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हर पखवाड़े स्त्रियों का अपना स्तम्भमंगलम्, शुभ मंगलम्इस स्तम्भ में दम्पत्ति अपने विवाह की वर्षगांठ पर 50 शब्दों में परस्पर बधाई संदेश दे सकते हैं। इसके साथ 200 शब्दों में विवाह से सम्बंधित कोई गुदगुदाने वाला प्रसंग भी लिखकर भेज सकते हैं। प्रकाशनार्थ स्वीकृत प्रसंग पर 200 रुपए का पुरस्कार दिया जाएगा।”स्त्री” स्तम्भ के लिए अपनी सामग्री, टिप्पणियां इस पते पर भेजें”स्त्री” स्तम्भद्वारा, सम्पादक, पाञ्चजन्य संस्कृति भवन,देशबन्धु गुप्ता मार्ग, झण्डेवाला, नई दिल्ली-55…और कल्पनाएं सच में बदल गईंश्रीमती नीलम गोगना और श्री विजेन्द्र गोगनाप्रिय विजय,अपने जीवन साथी के बारे में हरेक की अलग-अलग कल्पनाएं होती हैं, परन्तु लोगों का यह कहना कि यथार्थ और कल्पना में बहुत अंतर होता है। सोचकर कई बार डर भी लगता था कि जैसा मैंने अपने जीवन साथी के बारे में सोचा है, अगर वैसा न हुआ तो? यह सोचकर कभी-कभी मैं शादी के नाम से डरने भी लगती थी। परन्तु जब शादी हुई तो मेरी खुशी का ठिकाना न रहा। मैं विश्वास ही नहीं कर पा रही थी कि वास्तव में मेरी कल्पनाएं हकीकत में बदल गईं हैं। जैसी मेरी कल्पनाएं थीं, वैसे ही जीवन साथी के रूप में आपको पाकर मुझे जीवन की मानो सारी खुशियां ही मिल गई हों। समय पंख लगाकर कब उड़ता गया पता ही नहीं चला। आज हमारी शादी को बीस साल होने को हैं, लगता है जैसे कल की ही बात है। ससुराल में आकर मैंने पाया कि आप घर में सबके कितने प्रिय हैं और हो भी क्यों न, आपका स्वभाव ही ऐसा है कि बरबस घर के तो क्या बाहर के लोग भी आपकी तरफ खींचे चले आते हैं। शायद इसका सबसे बड़ा कारण यह कि आप किसी को किसी भी काम के लिए मना नहीं करते, सबके कामों के लिए हाजिर रहते हैं। शादी के बाद जब मैं आपके घर आई तो आपने हर परिस्थिति में मेरा साथ दिया। मेरी हर छोटी से छोटी इच्छा का पूरा-पूरा सम्मान किया। शादी से पहले मैं नौकरी करती थी। यहां ससुराल में भी सभी नौकरी ही करते थे। परन्तु आपने कभी मुझे इसके लिए मजबूर नहीं किया कि मैं नौकरी करूं। बीजी और पापा जी के चेहरे की प्रसन्नता देख मुझे बहुत ही सुकून मिलता था। इसलिए मैंने कभी नौकरी के बारे में सोचा ही नहीं। आप हर कदम मेरे साथ चले। इसलिए जब कभी मैं मायके जाती तो चार दिन की बजाय दो दिन में ही वापस आ जाती, क्योंकि आपके बिना मुझे सब कुछ अधूरा लगता। यह बात नहीं कि हमारा झगड़ा नहीं होता, होता है परन्तु जब आप प्यार से मुझे समझा देते हैं तो मेरा गुस्सा न जाने कहां गायब हो जाता है। लगता ही नहीं कि हमारे बीच कोई झगड़ा भी हुआ था। बस यूं ही प्यार और तकरार में जीवन बीते, आपका साथ बना रहे यही कामना है।आपकीनीलम गोगनाद्वारा श्री विजेन्द्र गोगना718, पाकेट-4, मयूर विहार,फेस-1, दिल्ली-9422
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