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तृतीय प्रवासी भारतीय कवि सम्मेलनदिल जोड़ने का सेतुसम्मेलन में काव्य पाठ करती हुईं श्रीमती दिव्या माथुर। मंच पर बैठे हैं(बाएं से) श्री बालस्वरूप राही एवं डा. सीतेश आलोक”मां, संवेदना है, अहसास है।मां, मरुस्थल में नदी या मीठा-सा झरना है।उज्जैन के प्रसिद्ध कवि श्री ओम व्यास की इन पंक्तियों ने गत 18 जनवरी की शाम को नई दिल्ली के हिन्दी भवन में बैठे काव्य प्रेमियों को मां के वात्सल्य का अहसास कराया। अवसर था तृतीय प्रवासी भारतीय कवि सम्मेलन का। साहित्यिक संस्था अक्षरम् द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में अनेक प्रवासी और अप्रवासी कवियों ने अपनी काव्य प्रतिभा से लोगों को प्रभावित किया। अप्रवासी कवियों में यू.के. की श्रीमती उषा राजे सक्सेना, श्रीमती स्वर्ण तलवार, डा. रमा जोशी, श्रीमती दिव्या माथुर, डा. कृष्ण कुमार, नार्वे के डा. सुरेश चन्द्र शुक्ल, कनाडा के श्री आनन्द त्रिपाठी थे तो प्रवासी कवियों में डा. कुंअर बेचैन, डा. लक्ष्मीशंकर वाजपेयी, श्री ओम व्यास, श्री सुनील साहिल, श्री राजेश, श्री अम्बर खरबन्दा, श्री महेन्द्र शर्मा आदि थे।सम्मेलन का उद्घाटन प्रसिद्ध विधिवेत्ता डा. लक्ष्मीमल्ल सिंघवी ने किया और अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार श्री गोविन्द व्यास ने की। कार्यक्रम में श्रीमती दिव्या माथुर और श्री बालस्वरूप राही को अक्षरम् साहित्य सम्मान से प्रो. हरिशंकर आदेश एवं डा. अशोक चक्रधर को अक्षरम् हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर प्रख्यात साहित्यकार डा. सीतेश आलोक, अक्षरम् के अध्यक्ष श्री राजेश गोगना, महासचिव नरेश शांडिल्य सहित अनेक गण्यमान्यजन उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन श्री राजेश चेतन ने किया।प्रतिनिधिNEWS
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