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संस्कार भारती के कार्यकर्ताओं द्वाराबनाई गई रंगोलीअपना पूर्वोत्तर-एक उत्सवचित्रमय झलकरियांग जातीय बालिकाओं द्वारा प्रस्तुत त्रिपुरा का हजागिरि नृत्य।यह नृत्य मां लक्ष्मी का आह्वान के लिए किया जाता है।मणिपुरी रास की रंगारंग छटासमापन समारोह में श्री भैंरो सिंह शेखावत का अभिनंदन करती हुई पूर्वोत्तर की बालिकाएं।साथ में हैं श्रीमती सुषमा स्वराजउद्घाटन समारोह में (बाएं से) श्री अटल बिहारी वाजपेयी, पी.ए.संगमा एवं डा. शैलेन्द्र नाथ श्रीवास्तवअपने निवास पर कलाकारों के बीच श्री लालकृष्ण आडवाणीपहचानिए इन्हें-ये हैं मिजोरम की वेश-भूषा में श्रीमती सुषमा स्वराजजब “स्वप्न सुन्दरी” हेमामालिनी भी थिरकीं मिजोरम के कलाकारों के साथश्री योगेन्द्र-जिन्हें सभी आदर से “बाबा” कहते हैं।इनके मार्गदर्शन में ही संस्कार भारती पौधे से एक विशाल वृक्ष बनी हैसमारोह में श्री भूपेन हजारिकाअसमिया कलाकारों ने प्रस्तुत किया नववर्ष (रंगाली) पर बिहू नृत्यअरुणाचल प्रदेश के पारम्परिक परिधान में एक कलाकारसत्यनारायण मोर्य “बाबा” द्वारा प्रस्तुत भारता माता की आरती का एक दृष्य।श्री मौर्य ने वन्देमातरम् का गायन करते हुए स्वामी विवेकानन्द एवं मां भारती का चित्र भी बनाया।वर्ष 59, अंक 10, श्रावण शुक्ल 2, 2062 वि. (युगाब्द 5107), 7 अगस्त, 2005दुनिया में शक के दायरे में मुस्लिम! अबू हमजा अल-मसरी का पूर्व सहायक, जिस पर लंदन बम धमाकों में प्रमुख भूमिका का शक हैलंदन में बम धमाकों के बाद स्थानीय मुस्लिमों पर कड़ी नजर रख रही है पुलिस। चित्र में एक मुस्लिम व्यक्ति से पूछताछ करते हुए पुलिसकर्मीमुम्बई-आग और पानी की चपेट में श्रमजीवी एक्सप्रेस में विस्फोट,पीड़ितों की मदद को पहुंचे स्वयंसेवकबंगलादेश के जरिए फैलाया जा रहा हैपूर्वोत्तर में मजहबी उन्माद जिहादी आतंक का माफियाबंगलादेशी प्रधानमंत्री बेगम खालिदा जिया- गरीबी और भुखमरी के साए में भारत से कृतघ्नताविचार परिवार में संगठनात्मक अनुशासन जरूरी -मोहन राव भागवत, सरकार्यवाह, रा.स्व.संघयह सभ्यतामूलक समस्या है मुसलमानों पर ही इसके समाधान की जिम्मेदारी -थामस एल. फ्रीडमैनबहस बुनियादी सवाल पर नहीं हो रही -आलोक गोस्वामीयू.के. के दो तिहाई मुस्लिम चाहते हैं देश छोड़नाअब मुसलमानों को गांधी जी की तर्ज पर आन्दोलन करना चाहिए -ख्वाजा हसन सानी निजामीअयोध्या सुनवाई शुरूदक्षिण अफ्रीका के जिस स्टेशन पर गोरे टी.टी. ने गांधी जी का अपमान किया था उसी पीटर मेरित्जबर्ग स्टेशन पर लगेगी गांधी जी की प्रतिमा राम प्रताप मिश्रसरस्वती विद्या मंदिर का छात्र बना आई.ए.