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राजकृष्ण भक्त
एक कर्मठ व्यक्तित्व
भारतीय मजदूर संघ के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री राजकृष्ण भक्त का गत 30 मार्च को नई दिल्ली में निधन हो गया। वे अपने पीछे शोर संतप्त परिवार में चार भाई, तीन पुत्रियां एवं दो पुत्र छोड़ गए। श्री भक्त का जन्म मांटगुमरी जिले के कबुला ग्राम (जो अब पाकिस्तान में अवस्थित है) में 1 जून, 1921 को हुआ था। विभाजन के बाद वे सपरिवार जालंधर (पंजाब) आ गए थे।
अर्थशास्त्र में स्नातक श्री भक्त श्री दत्तोपंत ठेंगडी एवं संघ-विचारों से प्रभावित होकर सन् 1980 में पंजाब नेशनल बैंक की नौकरी त्याग कर भारतीय मजदूर संघ (भा.म.स.) के पूर्णकालिक कार्यकर्ता बने। सन् 1991-1999 के दौरान उन्होंने भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय महामंत्री एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी निभाई। कर्मठ एवं संघर्षशील श्री भक्त श्रमिक हितों को न सिर्फ राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी बुलंदी के साथ उठाते रहे। पूर्णकालिक कार्यकर्ता बनने से पूर्व सन् 1960 में भा.म.स. के साथ जुड़कर उन्होंने बैंक कर्मचारियों को संगठित किया था। उन्होंने विभिन्न श्रमिक समितियों एवं बोर्डों के सदस्य के रूप में उल्लेखनीय कार्य किया। दिवंगत आत्मा को पाञ्चजन्य परिवार हार्दिक श्रद्धाञ्जलि अर्पित करता है।
नींव के पत्थर थे वे
-कुप्.सी.सुदर्शन, सरसंघचालक, रा.स्व.संघ
रा.स्व.संघ के सरसंघचालक श्री कुप्.सी. सुदर्शन ने स्व. भक्त के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि वे एक ऐसे नींव के पत्थर के समान थे जिनके बल पर ही ऐसे विशाल संगठन रूपी भवन खड़े हो पाए हैं। भारतीय मजदूर संघ को देश के एक वृहत् व प्रभावी श्रमिक संगठन के रूप में खड़ा करने में स्व. भक्त का अपूर्व योगदान रहा। ऐसे नींव के अनेक पत्थर अदृश्य होते जा रहे हैं। परमपिता परमेश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें, यही कामना है।
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