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विचार-गंगाराष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक प. पू. श्री गुरुजी ने समय-समय पर अनेक विषयों पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। वे विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने पहले थे। इन विचारों से हम अपनी समस्याओं का समाधान ढूंढ सकते हैं और सुपथ पर चलने की प्रेरणा प्राप्त कर सकते हैं। इसी उद्देश्य से उनकी विचार-गंगा का यह अनुपम प्रवाह श्री गुरुजी जन्म शताब्दी के विशेष सन्दर्भ में नियमित स्तम्भ के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। -संभारत में जन्म लेना सौभाग्य की बातश्री गुरुजीयदि ऐसा कोई देश है जहां मनुष्य भगवान की पूजा के माध्यम से भगवान से सुसंवाद स्थापित कर सकता है, तो वह केवल भारत ही है। हमारे पूर्वजन्म के पुण्यों के कारण ही हमें इस पावन भूमि में जन्म मिला है। वस्तुत: पूर्व सुकृत के बाद भी मोक्ष पाने हेतु भारतवर्ष में जन्म लेना ही भाग्य की बात है। मनुष्य को अन्य भू-भाग में भोग अथवा उपभोग मिल सकता है। वैज्ञानिक उपलब्धियां भी संभवत: मिल सकती हैं, चंद्रमा पर पहुंच सकता है, किन्तु भगवान तक नहीं पहुंच सकता। इसके लिए उसे भारत में ही जन्म लेना होगा।(स्वामी विवेकानन्द जन्म शताब्दी समारोह समिति, दिल्ली द्वारा 13 जनवरी, 1963 को गांधी मैदान में आयोजित समारोह में श्री गुरुजी द्वारा दिए गए उद्बोधन का अंश)(साभार- श्रीगुरुजी समग्र, खंड-1, पृष्ठ-54-55)NEWS
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