एस. अधिकारीअधिवक्ता परिषद् द्वारा “भ्रूण हत्या” पर गोष्ठी पुत्रियों से चलता है वंशछत्तीसगढ़ कांग्रेसियों ने जलाईं श्री गुरुजी के चित्र वाली डायरियां कोई मुद्दा नहीं तो ये ही सही हेमन्त उपासने9 अगस्त से शुरू होगा अभियान माकपा बंगाल छोड़ो बासुदेव पालभारत-नेपाल मिलकर करें माओवादियों का मुकाबला -इन्द्रेश कुमारप्रकृति राष्ट्रीय पुरस्कार एवं सम्मान-2005 प्रकृति-साधकों का सम्मानवसंत राशिनकर का मराठी काव्य संग्रह “तेव्हां सूर्य पण लाल होता” लोकार्पितभा.वि.प. ने गुरु पूर्णिमा पर किया गुरु का सम्माननागपुर में हिन्दुत्वनिष्ठ महिला संगठनों की बैठक बन्द हों महिलाओं पर अत्याचारवि.सं.के., नागपुरवनवासी कल्याण आश्रम द्वारा जनजातीय क्षेत्रों में हो रहे पांथिक जनसांख्यिक परिवर्तन के असर पर राष्ट्रीय संगोष्ठी जनसांख्यिक बदलाव से जनजातियों में बढ़ता पहचान का संकटएक ऐतिहासिक उपन्यास “चित्रकूट का चातक”सागर तट पर रेत में दबा था 1200 साल पुराना मन्दिर पुरातत्वविदों ने कहा- 12 सौ वर्ष पूर्व यह मंदिर बहुत भव्य थाकर्क (कैन्सर) रोग से मुक्ति के लिए गोमूत्र- अर्क की उपयोगिता पर अमरीकी पेटेन्टपाकिस्तान “मुल्लाकरण” यानी क्या?आंध्र में उभरते नए समीकरण पर अशोक घाडगे की खास रपट ये अचानक चर्च और मस्जिदों की बाढ़ क्यों?पंजाब कैप्टन ने खोली खैरात की पोटली राकेश सैनपोर्ट आफ स्पेन में जिहादी आतंक की दस्तक? -त्रिनिदाद से ब्राह्मभिक्षुमुस्लिम नेताओं द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय की खुली अवमानना गोगोई पर बरसे उस्मानीसर्वोच्च न्यायालय ने राजनीतिज्ञों को बताया आचार्य चाणक्य की राजनीति का आदर्शसर्वोच्च न्यायालय द्वारा आई.एम.डी.टी. निरस्त करने के विरुद्ध खड़ी कांग्रेस-कम्युनिस्ट सरकार जो शाहबानो प्रकरण में किया क्या वही कांग्रेस अब बंगलादेशियों के बारे में भी करना चाहती है? -राकेश उपाध्यायअखिल भारतीय खुदरा व्यापार सम्मेलन की मांग खुदरा व्यापार में विदेशी निवेश बंद होसुदर्शन चैनल यानी देव, देश और धर्म -सुरेश खांडेराव चव्हाणकेविचार-गंगा राज्य की हिन्दू अवधारणापाठकीय हल्का बस्ता, हंसता बचपनसम्पादकीय जिहाद जारी हैचर्चा-सत्र जिहादी आतंक का माफियापाचजन्य पचास वर्ष पहले श्री देशमुख के इस्तीफे के कारणसंस्कृति सत्य सेठ मूंगालाल का दानयात्रा संस्मरण द्वारका और सोमनाथ हिन्दू हृदय के श्रद्धा-केन्द्र -डा. लज्जा देवी मोहनजय हनुमान-1इस सप्ताह आपका भविष्य ज्योतिष महामहोपाध्याय सौ. नीलिमा प्रधान93 वर्ष की उम्र में मैराथनकितने पर्दे और उठाऊं -बलवीर सिंहपूर्वोत्तर में भी घुल रही है इस्लामी जिहाद की कड़वाहट – प्रेम नाथ खेड़ामुख्यमंत्री डा. रमन सिंह का जन-जागरण अभियान नक्सल प्रभावितों को जमीन और मकानउल्फा अध्यक्ष ने राष्ट्रपति बुश को पत्र लिखा अमरीका से दखल की गुहार, “आजाद” असम के लिए सहयोग की मांग -आचार्य राधा गोविन्द थोङगामगहरे पानी पैठ अब आंध्र पर नजरमंथन गुड़गांव काण्ड के पीछे कौन? देवेन्द्र स्वरूपपाञ्चजन्य 14 अगस्त, 2005 स्वतंत्रता दिवस विशेषांकनफरत से परे एक भारतीय महासंघकितना संभव, कितना कठिन …कितना वांछनीय?