|
जिन हाथों ने मुझे गढ़ा,वे हैं इस सम्मान के सही अधिकारीआचार्य विष्णुकांत शास्त्री का शाल ओढ़ाकर अभिनन्दन करते हुए श्री टी.एन.चतुर्वेदी। चित्र में अन्य विशिष्टजन हैं- (बाएं से) प्रो. कल्याणमल लोढ़ा, डा. प्रतापचन्द्र चन्दर एवं श्री महावीर बजाजगत 12 दिसम्बर को कोलकाता में उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल आचार्य विष्णुकांत शास्त्री का अमृत महोत्सव अभिनन्दन समारोह आयोजित किया गया। श्री बड़ा बाजार कुमार सभा पुस्तकालय द्वारा आचार्य शास्त्री की आयु के 75 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में यह समारोह आयोजित किया गया था।कार्यक्रम में कर्नाटक के राज्यपाल श्री टी.एन. चतुर्वेदी ने आचार्य विष्णुकांत शास्त्री को शाल ओढ़ायी और अंगवस्त्र भेंट कर उनका अभिनंदन किया। इस अवसर पर कार्यक्रम के अध्यक्ष एवं आचार्य शास्त्री के पूर्व अध्यापक डा. प्रतापचन्द्र चन्दर ने स्मरण कराया कि हमारी भारतीय परम्परा में अपने पुत्रों एवं शिष्यों के खुद से आगे निकलने में गौरव का अनुभव किया जाता है। मेरे शिष्य विष्णुकांत ने मुझसे आगे निकलकर मुझे गौवान्वित किया है। उन्होंने उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के रूप में आचार्य विष्णुकांत शास्त्री की प्रशासनिक क्षमता की सराहना की। आचार्य विष्णुकान्त शास्त्री के एक अन्य अध्यापक एवं जोधपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. कल्याणमल लोढ़ा ने कहा कि विष्णुकांत जैसे शिष्य की आत्मीयता मेरे जीवन की उपलब्धि है। वे शब्द पुरुष हैं, जिनकी कथनी एवं करनी में अन्तर नहीं है। सम्मान स्वीकार करते हुए आचार्य विष्णुकांत शास्त्री ने कहा कि आज वे जो कुछ भी हैं, पूज्य गुरुओं की कृपा एवं आशीर्वाद से हैं। जिस प्रकार मूर्ति को गढ़ने वाले मूर्तिकार की सर्वत्र प्रशंसा होती है, उसी प्रकार मुझे गढ़ने वाले गुरुजन ही वास्तव में सम्मान के अधिकारी हैं। समारोह में बड़ी संख्या में साहित्यकार, समाजसेवी, एवं कवि उपस्थित थे। प्रेमशंकर त्रिपाठीNEWS
टिप्पणियाँ