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-बलवीर सिंह “करुण”बरसों बरस खपायेजग के दाग गिनाने मेंजाने कब अपनी चादर परनजर फिराओगे।आधी उम्र गुजारी तम कासाथ निभाने मेंजाने कब उठकर सूरज सेआंख मिलाओगे।।सूरज के सोने पर दीपकसीना तान तनाऔर भोर तक घर-आंगन कापहरेदार बनागाल बजाने में नाहकआनन्द खोजते होजाने कब
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