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धर्म और संस्कृति के रक्षक-कुप्.सी. सुदर्शन, सरसंघचालक, रा.स्व.संघनागालैण्ड की एक विभूति ही कहे जाएंगे एन.सी. जेलियांग। जनजातीय धर्म और संस्कृति को विदेशी ईसाई मिशनरियों के षडंत्रों से बचाते हुए उनको पुष्ट करने को समर्पित इस दिव्य व्यक्तित्व का गत 23 अप्रैल को देहावसान हो गया। श्री जेलियांग ने जेलियांगरांग हेराका एसोसिएशन के अध्यक्ष के नाते न केवल नागालैण्ड में अपितु संपूर्ण पूर्वोत्तर में ईसाई मिशनरियों के मतान्तरण अभियान को परास्त करते हुए जनजातीय अस्मिता का गौरव बचाए रखने में अभूतपूर्व योगदान दिया था। उनके निधन से राष्ट्र की एकजुटता के लिए समर्पित भारत-भक्त लोगों का आहत होना स्वाभाविक ही है। रा.स्व.संघ के सरसंघचालक श्री कुप्.सी. सुदर्शन ने स्व. जेलियांग के प्रति अपने श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए सिलीगुड़ी (प.बंगाल) प्रवास से उनके सुपुत्र श्री असिंगलो जेलियांग को जो पत्र लिखा, उसके संपादित अंश इस प्रकार हैं-श्री एन.सी. जेलियांग के दु:खद निधन का समाचार सुनकर मन को बहुत पीड़ा पहुंची है। यह हम सबके लिए एक बहुत बड़ी क्षति के समान है जो विदेशी मत-पंथों के आघातों से अपनी संस्कृति और मूल्यों को बचाने एवं उनके संरक्षण में रत हैं। श्री एन.सी. जेलियांग उन दिव्य विभूतियों में से एक थे जिन्होंने “अनेकता में एकता” के सिद्धान्त पर आधारित और हमारी प्रकृति से साम्यता रखते हुए अपने देश में ही विकसित हुई संस्कृति पर विदेशी संस्कृतियों के खतरों को पहचाना था। रानी मां गाइदिन्ल्यू के अवसान के बाद उन्होंने ही जेलियांगरांग हेराका आंदोलन को उचित नेतृत्व प्रदान किया था। उस महती कार्य की जिम्मेदारी अब आंदोलन के अन्य नेताओं सहित आपके कंधों पर है। मुझे उम्मीद है कि आप अपने पिता के मिशन को आगे बढ़ाएंगे।मैं आपके शोक-संतप्त परिवार और जेलियांगरांग हेराका एसोसिएशन के सदस्यों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदनाएं व्यक्त करता हूं। प्रभु से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को परमधाम में यथेष्ट स्थान दें।NEWS
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