|
एस.मंजूनाथ षण्मुगम की नृशंस हत्याप्रतिनिधियद्यपि इण्डियन आयल कारपोरेशन अपने दिवंगत युवा अधिकारी एस. मंजूनाथ षण्मुगम के ऊपर लदे शैक्षिक कर्ज को उतार देगी, उनके परिजनों को मुआवजा और एक सदस्य को नौकरी देने की घोषणाएं भी की गई हैं, किन्तु जिस ईमानदारी की इतनी भारी कीमत एस. मंजूनाथ को चुकानी पड़ी, उसकी भरपाई कौन करेगा? क्या देश में सचमुच ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा के साथ काम करना मुश्किल हो चुका है? भारतीय प्रबंध संस्थान, लखनऊ के स्नातक एस. मंजूनाथ के साथ जो कुछ हुआ उससे तो यही प्रतीत होता है। कुछ ही समय बीता है जब बिहार में स्वर्णिम चतुर्भुज सड़क परियोजना के अभियंता सत्यनारायण दूबे को माफियाओं ने मौत के घाट उतारा था और अब उत्तर प्रदेश में इण्डियन आयल कारपोरेशन के युवा प्रबंधक 26 वर्षीय एस. मंजूनाथ को जान देनी पड़ी। एक मध्यवर्गीय परिवार में जन्मे मंजूनाथ ने पंजाब नेशनल बैंक से कर्ज लेकर भारतीय प्रबंध संस्थान, लखनऊ से अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की थी। किसी बहुराष्ट्रीय कम्पनी की सेवा कर जल्द से जल्द धनपति बनने का सपना देखने की बजाय उन्होंने देशसेवा की राह पकड़ी और इण्डियन आयल कारपोरेशन को अपनी सेवाएं देना मंजूर किया। वे उत्तर प्रदेश के लखीमपुर जिले में कारपोरेशन के विक्रय प्रबंधक पद पर तैनात थे। अपनी ईमानदारी के कारण वे जिले के पेट्रोलियम माफियाओं की आंखों में चुभ रहे थे। हत्या के कुछ दिन पूर्व ही उन्होंने मितौली नामक स्थान के एल.डी. सर्विस स्टेशन सहित मित्तल आटोमोबाइल्स को भी मिलावट के आरोप में सील किया था। बताया जाता है कि पेट्रोल माफियाओं की ओर से उन्हें घूस के रूप में भारी पैसा भी देने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने इसे लेने से इंकार कर दिया। पेट्रोल पम्प निरस्त होने की संभावना से घबराए पम्प मालिक के बेटे मोनू मित्तल ने गत 19 नवम्बर की रात्रि लगभग 10 बजे पेट्रोल पम्प पर ही गोली मारकर उनकी हत्या कर दी।हालांकि पुलिस ने तुरंत कार्रवाई कर शव बरामद कर लिया और मुख्य अभियुक्त मोनू मित्तल को भी धर दबोचा, परंतु देश ने तो अपने एक ईमानदार बेटे को खो ही दिया। जो भी हो, युवा मंजूनाथ के बलिदान ने सरकारी तंत्र में अवश्य हलचल पैदा कर दी है जो स्वयं भ्रष्टाचार के बोझ तले अपनी अलमस्त चाल में चलता जा रहा है। पांचजन्य की ओर से ऐसे कर्मठ ईमानदार अधिकारी को शत-शत नमन।प्रतिनिधिNEWS
टिप्पणियाँ