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हिन्दू घटने से बढ़ते खतरे-दिल्ली ब्यूरोसम्मेलन के उद्घाटन अवसर पर (बाएं से) डा. बजरंग लाल गुप्त, डा. मुरली मनोहर जोशी एवं श्री जोगिन्दर सिंहसम्मेलन में आए कुछ विशिष्टजनजिन ख्यातिप्राप्त व्यक्तियों ने सम्मेलन में भाग लिया उनमें प्रमुख थे- प्रख्यात जनसांख्यिकी विशेषज्ञ श्री महेन्द्र प्रेमी, डा. जितेन्द्र बजाज, वरिष्ठ भाजपा नेता डा. मुरली मनोहर जोशी, केन्द्रीय जांच ब्यूरो के पूर्व निदेशक जोगिन्दर सिंह, डा. अशोक मोडक, प्रफुल्ल गोराडिया (महामंत्री, जनसंघ), सीमा सुरक्षा बल के पूर्व महानिदेशक श्री प्रकाश सिंह, अंग्रेजी दैनिक पायनियर के सम्पादक श्री चन्दन मित्रा, प. बंगाल प्रदेश भाजपा अध्यक्ष प्रो. तथागत राय, असम के पूर्व पुलिस महानिदेशक श्री आर.के. ओहरी, अंदमान-निकोबार के पूर्व राज्यपाल श्री नगेन्द्र नाथ झा, रा.स्व.संघ के अ.भा. सह सम्पर्क प्रमुख श्री इन्द्रेश कुमार, प्रो. एम.डी. श्रीनिवास, इतिहासकार प्रो. देवेन्द्र स्वरूप, अर्थशास्त्री डा. बजरंग लाल गुप्ता, स्वदेशी चिन्तक एवं पूर्व राज्यसभा सदस्य डा. महेश चन्द्र शर्मा, प्रख्यात गांधीवादी चिन्तक श्री धर्मपाल, श्री टी.एच. चौधरी (आन्ध्र प्रदेश), असम प्रदेश भाजपाध्यक्ष श्री इन्द्रमणि बोरा, राज्यसभा सदस्य प्रो. बाल आपटे, रा.स्व.संघ के वरिष्ठ प्रचारक श्री श्रीकान्त जोशी, मेजर जनरल (से.नि.) विनोद सहगल, इंडियन सोशल इंस्टीटूट के प्रमुख जिमीथाबी, वरिष्ठ पत्रकार श्री मनोज रघुवंशी एवं राष्ट्रवादी मुस्लिम परिषद् के डा. ताहिर।गत वर्ष जब भारत सरकार के जनगणना आयुक्त जयंत कुमार बांठिया ने वर्ष 2001 की जनगणना के आंकड़ों को सार्वजनिक किया, तब पूरा देश मानो एकाएक सोते से जाग उठा। देशभर में आंकड़ों के अध्ययन प्रारम्भ हुए और जनसंख्यात्मक असंतुलन के कारण भारत के समक्ष भविष्य में उत्पन्न होने वाली चुनौतियों का भी आकलन किया जाने लगा। यद्यपि अनेक संस्थाओं व जनसांख्यिकी विशेषज्ञों ने इस सन्दर्भ में अपना विश्लेषण प्रस्तुत किया है, किन्तु इनमें डा. जितेन्द्र कुमार बजाज, प्रो. एम.डी. श्रीनिवास तथा श्री ए.पी. जोशी द्वारा समाजनीति समीक्षण केन्द्र, चेन्नै के तत्वावधान में किए गए अध्ययन और विश्लेषण का महत्व कुछ अलग है। इन विद्वानों ने 2001 के आंकड़ों के प्रकाशन के पूर्व ही अपने अध्ययन से बता दिया था कि देश में हिन्दू जनसंख्या तेजी से घट रही है। भारतीय मतावलम्बी, जिनमें हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन आदि सम्प्रदाय सम्मिलित हैं, अगर सावधान न हुए तथा मुस्लिम व ईसाई जनसंख्या में वृद्धि की दर पूर्ववत जारी रही तो ये सन् 2061 तक अल्पसंख्यक हो जाएंगे। वर्ष 2001 के जनगणना आंकड़ों के सार्वजनिक होने के पश्चात इनका अध्ययन और भी पुष्ट हुआ है।गत 26-27 अप्रैल को जनगणना 2001 के सन्दर्भ में उभरते संकटों का और भी अधिक गहन विश्लेषण करने के लिए नई दिल्ली के वी.के. कृष्ण मेनन भवन में समाजनीति समीक्षण केन्द्र द्वारा आयोजित सम्मेलन में देशभर के विद्वानों और बुद्धिजीवियों ने मंथन किया। 