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कैप्टन का “कोहराम राज”राकेश सैनपंजाब में अपनी पार्टी की सरकार का हाल-चाल जानने निकले कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष शमशेर सिंह दूलो ने शायद ही कभी इस बात का अनुमान लगाया होगा कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ सर्वाधिक आक्रोश अपने ही लोगों में दिखेगा। पार्टी के विधायक हों या पूर्व विधायक, पराजित उम्मीदवार हों या मंत्री का दर्जा प्राप्त संसदीय सचिव, हर कोई सरकार की कार्यप्रणाली और मुख्यमंत्री पर उंगलियां उठाता दिखाई दे रहा है। कुछ गुस्साए विधायक तो यहां तक कह रहे हैं कि “सरकार ने तो पार्टी की चूलें हिलाकर रख दी हैं। आश्चर्य की बात यह है कि एक ओर जहां सरकार अपनी उपलब्धियां गिनाते नहीं थक रही है और कैप्टन साहब अंग्रेजी पत्रिका इंडिया टुडे के सर्वेक्षण के आधार पर पंजाब को नंबर एक राज्य बनाने का तमगा लेकर फूले नहीं समा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उनके ही विधायक सरकार पर विफलता के आरोप लगा रहे हैं।शमशेर सिंह दूलो ने पिछले दिनों चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री, मंत्रियों, विधायकों, चुनावों में पराजित उम्मीदवारों की बैठक बुलाई थी ताकि सरकार के बारे में पूछने के साथ-साथ आने वाले विधानसभा चुनाव की रणनीति पर विचार-विमर्श किया जा सके। लेकिन भड़के कांग्रेसियों तथा असंतुष्ट विधायकों के शोर-गुल के कारण जल्दी ही यह बैठक कैप्टन सरकार की “पोल-खोल बैठक” में बदल गई। बैठक में उपस्थित वित्त मंत्री सुरिंदर सिंगला, स्थानीय निकाय मंत्री चौधरी जगजीत सिंह व कैबीनेट मंत्री लाल सिंह ने राज्य सरकार तथा मुख्यमंत्री का बचाव करने का प्रयास किया परन्तु कांग्रेसियों में गुस्सा इस कदर भरा था कि लगभग आठ घंटे चली इस बैठक में मात्र दो दर्जन वक्ता ही बोल पाए।जालंधर के विधायक राजकुमार गुप्ता ने कहा, “मुख्यमंत्री जब मंत्रियों-विधायकों से नहीं मिलते तो आम कार्यकर्ता की क्या बिसात है।” मोगा से पराजित कांग्रेसी प्रत्याशी विजय साथी ने तो यहां तक कह दिया कि कांग्रेसियों की राय जब जगजाहिर हो ही चुकी है तो केन्द्रीय पर्यवेक्षक बुलाकर नेतृत्व परिवर्तन कर दिया जाना चाहिए अन्यथा चुनाव में पार्टी की कैसी दुर्गति होगी, उसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है। खरड़ के विधायक दविंदर सिंह ने वित्तमंत्री को आड़े हाथों लेते हुए कहा, “वे जब भी बात करते हैं करोड़ों की करते हैं, परन्तु विकास के नाम पर उन्होंने चवन्नी भी खर्च नहीं की है। गांव के लोग तो सड़कें, बिजली, पानी, पेंशन मांगते हैं, उनको वैश्वीकरण से कोई सरोकार नहीं है। वल्टोहा के विधायक व पूर्व मंत्री गुरचेत सिंह भुल्लर को शिकायत थी कि उनके क्षेत्र में जब थाना प्रभारी जैसे अधिकारी उनकी सिफारिशों के विपरीत तैनात किए जाते हैं तो बड़ी नियुक्तियों में उनकी सलाह वैसे भी बेमानी हो जाती है। अमलोह क्षेत्र के विधायक व संसदीय सचिव साधू सिंह धर्मसोत को शिकायत है कि वरिष्ठ मंत्री उनके क्षेत्र में उनके प्रतिद्वंद्वियों को शह दे रहे हैं। भुलथ के पराजित उम्मीदवार सुखपाल सिंह खहरा और बरनाला क्षेत्र के सुरिंदर पाल सिंह दिड़बा के उम्मीदवार गुरचरण सिंह दिड़बा ने कहा कि प्रशासनिक और कार्यालयों में जब उनकी ही सुनवाई नहीं होती तो आम आदमी क्या उम्मीद करे। शिकायतें सुनकर शमशेर सिंह दूलो ने इस प्रकार के विवाद रोकने के लिए विधायकों व मंत्रियों की तालमेल कमेटी बनाने की बात कही। अपनी आलोचना से तिलमिलाए वित्तमंत्री ने कहा कि सरकार जिस स्तर की योजनाएं बना रही है, उसे विधायक ही नहीं समझ पा रहे हैं।NEWS
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