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श्रीमद्भगवद् गीता राष्ट्रीय ग्रन्थ घोषित होरामप्रताप मिश्रगत 14-15 जून को निष्काम सेवा ट्रस्ट, भूपतवाला (हरिद्वार) में सम्पन्न हुई विश्व हिन्दू परिषद् के केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल की बैठक में निर्णय लिया गया कि श्रीराम मन्दिर निर्माण के लिए शीघ्र ही जनजागरण अभियान शुरू किया जाएगा। मार्गदर्शक मण्डल ने अगले वर्ष पांच स्थानों पर धर्म संसद आयोजित करने का भी निर्णय लिया है। इस बैठक में ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती, श्रीराम जन्मभूमि न्यास समिति के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास, विश्व हिन्दू परिषद् के अन्तरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष श्री अशोक सिंहल, महासचिव डा. प्रवीणभाई तोगड़िया, वरिष्ठ उपाध्यक्ष आचार्य गिरिराज किशोर, आचार्य धर्मेन्द्र, महंत रामविलास वेदांती, महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानन्द गिरि, महंत नृसिंहदास जी, स्वामी मंगलानन्द जी, स्वामी अविचलदास जी, स्वामी प्रेमानन्द जी, उमेश मुनि जी महाराज एवं आचार्य रामकृपाल दास रामायणी सहित देश के प्रमुख संत-महात्मा उपस्थित थे।मार्गदर्शक मण्डल की इस बैठक में केन्द्र सरकार से मांग की गई है कि वह अयोध्या की अधिग्रहित भूमि श्रीराम जन्मभूमि न्यास को सौंप दे ताकि मन्दिर का निर्माण कार्य प्रारम्भ किया जा सके। बैठक में आए प्रतिनिधियों ने हिन्दुओं की तुलनात्मक रूप से घटती जनसंख्या पर भी चिंता व्यक्त की। साथ ही अपने आश्रम में रोजा इफ्तार का आयोजन करने के लिए अयोध्या के संत ज्ञानदास के विरुद्ध निंदा प्रस्ताव भी पारित किया।केन्द्रीय मार्गदर्शक मंडल ने इस बैठक में तीन महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए गए। पहले प्रस्ताव में भारत की राजनीतिक स्थिति का लेखा-जोखा प्रस्तुत करते हुए हिन्दू समाज में प्रचण्ड राजनीतिक इच्छाशक्ति और संकल्प के जागरण की आवश्यकता जताई गई है। इस प्रस्ताव में गोहत्या, कश्मीर की धारा 370, साम्प्रदायिक तुष्टीकरण और हिन्दुओं के साथ हो रहे राजनीतिक विश्वासघात पर भी चिन्ता व्यक्त की गई है। दूसरे प्रस्ताव में पाकिस्तान यात्रा के समय भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष श्री लालकृष्ण आडवाणी के वक्तव्य की भत्र्सना की गई।एक अन्य महत्वपूर्ण प्रस्ताव में केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल ने श्रीमद् भगवद्गीता को राष्ट्रीय ग्रन्थ घोषित करने की मांग की है। इस प्रस्ताव में कहा गया है कि इस देश का राष्ट्रीय ग्रन्थ योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण की वाणी से निकली 700 श्लोकों वाली श्रीमद्भगवद् गीता हो सकती है, जो परमात्मा के प्रति श्रद्धा तथा समर्पण का सन्देश देती है। यह किसी व्यक्ति विशेष, किसी जाति, वर्ण, पंथ, देशकाल का ग्रन्थ नहीं है बल्कि यह सार्वलौकिक तथा सार्वकालिक राष्ट्रीय शास्त्र है। यह प्रत्येक देश, प्रत्येक जाति, प्रत्येक आयु के स्त्री-पुरुष अर्थात् सम्पूर्ण मानव जाति का ग्रन्थ है।-रामप्रताप मिश्रNEWS
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