नरिन्दर कौर के पति कुंवर कुलदीप सिंह ने सिख पंथ छोड़कर ईसाई मत अपना लिया। कुंवर कुलदीप सिंह, महाराजा रणजीत सिंह के वंशज हैं वहीं उनकी धर्मपत्नी नरिन्दर कौर खालसा पंथ के प्रसिद्ध निहंग जत्थे के प्रमुख बाबा दया सिंह सूर सिंह वालों की भतीजी हैं। दोनों का 1984 में विवाह हुआ। उनके दो बेटियां गुरुशरण कौर, प्रभाकरण कौर तथा एक बेटा हरशरण सिंह हैं। किन्तु इस शान्त-सरल जिन्दगी में ईसाई मिशनरियों की नजर लग गई। गांव में मिशनरी कार्यों में जुटी एक ईसाई महिला ने कुंवर कुलदीप सिंह पर जो डोरे डाले कि उन्होंने अचानक सिख पंथ का ही त्याग कर दिया। स्वाभाविक ही उन्होंने अपनी पत्नी नरिन्दर कौर व बच्चों पर भी ईसाई क्रास पहनने का दबाव डाला। बस, नरिन्दर कौर का खून खौल उठा, उन्होंने अपने पति को बहुत समझाया, महान गुरु परम्परा और पुरखों के रक्त का वास्ता दिया, किन्तु जब नरिन्दर कौर को लगा कि कुंवर नहीं मानने वाले हैं तो फिर उन्होंने मिशनरियों के विरुद्ध ही जंग छेड़ने की घोषणा कर दी। नरिन्दर कौर ने धर्म त्यागने की अपेक्षा पति त्यागने की घोषणा कर पूरे पंजाब में सनसनी पैदा कर दी। अपने पति को तलाक देने के लिए जहां उन्होंने कानूनी कार्रवाई प्रारंभ कर दी है वहीं तरनतारन-गोइंदवाल रोड पर स्थित अपने गांव वेईपुई में अब तक जितने लोग भी ईसाई मत में शामिल हुए हैं, उन सभी को पुन: खालसा पंथ में लाने का भी संकल्प कर लिया है। “अकाल पुरख की फौज” नामक संगठन के साथ मिलकर नरिन्दर कौर ने गांव में कम्प्यूटर शिक्षण, सिलाई केन्द्र जैसे सेवा कार्य भी प्रारंभ कराए हैं ताकि गरीब व पिछड़े लोगों को रोजगार के लिए साधन मुहैया हो सकें।
पत्रकारों से बातचीत में नरिन्दर कौर ने जनता का आह्वान किया है कि वह सिख गुरुओं की महान धरती से ईसाई मिशनरियों के पांव उखाड़ दे। उन्होंने कहा कि उन्हें पति नहीं अपना धर्म प्यारा है और उन्होंने पति को छोड़ने का निर्णय भी इसी कारण किया है ताकि संतानें अपने धर्म पर दृढ़ रहें। आज समूचे पंजाब में नरिन्दर कौर के साहस की प्रशंसा हो रही है। “अकाल पुरख की फौज” के प्रधान और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी के सदस्य सरदार जसविन्दर सिंह कहते हैं, “नरिन्दर कौर अगर ये कदम न उठातीं तो शायद ईसाइयत की आंधी में सैकड़ों और बह जाते। इस महिला ने हमारे धर्म की लाज बचाई है।” राष्ट्रीय सिख संगत, पंजाब के अध्यक्ष सवा सिंह चावला के अनुसार, “मिशनरी पंजाब की परम्पराओं के विरुद्ध काम कर रहे हैं, इनके विरुद्ध सभी हिन्दू-सिख संगठनों को मिलकर मोर्चा लेना पड़ेगा।” विश्व हिन्दू परिषद, पंजाब के अध्यक्ष श्री सन्तोष गुप्ता ने नरिन्दर कौर को आदर्श नारी बताते हुए कहा है कि इस संघर्ष में विश्व हिन्दू परिषद उनके साथ रहेगी। उल्लेखनीय है कि पंजाब में प्रचलित अन्ध विश्वासों, बीमारियों के बहाने मिशनरियों का संजाल पिछले दशक में ही पैर पसारने लगा था। विशेषकर चंगाई सभाओं के माध्यम से जादू-टोना, भूत-भगाने, रोगों को ठीक करने के नाम पर मिशनरियों ने अपना जाल आज समूचे पंजाब में फैला दिया है। राज्य में मिशनरियों के बढ़ते प्रभाव का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले दिनों राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री कुप्.सी. सुदर्शन के पंजाब प्रवास के दौरान भी ईसाई मिशनरियों ने स्वयंसेवकों पर हमला बोला था और सारा दोषारोपण संघ पर ही मढ़ने की कोशिश की थी। जो भी हो, नरिन्दर कौर के जंग के ऐलान ने जहां सोए पंजाबियों को झकझोर दिया है, वहीं मिशनरी संगठनों में हलचल व्याप्त हो गई है।
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