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भारतीय शिक्षा के अप्रतिम योद्धाश्री दीनानाथ बत्रा का अभिनन्दन करते हुए आचार्य गिरिराज किशोर (बाएं) एवं श्री सत्यनारायण बंसल।राष्ट्र तथा शिक्षा के लिए समर्पित व्यक्तित्व के रूप में श्री दीनानाथ बत्रा जाने जाते हैं। लोग उनमें एक सच्चे स्वयंसेवक को देखते हैं। देशभर में 22 हजार से अधिक विद्यालय चलाने वाली और शिक्षा के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान देने वाली स्वयंसेवी संस्था विद्या भारती के वे उपाध्यक्ष हैं। श्री दीनानाथ बत्रा ने पिछले छह दशकों में शिक्षा में संस्कार और राष्ट्रभक्ति को समाहित करने के प्रति अपना योगदान दिया है, जो आज के समय की सबसे बड़ी जरूरत है। समर्थ शिक्षा समिति ने उनके इस महत् कार्य का गौरव करने के लिए उनके सम्मान समारोह का आयोजन किया था।सरस्वती बाल मंदिर, हरिनगर में आयोजित श्री दीनानाथ बत्रा सम्मान समारोह में शैक्षणिक, सांस्कृतिक तथा गैर-राजनीतिक संस्थाओं ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया। समारोह में विश्व हिन्दू परिषद् के वरिष्ठ उपाध्यक्ष आचार्य गिरिराज किशोर, रा.स्व. संघ, दिल्ली प्रान्त के संघचालक श्री सत्यनारायण बंसल, विद्या भारती के श्री नरेन्द्र जीत सिंह रावत, एम.डी.एच. मसाला कम्पनी के अध्यक्ष महाशय धर्मपाल, रा.स्व.संघ, उत्तर क्षेत्र के क्षेत्रीय कार्यवाह रमेश प्रकाश और समर्थ शिक्षा समिति के श्री अशोक पाल विशेष रूप से उपस्थित थे। इस अवसर पर आचार्य गिरिराज किशोर ने कहा कि शिक्षा में नैतिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए श्री दीनानाथ बत्रा का योगदान तथा समर्पण-भाव सम्मान के योग्य है।सम्मान को विनयभाव से स्वीकार करते हुए श्री दीनानाथ बत्रा ने कहा कि जो मार्ग उन्होंने चुना था उसमें इस तरह का सम्मान कहीं नहीं था। ऐसे सम्मानों से व्यक्ति में अहंभाव की वृद्धि होती है। मैंने यह सम्मान स्वीकार किया है, इसलिए मैं हर रोज भगवान से प्रार्थना करूंगा कि मुझमें अहंभाव न पैदा हो।-प्रतिनिधिNEWS
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