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जुल्म का शिकार हिन्दू फिर हाशिए पर-जम्मू प्रतिनिधिकेन्द्र के इस सुझाव का जनता ने प्राय: स्वागत किया है कि जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तानी सीमा तथा नियंत्रण रेखा के दोनों ओर के लोगों को एक-दूसरे के समीप लाने के लिए जम्मू-सियालकोट, उरी-मुजफ्फराबाद तथा कारगिल-स्कर्दू के मार्ग खोलकर बस सेवाएं चालू की जाएं। किन्तु लोग इस बात से भी चिंतित दिखाई देते हैं कि जनता के साथ इन बसों से आई.एस.आई. के एजेंट तथा तोड़-फोड़ करने वाले तत्व भी आ सकते हैं। विशेषकर तब जब उस पार से चलाया जा रहा आतंकवाद जारी है। कुछ लोग इसलिए भी चिंतित हैं कि 1947 में जम्मू-कश्मीर से पलायन करके पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर में गए लोगों के वापस आने के कारण उनके अधिकार प्रभावित हो सकते हैं।बंटवारे के पश्चात् 1947 के दुखद हालात और फिर पाकिस्तानी आक्रमण के बाद बड़ी संख्या में शरणार्थी पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर और पाकिस्तान के सीमावर्ती क्षेत्रों से जम्मू-कश्मीर में आ गए थे जबकि बहुत से लोग इस ओर से पलायन करके पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर में चले गए थे। उस ओर से आने वाले और कुछ अन्य लोगों को पलायन करने वालों की भूमि और सम्पत्ति सरकार की ओर से आवंटित की गई थी। किन्तु इस सम्पत्ति पर पलायन करके जाने वालों के अधिकार आज भी सुरक्षित रखे गए हैं। इस सम्पत्ति की देख-भाल के लिए राज्य सरकार ने एक परिरक्षक विभाग बनाकर वैधानिक तौर पर इन पलायन कत्र्ताओं की वापसी सम्भव बनाई गई है।किन्तु पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर और पाकिस्तान से आने वाले शरणार्थियों की सम्पत्ति का कोई हिसाब-किताब नहीं है और न ही किसी प्रकार उनके अधिकार सुरक्षित हैं। पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर में मीरपुर तथा कई अन्य स्थान वहां बड़े बांध और बिजली की परियोजनाओं के कारण पानी के नीचे दब गए हैं तथा उनका कोई नामो-निशान नहीं है।उल्लेखनीय है कि 1947-48 मे जब परिरक्षक विभाग बनाया गया था तो सरकार ने स्पष्टीकरण दिया था कि उस पार जाने वाले जब वापस आएंगे तो उनकी सम्पत्ति उनको मिल जाएगी और इस ओर से वापस जाने वाले शरणार्थियों को अपने स्थानों पर बसा दिया जाएगा।पाकिस्तानी कब्जे वाले क्षेत्रों की वापसी की बात तो कोई नहीं करता और न ही वहां से आने वाले हिन्दू शरणार्थियों के पुनर्वास की बात होती है। जबकि पाकिस्तान जाने वालों को भारत वापस आने पर अपनी सम्पत्ति हासिल करने का अधिकार दे दिया गया है। संविधान विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक पाकिस्तानी कब्जे वाले क्षेत्र के सम्बंध में पाकिस्तान के साथ कोई पूर्ण समझौता नहीं हो जाता, उस पार से आने वाले लोगों की वापसी अस्थायी होगी। फिर दोनों ओर के पलायनकर्ता पाकिस्तान और हिन्दुस्थान की नागरिकता प्राप्त कर चुके हैं। अत: तुरन्त कोई समस्या पैदा नहीं होगी किन्तु सारे मामलों पर ध्यान रखने की आवश्यकता होगी क्योंकि पहले भी कई ऐसी समस्याएं उत्पन्न हो चुकी हैं कि उस पार से आने वाले कुछ परिवारों ने सम्पत्तियां तो प्राप्त कर लीं, किन्तु जिन लोगों को यह आवंटित की गई थीं उनके पुनर्वास का कोई ध्यान नहीं रखा गया। आतंकवाद तथा दोनों देशों के बीच एक लम्बे समय से चल रहे तनाव के कारण दोनों ओर की जनता दु:खी हो चुकी है और लोग अमन तथा शान्ति की आस लगाए बैठे हैं। मगर यह सब कुछ राजनीतिक प्रक्रिया पर निर्भर होगा कि कौन सा मार्ग अपनाकर देश के बंटवारे के कारण उत्पन्न समस्याओं का हल ढूंढा जाए।NEWS
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