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वर्ष 9, अंक 45, सं. 2013 वि., 4 जून, 1956, मूल्य 3आनेसम्पादक : गिरीश चन्द्र मिश्रप्रकाशक – श्री राधेश्याम कपूर, राष्ट्रधर्म कार्यालय, गौतमबुद्ध मार्ग, लखनऊजालन्धर में ऐतिहासिक महापंजाब सम्मेलन”क्षेत्रीय समिति योजना” का विरोधतीन मील लम्बा जुलूस: दो लाख लोग सम्मिलितप्रिंसिपल घोष द्वारा अध्यक्षता(निज प्रतिनिधि द्वारा)मुखर्जी नगर: (जालंधर) गत 27 मई को भारतीय जनसंघ के प्रधान पिं्रसिपल श्री देवप्रसाद जी घोष की अध्यक्षता में जो महापंजाब सम्मेलन सम्पन्न हुआ, वह पंजाब के इतिहास में चिरस्मरणीय रहेगा। इस सम्मेलन में पंजाब, पेप्स तथा हिमाचल प्रदेश की 2 लाख जनता ने सोत्साह भाग लिया। इस सम्मेलन में एक स्वर से सरकार द्वारा प्रस्तुत की गई “क्षेत्रीय समिति योजना” को राष्ट्रघातक घोषित करते हुए हर संभव तरीके से उनका मुकाबला करने का निश्चय किया गया। सम्मेलन ने सरकार से यह भी मांग की कि राज्य पुनर्गठन आयोग द्वारा पंजाब के सम्बंध में की गई सिफारिशों को तुरन्त कार्यान्वित किया जाए। इस अवसर पर सम्मेलन के अध्यक्ष श्री घोष के स्वागत में जो जुलूस निकाला गया वह जालंधर के इतिहास में सबसे बड़ा जुलूस था। जूलूस की लम्बाई 2 मील थी और उसमें लगभग 3 लाख लोगों ने भाग लिया।मुस्लिम जमात सम्मेलनभारत में इस्लामी राज्य की स्थापना के घातक मनसूबेशासन पलटने की जोरदार धमकियां(निज प्रतिनिधि द्वारा)फर्रुखाबाद: “हमें वह समय याद है जिस समय इस्लाम बड़ी बहादुरी से इस देश में आया था। वह देश के गली-कूचों तक में छा गया था और हमने 800 वर्ष तक यहां राज्य किया और यहां की संभ्यता, संस्कृति तथा एक नए जीवन का निर्माण किया था। 15 अगस्त, 1947 के पश्चात् इस्लाम पर जो बरबादी, तबाही तथा गर्दिश के बादल मंडराए उनका कोई ठिकाना नहीं और आज जो मुसलमानों की हालत है और कांग्रेसी नेता हमारी हमदर्दी की बातें करते हैं, वह तस्वीर का एक पहलू है। अत: मुसलमानो! अल्लाह का नाम लेकर उठो और इस्लाम को फिर से जिन्दा करो और अपने अधिकारों की रक्षा के लिए एकत्र होकर तैयार हो जाओ क्योंकि आपको अपनी हिफाजत खुद करनी है।” ये शब्द मुस्लिम जमात के द्वितीय अखिल भारतीय अधिवेशन के अध्यक्ष पद से भाषण देते हुए कलकत्ता के भू.पू.मेयर श्री बदरुद्दज्जा ने कहे। यह अधिवेशन फर्रुखाबाद में मदरसा मुफ्ती साहब में “मुस्लिम जमात जिन्दाबाद”, “नाराए तकबीर” के नारों के साथ प्रारम्भ हुआ। सम्मेलन में उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के अतिरिक्त दिल्ली, मध्य प्रदेश, पटना, चरखारी, म्ध्य भारत तथा कलकत्ता से आए हुए 50 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। कांग्रेस सरकार को बहुरुपिया तथा साम्प्रदायिकता का दोषी बताते हुए सैयद साहब ने फरमाया कि- कांग्रेस द्वारा मुसलमानों को दिखाने वाले सब्ज-बाग सब धोखेबाजी है। अत: हमें चाहिए कि हम पर होने वाली मुजरिमाना तथा जालिमाना हरकतों का हम अपने पैरों पर खड़े होकर मुकाबिला करें।नजरबन्दी कानूननजरबन्दी निरोधक कानून की अवधि 1957 के अन्त तक के लिए और बढ़ाई जा रही है। भारत विभाजन के कारण देश में उत्पन्न हुई भीषण परिस्थिति का सामना करने के लिए मूलत: इस कानून का जन्म हुआ था और उस समय स्वर्गीय सरदार पटेल ने आश्वासन दिया था कि देश में सामान्य स्थिति उत्पन्न होते ही इसे वापस ले लिया जाएगा। किन्तु दुर्भाग्य कि तब से अब तक लगातार, कोई न कोई बहाना ढूंढ कर उसकी अवधि बढ़ाई जा रही है। पं. पंत ने कानून का समर्थन करते हुए बड़े गर्व के साथ कहा, “किसी विशेष विचारधारा अथवा विशेष सिद्धान्त पर विश्वास करने के कारण एक भी व्यक्ति को इस कानून के अन्तर्गत नजरबन्द नहीं बनाया गया।” यदि पंत जी ने ये शब्द कहने से पहले पूर्ववक्ता बैरिस्टर निर्मलचन्द्र चटर्जी के कथन पर- “स्वर्गीय डा. मुखर्जी को इसी कानून के अन्तर्गत जेल के सींखचों में बन्द किया गया था और भारत सरकार के लिए अत्यंत लज्जा का विषय है कि उनकी मृत्यु भी कश्मीर में नजरबन्दी की अवस्था में हुई।” विचार कर लिया होता तो उन्हें अपने कथन की भ्रमात्मकता स्वयं अनुभव हो जाती।”(सम्पादकीय)NEWS
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