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मंगलवार को विपक्ष की ओर से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी से सदन में व्यवस्था कायम करवाने की जिम्मेदारी उठाने को कहा और यह भी कहा कि वे आरोपी मंत्री के सदन में बैठे रहने पर कुछ करें। अपने चिरपरिचित अंदाज में श्री वाजपेयी ने लालू यादव द्वारा गुजरात में “हमले” के संदर्भ में संघ, विश्व हिन्दू परिषद् और बजरंग दल का बार-बार नाम लिए जाने पर कड़ा एतराज जताते हुए कहा- “मैं बचपन से रा.स्व. संघ का सदस्य हूं। इस सदन का लगभग 50 साल से सदस्य हूं। मैं नैतिकता के सवाल का पहले सामना कर चुका हूं। नैतिक आधार पर मंत्रियों के इस्तीफे स्वीकार चुका हूं। उन्होंने रोष व्यक्त करते हुए कहा, “किसी पर बेबुनियाद आरोप नहीं लगाने चाहिए। मर्यादाओं का उल्लंघन नहीं करना चाहिए। अगर यह हद तोड़ दी गई तो संसद कैसे काम करेगी। अगर सदन को सही प्रकार चलाना है तो लालू जी को मंत्री पद पर बने नहीं रहना चाहिए। वे ऐसी भाषा बोलते हैं जो सदन में नहीं बोलनी चाहिए। उनकी भाषा से कोमल मन के बच्चों पर नकारात्मक असर पड़ता है। वे जो भी बोलते हैं उसका बड़ों पर तो कोई असर नहीं होता, बच्चों पर गलत असर जरूर पड़ता है। मैंने सदन के सम्मान और मर्यादा की सीमा कभी नहीं लांघी है। लालू जी के मामले पर गृहमंत्री को वक्तव्य देना था, पर उन्होंने इनकार कर दिया। अत: अब लालू जी को नैतिक और प्रशासनिक आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए।”NEWS
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