2001 के जनगणना आंकड़ों के प्रकाश में देश के सामने उभरते खतरों के विश्लेषण के लिए यह राष्ट्रीय स्तर पर बुलाया गया प्रथम सम्मेलन था, जिसमें देशभर से लगभग 150 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इसमें भाग लेने वाले प्रतिनिधियों में न केवल जनसांख्यिकीविद् थे वरन् सेना, सीमा सुरक्षा बल के अवकाश प्राप्त वरिष्ठ अधिकारी, पुलिस से जुड़े पूर्व वरिष्ठ आला अधिकारी, राजनेता, समाजसेवी, पत्रकारों सहित अनेकों प्रतिष्ठित बुद्धिजीवियों, शिक्षाविद्ों ने भी सम्मेलन में अपने-अपने विचार प्रकट किए।सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए वरिष्ठ भाजपा नेता डा. मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि जनसांख्यिक असंतुलन के कारण आज देश की एकता व अखण्डता गहरे संकट में है। जिस तरह से पूर्वोत्तर व कश्मीर सहित देश के विभिन्न राज्यों में भारतीय मतावलम्बी अल्पसंख्यक हुए हैं और यह प्रक्रिया लगातार चल रही है, उससे लगता है कि यह किसी सुनियोजित षडंत्र के अन्तर्गत हो रहा है। डा. जोशी ने कहा कि पंथनिरपेक्षता की बड़ी-बड़ी बातें करने वाले लोग ध्यान में रखें कि जब तक देश में भारतीय मतावलम्बी बहुसंख्या में हैं तभी तक देश पंथनिरपेक्ष है। आज भारत की सीमाएं खतरे में हैं, लगभग 5 करोड़ बंगलादेशी घुसपैठिए भारत के ऊपर भारी आर्थिक बोझ का कारण तो हैं ही, देश की कानून-व्यवस्था, शांति और सुरक्षा के लिए भी चुनौती बनते जा रहे हैं। उन्होंने घुसपैठियों के कारण असम, बिहार, बंगाल में बदलते राजनीतिक समीकरणों की चर्चा करते हुए कहा कि इस समस्या का तत्काल समाधान आवश्यक है।उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि, केन्द्रीय जांच ब्यूरो के पूर्व निदेशक जोगिन्दर सिंह ने अवैध घुसपैठ को रोकने के लिए कड़े कानून न होने पर चिन्ता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि संसार के सभी देश इस मामले में सतर्क हैं लेकिन हम हैं कि उनसे कोई सबक नहीं ले पा रहे हैं। अत: जागरूक देशवासियों का यह दायित्व है कि वे इस मुद्दे पर आगे आएं। जोगिन्दर सिंह ने कहा कि हिन्दू समाज उदार है किन्तु इसका मतलब यह तो नहीं कि हम अपने भविष्य को लेकर भी चिंतित न रहें। उन्होंने पाकिस्तान में भारतीय मतावलम्बियों के तीर्थस्थलों का जिक्र करते हुए कहा कि ननकाना साहब गुरुद्वारे की देख-रेख नहीं हो पा रही है, गुरुवाणी-अरदास भी नियमित नहीं होती, वहां रखरखाव करने वाला व्यक्ति गैरसिख अर्थात मुसलमान है। जोगिन्दर सिंह ने सवाल खड़ा किया कि क्या हम चाहते हैं कि भारत में भी यही सब हो?सम्मेलन में जनसांख्यिक असंतुलन और उससे उत्पन्न संकटों पर छह सत्रों में गहन विचार-विश्लेषण किया गया। इन सत्रों में क्रमश: भारत में जनसांख्यिक असंतुलन, जनसांख्यिक असंतुलन के सामाजिक, सांस्कृतिक एवं आर्थिक प्रभाव, जनसांख्यिकी असंतुलन और राष्ट्रीय सुरक्षा, विश्व में विभिन्न मतावलम्बियों का बदलता जनसांख्यिकी अनुपात, प्रतिनिधियों का अनुभव-कथन एवं संकट के समाधान के उपायों पर चर्चा की गयी।