कही-अनकही
July 15, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

कही-अनकही

by
Dec 12, 2004, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 12 Dec 2004 00:00:00

दीनानाथ मिश्रशादी: आगे झंझट, पीछे झंझटतीन आंकड़े मुझे याद हैं- लखनऊ साढ़े 12 हजार, दिल्ली 16 हजार, मुम्बई 8 हजार। ये आंकड़े हैं 28 नवम्बर को हुईं शादियों के। मालूम नहीं शादी को लोग एकवचन की तरह इस्तेमाल क्यों करते हैं? यह जब होती है, दो की होती है। एक अकेला क्या शादी करेगा और इसलिए जो भी आंकड़े आए हैं, उसमें दो का गुणा करना चाहिए। अगर सारे हिन्दुस्थान के आंकड़े जोड़ लिए जाएं तो इसी एक दिन में कम से कम 25 लाख लोगों की शादियां हुई होंगी। मगर मैं अखबारी आंकड़ों पर विश्वास कम करता हूं।जिस भी संवाददाता ने आंकड़ा लिखा होगा, अंदाजा ही लगाया होगा क्योंकि शादियां जब तय होती हैं तो सरकारी या किसी गैर-सरकारी संस्था में सूचना देने के बाद तय नहीं होती। कोई थानेदार, डाकिया, पटवारी अथवा गैर-सरकारी संगठन यह नहीं बता सकता कि उसके इलाके में कितनी शादियां हुईं या होने वाली हैं। अगर कोई टेंट वालों से पूछे तो वे ज्यादा से ज्यादा अपने यहां हुए ठेकों की संख्या बता सकते हैं। अकेले दिल्ली में कोई दस हजार टेंट वाले होंगे। मैं ऐसे किसी संवाददाता को नहीं जानता, जो पूरा हिसाब-किताब करके शादियों की संख्या का आकलन करेगा। घोड़ी वालों की बात तो और भी अलग है, क्योंकि आजकल घोड़ी का रिवाज कुछ घट गया है। दूल्हे राजा अक्सर कारों में ही जाते हैं।अलबत्ता बैण्ड बाजा अभी तक जरूर अनिवार्य बना हुआ है। मगर वह भी ठीक संख्या लिखने के मामले में किसी संवाददाता की मदद नहीं करते। हां, ऐसे समाचारों का एक फायदा जरूर होता है। जिस बैण्ड वाले की दर दस हजार होती है, वह समाचार छपते ही दर को बढ़ाकर चालीस-पचास हजार रुपए कर देता है। इसी तरह घोड़ी वाले, बत्ती वाले, टेंट वाले, भोजन के ठेके वाले, साज-सज्जा वाले, फूल वाले, शहनाई वाले, इस एक खबर से भावों को कई गुना उछाल देते हैं। संवाददाता तो बड़े आराम से आकलन कर लेता है। और बेटा व बेटी वाले पर शादी का खर्चा बढ़कर दो-ढाई गुणा हो जाता है। वैसे तो वित्त मंत्रालय सोया रहता है। इनमें वे अधिकारी भी सम्मिलत हैं, जो प्रोन्नत होकर संयुक्त सचिव तक पहुंच गए हैं और जिन्हें अनिद्रा की बीमारी है। लेकिन इस बार जब दिल्ली में यह खबर छपी कि 28 तारीख को हुई शादियों में 20 हजार करोड़ रुपए खर्च हुए तो वित्त मंत्रालय की लार टपकने लग गई। तत्काल उन्होंने शादी को उद्योग का दर्जा दे दिया और सेवा कर की उगाही के लिए फाइलें दौड़ने लग गईं। मुझे मालूम नहीं कि जिस संवाददाता ने जोड़जाड़ कर 20 करोड़ का आंकड़ा बनाया, उसमें सोना और हीरे-पन्ने से जड़े हुए जेवरातों का आकलन शामिल था या नहीं। वर-वधू के लिए विशेषज्ञों द्वारा निर्मित वस्त्रों की कीमत का कोई हिसाब- किताब किया था या नहीं? वंधुओं के चेहरे की विशेष सौन्दर्यीकरण के खर्चों के बारे में सोचा था या नहीं? पांचतारा होटलों में एक-एक चेहरे के सौन्दर्यीकरण पर कई-कई हजार रुपए लग जाते हें। शादी कोई एक उद्योग नहीं है। यह तो उद्योगों का महासंघ है। फूलवालों से लेकर कार वाले तक इसमें जुटे होते हैं। केवल उद्योगों का महासंघ नहीं है यह। कलाकारों का महासंघ भी इसमें जुटा रहता है। संगीत, नृत्य, अल्पना, सारी ललित कलाओं की शादी के मौसम में चांदी होती है।मुझे कोई एक उद्योग और एक कला बताएं, जिसकी पांचों उंगलियां शादी के इस मौसम में घी में नहीं होती। शुरुआत तो ज्योतिष वाले पंडित जी करते हैं। और शादी हो जाने पर कुछ न करने वाले किन्नर भी अपना मुंहमांगा हिस्सा ले जाते हैं। मुंहमांगा इसलिए कि उनकी राशि सुविचारित होती है। जिस गरीब की शादी में कुल एक लाख रुपए ही खर्च हुए हों, उसे 100 रुपए पर वे छोड़ देते हैं। लेकिन तगड़े तामझाम के साथ हुई शादी के मुख्य कर्ताधर्ता को मोटी रकम लिए बिना वह छोड़ते नहीं। अब भला बताइए, जिसे किन्नर भी नहीं छोड़ते, उसे वित्त मंत्रालय क्यों छोड़े? अब आगे से शादियों में तरह-तरह से अपनी सेवा प्रदान करने वाले ज्यादा सावधान रहेंगे। शादी के लिए सौदा करते समय सेवा कर का भी हिसाब लगा लेंगे। देख लिया न आपने, शादी के साथ झंझट ही झंझट जुड़े हुए हैं। शादी के आगे झंझट, शादी के पीछे झंझट और शादी के समय तो झंझट होता ही है। इन्हीं झंझटों से बचने के लिए कुछ शहरों में मैत्री-करार का चलन चल पड़ा है। बिना शादी के झंझट के जोड़े साथ-साथ रहने लग जाते हैं। मगर ऐसे झंझटों से पीछा नहीं छूटता।30

