|
प्रतिनिधिआंध्र प्रदेश के नलगोंडा जिले में स्थित वलिगोंडा में हुई रेल दुर्घटना रेलवे एवं राज्य सरकार की अनदेखी व लापरवाही का परिणाम थी। गत 29 अक्तूबर की सुबह डेल्टा एक्सप्रेस गुंटूर जिले के रिपाली से सिकंदराबाद जा रही थी। मूसलाधार बारिश के चलते स्थानीय जलाशयों के टूट जाने से गाड़ी के ग्यारह डिब्बे पटरी से उतर गए। गाड़ी में 800 से ज्यादा यात्री सवार थे। यात्रियों को कुछ आभास भी नहीं हुआ और उनकी जलसमाधि हो गई। सुबह का समय व घटनास्थल आबादी वाले क्षेत्र से दूर रहने के कारण पीड़ितों की मदद करना कठिन हो गया था। इस दुर्घटना में 113 यात्रियों की मौत हो गई और कई घायल हो गए। घटना की जानकारी मिलते ही स्थानीय स्वयंसेवकों का एक दल घटनास्थल पर पहुंचा और बचाव कार्य शुरू कर दिया। गाड़ी में फंसे कई घायल यात्रियों को स्वयंसेवकों ने सुरक्षित निकाला। मृतकों के शवों को भी जलमग्न गाड़ी के डिब्बे से बाहर निकाला। सबसे पहले वलिगोंडा गांव के स्वयंसेवकों का दल लिंगास्वामी और श्री रामू के नेतृत्व में घटनास्थल पर पहुंचा। बाद में भुवनगिरि, अनंतराम, वलिगोंडा और अन्य गांवों से 150 स्वयंसेवक घटनास्थल पर पहुंचे। नलगोंडा जिले के सह कार्यवाह श्री नागराजू, विभाग व्यवस्था प्रमुख श्री दमकोंडा सत्यनारायण के नेतृत्व में इन स्वयंसेवकों को राहत कार्य की जिम्मेदारी दी गई। मूसलाधार बारिश के चलते अभियान में तो कठिनाई आई, फिर भी स्वयंसेवक रस्सी की सहायता से रामसुंदर नाले में घुसे। पुलिस बाद में पहुंची और बिना दस्ताने के शवों को छूने तक से उन्होंने मना कर दिया। लेकिन स्वयंसेवकों ने खतरे की परवाह किए बिना पानी में तैरते शवों को निकाला। संघ ने चित्याला के टैगोर विद्यालय में अस्थाई शिविर लगाया और घायलों को आश्रय उपलब्ध कराया। स्वयंसेवकों ने घायलों के बीच पानी व फल बांटे और उन्हें गंतव्य तक पहुंचाने में मदद की। नलगोंडा के जिलाधिकारी श्री विद्यानंद, रेलवे अधिकारी व सेना के अधिकारियों ने भी स्वयंसेवकों के कार्य को सराहा।प्रतिनिधिNEWS
टिप्पणियाँ