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घुसपैठ के खिलाफ साझा नारानई दिल्ली में आयोजित एक बैठक को लेकर असम की कांग्रेस सरकार सकपकाई हुई है। इस बैठक में पूर्वोत्तर भारत के सात में से पांच राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने बंगलादेशी घुसपैठियों के मुद्दे पर असम सरकार पर निशाना साधते हुए घुसपैठियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की मांग केन्द्र सरकार से की है। नागालैण्ड, मणिपुर, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश और मेघालय के मुख्यमंत्रियों ने भारत-बंगलादेश सीमा पर त्वरित गति से बाड़ लगाने के साथ अपनी अन्य चिन्ताओं से भी केन्द्र सरकार को अवगत कराया है। इस बैठक में आमंत्रण के बावजूद असम व त्रिपुरा के मुख्यमंत्री नहीं आए। नागालैण्ड के मुख्यमंत्री नीफियु रिओ ने केन्द्र सरकार से घुसपैठ की समस्या को गंभीरता से लेने का आग्रह करते हुए कहा कि घुसपैठियों के कारण पूर्वोत्तर के मूल निवासियों के समक्ष गंभीर खतरे पैदा हो गए हैं। रिओ के अनुसार, “पूर्वोत्तर में बंगालदेश की सीमा से असम की सीमाएं सबसे ज्यादा सटी हैं, फिर भी वहां की कांग्रेस सरकार घुसपैठ की समस्या के प्रति लापरवाह है।” उन्होंने सीमा पर बाड़ लगाने की धीमी गति पर भी चिन्ता जताई। पूर्वोत्तर के ये पांचों मुख्यमंत्री घुसपैठ के खतरे के प्रति एक स्वर से तो बोल ही रहे हैं, वहीं असम के राज्यपाल अजय सिंह द्वारा घुसपैठ के मुद्दे पर हाल ही में केन्द्र को भेजी गई रपट का सुर भी इन मुख्यमंत्रियों के सुर से मेल खाता है। प. बंगाल के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने भी हाल ही में प्रधानमंत्री के साथ एक बैठक में इस मुद्दे पर आवाज मुखर की है।बलूचिस्तान की कसकदोकौमी नजरिए के आधार पर हिन्दुस्थान से अलग हुआ पाकिस्तान अपने जन्म के छह दशक देखने से पहले ही दूसरे विभाजन की ओर बढ़ता नजर आ रहा है। पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान में बंगलादेश) के बाद अब पाकिस्तान के सबसे बड़े प्रांत बलूचिस्तान में पाकिस्तान से अलग होने की मांग जोर पकड़ती जा रही है और आजादी के लिए बलोच लोगों का हथियारबंद आंदोलन पाकिस्तानी हुक्मरानों की नींद उड़ाए हुए है। रोचक बात तो यह है कि जो परिस्थितियां पूर्वी पाकिस्तान के अलग होने का कारण बनी थीं लगभग वैसे ही हालात बलूचिस्तान में पैदा हो रहे हैं। पाकिस्तान ने सेना के जरिए बलोच भावनाओं के दमन का प्रयास किया है, परन्तु बलोच लिबरेशन आर्मी, जम्हूरी वतन पार्टी, यूनाइटेड फ्रंट के हथियारबंद मुजाहिद्दीनों के सामने सेना की एक नहीं चल रही है। वहां के हुक्मरानों को अब इस्लाम के नाम पर देश को एकजुट रखना मुश्किल नजर आ रहा है। बंगलादेश के विभाजन का कारण बने पाकिस्तानी सेना के बंगालियों पर अत्याचार और बंगालियों के आर्थिक शोषण आदि कारक अब बलोचिस्तान में भी विघटन का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं।पाकिस्तान के अन्य तीन प्रांत – पंजाब, सिंध और उत्तर-पश्चिमी सीमा प्रांत- को मिलाकर भी सबसे बड़ा राज्य, बलोचिस्तान तेल और प्राकृतिक गैसों के अकूत भण्डारों से युक्त है। यहां पर रहने वाले बलोच लोग मजहब के अतिरिक्त खानपान, वेशभूषा, रीति-रिवाजों, भाषा, संस्कृति के आधार पर शेष प्रांतों के लोगों से पूरी तरह भिन्न हैं। बलोचों को यह भी शिकायत है कि पाकिस्तान उनके शांत राज्य को परमाणु कचराघर बनाने को अमादा है।जिहादी बारूद का “गलियारा”जिहादी आतंकवादियों ने अपनी ताजा हरकतों के तहत असम व उसके बाहर अवैध बारूद एवं हथियार पहुंचाने के लिए एक “गलियारा” बना लिया है। पिछले दिनों डिब्राूगढ़ से नई दिल्ली जाने वाली राजधानी एक्सप्रेस के ए-8 डिब्बे से गोलियों से भरी 5 अटैचियां बरामद होने से इस आशंका की पुष्टि हुई है। जांच करने पर पता चला कि उसमें 7.62 रायफल के 3,225 कारतूस थे। 1,697 गोलियां .303 रायफल की थीं और हल्की मशीनगन की 60 गोलियां थीं। अब तक बारूद की यह तस्करी म्यांमार सीमा से बंगलादेश होकर मणिपुर-नागालैंड तक ही सीमित थी, लेकिन आतंकवादियों ने इस योजना को विस्तार देकर यह नयी मुहिम शुरू की है। बंगलादेश के चटगांव जिले में काक्सबाजार से संचालित किये जा रहे इस षडंत्र का संजाल बंदरगाहों से होकर पर्वतीय त्रिपुरा के अनेक क्षेत्रों में चल रहा है। खासकर असम के उल्फा आतंकवादियों को ये गोला-बारूद गुपचुप तरीके से पहुंचाया जा रहा है।NEWS
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