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Uttarakhand court sentenced 20 years of imprisonment to Love jihad criminal

जालंधर : मिशनरी स्कूल में बच्ची का यौन शोषण, तोबियस मसीह को 20 साल की कैद

पिथौरागढ़ में सड़क हादसा : 8 की मौत 5 घायल, सीएम धामी ने जताया दुःख

अमृतसर : स्वर्ण मंदिर को लगातार दूसरे दिन RDX से उड़ाने की धमकी, SGPC ने की कार्रवाई मांगी

राहुल गांधी ने किया आत्मसमर्पण, जमानत पर हुए रिहा

लखनऊ : अंतरिक्ष से लौटा लखनऊ का लाल, सीएम योगी ने जताया हर्ष

छत्रपति शिवाजी महाराज

रायगढ़ का किला, छत्रपति शिवाजी महाराज और हिंदवी स्वराज्य

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Uttarakhand court sentenced 20 years of imprisonment to Love jihad criminal

जालंधर : मिशनरी स्कूल में बच्ची का यौन शोषण, तोबियस मसीह को 20 साल की कैद

पिथौरागढ़ में सड़क हादसा : 8 की मौत 5 घायल, सीएम धामी ने जताया दुःख

अमृतसर : स्वर्ण मंदिर को लगातार दूसरे दिन RDX से उड़ाने की धमकी, SGPC ने की कार्रवाई मांगी

राहुल गांधी ने किया आत्मसमर्पण, जमानत पर हुए रिहा

लखनऊ : अंतरिक्ष से लौटा लखनऊ का लाल, सीएम योगी ने जताया हर्ष

छत्रपति शिवाजी महाराज

रायगढ़ का किला, छत्रपति शिवाजी महाराज और हिंदवी स्वराज्य

शुभांशु की ऐतिहासिक यात्रा और भारत की अंतरिक्ष रणनीति का नया युग : ‘स्पेस लीडर’ बनने की दिशा में अग्रसर भारत

सीएम धामी का पर्यटन से रोजगार पर फोकस, कहा- ‘मुझे पर्यटन में रोजगार की बढ़ती संख्या चाहिए’

बांग्लादेश से घुसपैठ : धुबरी रहा घुसपैठियों की पसंद, कांग्रेस ने दिया राजनीतिक संरक्षण

चित्र - उत्तराखंड नैनीताल हाईकोर्ट

उत्तराखंड : अतिक्रमण को लेकर फिर बिफरा नैनीताल हाई कोर्ट, 25 अगस्त तक मांगी रिपोर्ट

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies