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राजनीतिक विरोधियों ने की मन्मथ मण्डल की हत्याउनका “जुर्म” था वनवासियों की सेवा40वर्षीय मन्मथ मंडल चिकित्सक थे। उनका अधिकांश समय वनवासी अंचलों में गरीबों और वनवासियों की नि:शुल्क चिकित्सा सेवा में ही बीतता था। वनवासी कल्याण केन्द्र, टुण्डी-धनबाद के वह चिकित्सा प्रमुख भी थे। टुण्डी, गोविन्दपुर, तोपटचांची आदि वनवासी क्षेत्रों सहित आतंकवाद-नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्रों में वे निर्भय होकर चिकित्सा प्रकल्पों का संचालन करते थे। इस कारण धनबाद के वनवासी क्षेत्रों में उनकी खासी लोकप्रियता थी। गत् विधानसभा चुनावों में उन्होंने राष्ट्रवादी विचारधारा का प्रचार-प्रसार किया तो विरोधी दलों की आंखों की किरकिरी बन गए। उन्हें धमकियां दी जाने लगीं और गत 9 मार्च की सुबह जब वह अपने घर से सेवा कार्यों के सिलसिले में निकले तो फिर लौटकर नहीं आए। सरायढेला क्षेत्र में सड़क के किनारे उनका वाहन लावारिस हालत में मिला।पुलिस के अनुसार धनबाद सदर अस्पताल में नेपाल मंडल और पारस मणि नामक दो व्यक्ति गम्भीर रूप से घायल एक व्यक्ति को भर्ती कर गए थे। इलाज के दौरान 11 मार्च को उस व्यक्ति की मृत्यु हो गयी। पुलिस ने लावारिस समझकर पार्थिव शरीर को मटकुटिया में दफना दिया। मन्मथ मंडल के भाई ने जब उनके गायब होने का समाचार पुलिस को दिया और हुलिए की जानकारी दी तब पुलिस ने वस्त्र और फोटो के आधार पर उस “लावारिस मृतक” की पहचान मन्मथ मण्डल के रूप में की। मन्मथ मण्डल की दफन हुई लाश को पुन: निकालकर परिजनों को सौंपा गया तब जाकर विधि-विधानपूर्वक उनका अंतिम संस्कार सम्पन्न किया जा सका।मन्मथ मण्डल की नृशंस हत्या से धनबाद के वनांचल में रोष व्याप्त है। भाजपा, वनवासी कल्याण आश्रम, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व अन्य हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के वरिष्ठ कार्यकर्ता ने तीखा विरोध दर्ज कराया है। लोगों का मानना है कि हत्या राजनीतिक विद्वेष के कारण की गयी है। यदि सम्पूर्ण घटनाक्रम की अविलंब छान-बीनकर दोषियों को सजा न दिलाई गयी तो इन संगठनों ने व्यापक आन्दोलन का सामना करने की चेतावनी प्रशासन को दी है।गोपाल पाण्डेयNEWS
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