क्या भारत को फिर से अखण्ड होना चाहिए?क्या भारत-पाकिस्तान-बंगलादेश का एक महासंघ बनना चाहिए?क्या हिन्दू-मुस्लिम एकता संभव है? यदि हां, तो उसके आधार बिन्दु क्या हो सकते हैं? यदि नहीं तो उसके क्या कारण हैं?क्या पं. नेहरू और जिन्ना का पुनर्मूल्यांकन सामयिक सन्दर्भों को समझने में सहायक होगा?भारत-पाकिस्तान के जाने-माने चिंतकों, लेखकों व राजनीतिज्ञों के विचार पढ़ें ।अपनी प्रति आज ही सुरक्षित करवाएंपृष्ठ 84 मूल्य 12 रु.NEWSश्री गुरुजीराष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक प. पू. श्री गुरुजी ने समय-समय पर अनेक विषयों पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। वे विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने पहले थे। इन विचारों से हम अपनी समस्याओं का समाधान ढूंढ सकते हैं और सुपथ पर चलने की प्रेरणा प्राप्त कर सकते हैं। इसी उद्देश्य से उनकी विचार-गंगा का यह अनुपम प्रवाह श्री गुरुजी जन्म शताब्दी के विशेष सन्दर्भ में नियमित स्तम्भ के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। -संराज्य की हिन्दू अवधारणासंघ एक हिन्दू संगठन है। हिन्दू के लिए राज्य सदा असाम्प्रदायिक (पंथनिरपेक्ष) रहा है और अभी भी है। हिन्दू धारणा से दूर जाने के कारण प्रथम बार सम्राट अशोक के समय में पंथ पर आधारित राज्य निर्मित हुआ था। बाद में विभिन्न मुसलमान वंशों के राज्य तथा मुगल साम्राज्य साम्प्रदायिक राज्य थे। हमें यह ज्ञात रहना चाहिए कि विदेशी सत्ता के विरुद्ध शिवाजी के नेतृत्व में जिस हिन्दू शक्ति का निर्माण हुआ था, वह हिन्दू परम्परा के अनुसार एक असाम्प्रदायिक (पंथनिरपेक्ष) राज्य था, जहां हिन्दू और मुसलमान राज्य में उच्च स्थान प्राप्त कर सकते थे और उनका धर्म और मजहब नागरिक जीवन के लिए बाधास्वरूप न था। सचमुच अपने देश में राज्य के पंथनिरपेक्ष होने पर उसे पंथनिरपेक्ष विशेषण देकर महत्व देना निरर्थक है तथा यह अपने देश की, विशेषतया हिन्दू जाति की परंपरा और संस्कृति के प्रति दु:खद अज्ञान ही प्रदर्शित करता है।(2 नवंबर, 1948 को संघ पर प्रथम प्रतिबंध के समय श्री गुरुजी द्वारा प्रेस को दिए वक्तव्य का अंश)(श्री गुरुजी समग्र दर्शन, खंड-2, पृ. 28 से साभार)NEWS
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