सीमा सुरक्षा बल के पूर्व महानिदेशक श्री प्रकाश सिंह ने सम्मेलन में अपने विचार रखते हुए भारत में घुसपैठ की समस्या का समाधान न होने के पीछे राजनीतिज्ञों में राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव को प्रमुख कारण माना। उन्होंने सरकार की नीति पर निशाना साधते हुए कहा कि सीमा सुरक्षा बल के हाथ बांध दिए गए हैं, यहां तक कि घुसपैठियों की हिंसक भीड़ को रोकने के लिए गोली की जगह लाठी चलाने को कहा जाता है। घुसपैठ के समाधान पर प्रकाश डालते हुए श्री सिंह ने कहा कि सरकार उन्हें क्रमबद्ध ढंग से वापस भेजने का काम शुरू करे। उन्हें पाकिस्तानी सीमा में भी ढकेला जा सकता है। संसद परिस्थिति के समाधान का संकल्प राजनीतिक मतभेदों से परे हटकर ले, समाज राष्ट्रविरोधियों व घुसपैठियों का डटकर मुकाबला करे, इसके लिए जरूरी है कि मीडिया सही परिप्रेक्ष्य में घटनाओं का प्रस्तुतिकरण करे। इस अवसर पर श्री चन्दन मित्रा ने कहा कि आज घुसपैठियों को खदेड़ने के लिए न्यायपालिका भी सक्रिय है किन्तु उसके आदेशों का अनुपालन नहीं हो रहा है, इसके लिए राजनेता व सरकारें जिम्मेदार हैं। श्री मित्रा ने सीमाओं पर मदरसों व मस्जिदों की अचानक बाढ़ आने पर चिन्ता प्रकट की और इसमें प्रयुक्त हो रहे विदेशी धन पर रोक लगाने की आवश्यकता जताई।मेजर जनरल (से.नि.) विनोद सहगल ने सीमाओं पर बाड़ लगाने के काम को तेजी से पूरा करने के साथ-साथ भारतीय सांस्कृतिक परिवेश में अल्पसंख्यकों के साथ समन्वय एवं घुसपैठियों के बच्चों के लिए संस्कार केन्द्र खोले जाने पर बल दिया। वरिष्ठ पत्रकार श्री मनोज रघुवंशी ने इस मुद्दे पर राजनेताओं की जमकर आलोचना की। भाजपा नेता प्रो. तथागत राय ने समस्या को बहुआयामी बताते हुए कहा कि पूर्वोत्तर के साथ सड़क व रेल सम्पर्क मार्ग भी अब खतरे में है। असम प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्री इन्द्रमणि बोरा ने कहा कि कांग्रेस की नीतियों के चलते असम में इस्लामीकरण की प्रक्रिया तेज हुई, असमिया मूल के मुसलमानों में व घुसपैठ करके आए मुसलमानों में मौलिक अन्तर है। इस अन्तर को भी अब योजनापूर्वक खत्म किया जा रहा है।सर्वसम्मति से पारित प्रस्तावमतान्तरण, घुसपैठ व अधिक जन्मदर के कारण मुसलमान व ईसाई जनसंख्या की वृद्धि दर भारतीय मतावलम्बियों के लिए खतरे की घंटी है। सम्मेलन मतान्तरण को भारत की वैविध्यपूर्ण व बहुलवादी संस्कृति के लिए खतरा मानते हुए इस पर पूर्ण प्रतिबंध की मांग करता है। देश में समान जनसंख्या नीति लागू करने, घुसपैठियों को देश से बाहर करने, सीमा सुरक्षा मजबूत करने, असम के आई.एम.डी.टी. एक्ट को तत्काल निरस्त करने जरूरत है। राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर बनाने के साथ नागरिक पहचान पत्र प्रत्येक भारतीय नागरिक को अनिवार्य रूप से दिया जाय।प्रसिद्ध स्तम्भकार श्री प्रफुल्ल गोराडिया ने कहा कि सब कुछ इस्लाम की कट्टरपंथी शक्तियों द्वारा संचालित है। हम यदि शत्रु को अभी भी नहीं समझ सके हैं तो दोष किसका है? विदेशों में जनसांख्यिक असंतुलन तथा उससे उत्पन्न खतरों पर भी सम्मेलन में चर्चा हुई। वक्ताओं ने चीन के सिंक्यांग प्रदेश में अपनाए गए समाधान के तरीकों को भारत में भी लागू करने पर जोर दिया। आन्ध्र प्रदेश के श्री टी. हनुमान चौधरी ने फ्रांस, हालैण्ड, डेनमार्क, बेल्जियम, स्पेन, पुर्तगाल आदि देशों में इस्लामिक कट्टरपंथी शक्तियों द्वारा उत्पन्न भयावह परिस्थितियों के साथ सेकुलरवादी व माक्र्सवादी शक्तियों की राष्ट्रविरोधी भूमिका पर प्रकाश डाला। अंदमान-निकोबार के पूर्व राज्यपाल श्री नागेन्द्र नाथ झा ने कुछ राजनीतिज्ञों द्वारा बंगलादेशी नागरिकों को “वर्क परमिट” देने को खतरनाक बताया तथा कहा कि इससे “कार्य अनुमति” प्राप्त करने वाले बंगलादेशी घुसपैठियों के भारत में पैदा होने वाले बच्चों को स्वत: ही भारतीय नागरिकता प्राप्त होने का रास्ता खुल जायेगा।सुप्रसिद्ध गांधीवादी विचारक प्रो. धर्मपाल ने कहा कि हम अपने अतीत को देखें, तभी समाधान मिलेगा। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने इस्लाम के नाम पर मुस्लिमों को योजनापूर्वक हिन्दुओं के विरुद्ध भड़काया था। उन्होंने यह भी कहा कि सनातन धर्म का अस्तित्व मिटाना किसी के बूते में नहीं है।सम्मेलन में अनुभव कथन तथा समस्या समाधान के उपाय सत्र सहित विभिन्न सत्रों में लगभग 75 प्रतिनिधियों ने अपने सुझाव रखे। समाधान/उपाय सत्र में रा.स्व.संघ के अखिल भारतीय सह सम्पर्क प्रमुख इन्द्रेश कुमार ने कहा कि पाकिस्तान की अधिसंख्य आबादी स्वयं अशांति व विद्रोह की ओर बढ़ रही है। मुसलमानों के उप पंथों में तीखे मतभेद हैं, ऐसे में हमें अपने उन पूर्वजों का स्मरण करना चाहिए जिन्होंने इस्लाम व ईसाइयत की आंधी का डटकर मुकाबला किया था। इसी में भविष्य का रास्ता है। सम्मेलन के समारोप सत्र में सभी सुझावों के आधार पर बने सर्वसम्मत प्रस्ताव को पढ़ते हुए डा. महेश चन्द्र शर्मा ने कहा कि यह सम्मेलन भारत में बढ़ते जनसांख्यिक असंतुलन के कारण राष्ट्रीय सुरक्षा व देश की सांस्कृतिक पहचान के समक्ष उत्पन्न संकट के प्रति देश के बुद्धिजीवियों, देशभक्तों व राजनीतिज्ञों को सावधान करता है, साथ ही इसके समाधान के लिए प्रभावी उपाय किए जाने की मांग करता है। प्रस्ताव में जनसांख्यिक आंकड़ों को प्रस्तुत करते हुए कहा गया कि मतान्तरण, घुसपैठ व अधिक जन्म दर के कारण मुसलमान व ईसाई जनसंख्या की वृद्धि दर भारतीय मतावलम्बियों के लिए खतरे की घंटी है। सम्मेलन मतान्तरण को भारत की वैविध्यपूर्ण व बहुलवादी संस्कृति के लिए खतरा मानते हुए इस पर पूर्ण प्रतिबंध की मांग करता है। देश में समान जनसंख्या नीति बनाने, घुसपैठियों को देश से बाहर करने, सीमा सुरक्षा मजबूत करने, असम के आई.एम.डी.टी. एक्ट को तत्काल निरस्त करने की मांग भी प्रस्ताव में की गयी। राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर बनाने व नागरिक पहचान पत्र प्रत्येक नागरिक को अनिवार्य रूप से देने के उपाय पर प्रस्ताव में जोर दिया गया। समापन सत्र में बोलते हुए प्रसिद्ध अर्थशास्त्री डा. बजरंग लाल गुप्त ने कहा कि सरकार जनसंख्यात्मक आंकड़ों के प्रकाश में देश की चिंताओं को दूर करने के लिए शीघ्र कदम उठाए। उन्होंने जनगणना आयुक्त जयंत कुमार बांठिया को पद से हटाकर मूल कैडर में भेजे जाने के सरकार के निर्णय की तीव्र आलोचना की।समापन सत्र के अध्यक्ष के रूप में बोलते हुए इतिहासकार प्रो. देवेन्द्र स्वरूप ने देश में घुसपैठ व जनसांख्यिक असंतुलन के मुद्दे पर एक विराट जनान्दोलन की आवश्यकता जताई। उन्होंने कहा कि समय की मांग है कि हम सरकार पर दबाव डालने के लिए अब सड़कों पर उतरें। प्रचार माध्यमों सहित अन्य तरीकों द्वारा असलियत से जनता को अवगत कराएं। राष्ट्रीय सम्मेलन में विभिन्न प्रान्तों से आए अधिकांश वक्ताओं ने अपना-अपना वक्तव्य अंग्रेजी के बजाय हिन्दी में प्रस्तुत कर प्रेरक और अनुकरणीय आदर्श प्रस्तुत किया।NEWS
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