|
पाञ्चजन्य पचास वर्ष पहलेवर्ष 8, अंक 43, ज्येष्ठ शुक्ल 9, सं. 2012 वि., 30 मई, 1955, मूल्य 3 आनेसम्पादक : गिरीश चन्द्र मिश्रप्रकाशक – श्री राधेश्याम कपूर, राष्ट्रधर्म कार्यालय, सदर बाजार, लखनऊट्रेड यूनियन के सदस्यों की जबानीलाल चीन का कच्चा चिट्ठाचीनी नक्शे में कश्मीर सम्मिलित: यात्रियों को घूमने की स्वतंत्रता नहीं(विशेष प्रतिनिधि द्वारा)दिल्ली। 32 भारतीय ट्रेड-यूनियन प्रतिनिधि मई दिवस पर चीन की यात्रा करने गए किन्तु इनमें से 9 यात्रा बिना पूरी किए हुए ही वापस लौट आए। जानते हैं क्यों? क्योंकि विश्व शांति एवं बन्धु भाव का नाम लेकर उन्हें कम्युनिस्ट प्रचार का साधन बनाया जा रहा था, क्योंकि उन्हें सीमित क्षेत्रों में भ्रमण करा कर कम्युनिस्ट कार्य प्रणाली से प्रभावित किया जा रहा था। भारतीय प्रतिनिधि दल में से अनेक प्रतिनिधि पाश्चात्य देशों की ट्रेड यूनियनों को देख चुके थे। उनकी इच्छा थी कि किसी प्रकार कम्युनिस्ट देशों में चलने वाली ट्रेड यूनियन प्रणाली का भी अवलोकन किया जाए। इसी कारण जिस समय अखिल चीन ट्रेड यूनियन नेताओं को मई दिवस पर चीन जाने का निमंत्रण प्राप्त हुआ, उन्होंने उसे स्वीकार कर लिया। हांगकांग से ही भारतीय दल के साथ अनेक चीनी अधिकारी साथ हो लिए। शंघाई में प्रतिनिधियों को एक मानचित्र एक होटल के बाहर चिपका हुआ दिखाई दिया, जिसमें कश्मीर व भारत के कुछ अन्य भाग चीनी साम्राज्य के अन्तर्गत प्रदर्शित किए गए थे। एक भारतीय प्रतिनिधि एक कम्युनिस्ट कार्यकर्ता से पूछ ही बैठा, “जबकि कम्युनिस्ट चीन भारत जैसे सह-अस्तित्ववादी देश की भूमि को हड़पने की योजना बना रहा है तो अन्य देशों के साथ वह “पंचशील सिद्धांत” को कैसे कार्यान्वित कर सकेगा?”उर्दू और राज्य-विभाजन के प्रश्न पर उ.प्र. मंत्रिमण्डल में फूटमंत्रिमंडल में शीघ्र परिवर्तन होगा?(निज प्रतिनिधि द्वारा)नैनीताल! विश्वस्त सूत्र से ज्ञात हुआ है कि अलीगढ़ के पुराने कांग्रेसी, बीच के प्रजासमाजवादी और फिर कांग्रेसी ठा. मलखान सिंह को अनेक विरोधों के बावजूद भी उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल में किसी न किसी रूप में लिया जाना प्राय: निश्चित हो गया है। ऐसा विश्वास किया जाता है कि राज्य कांग्रेस तथा मंत्रिमंडल के सूत्रधार श्री चन्द्रभानु गुप्त इसी संबंध में नैनीताल में आयोजित मंत्रिमंडल की महत्वपूर्ण बैठक में भाग लेने से पूर्व अलीगढ़ गए थे। ठा. मलखान सिंह को कांग्रेस तथा मंत्रिमण्डल में शामिल करने के पीछे एक उद्देश्य यह भी बताया जाता है कि भूतपूर्व स्वायत्तमंत्री श्री मोहन लाल गौतम तथा मालमंत्री चौ. चरणसिंह का राजनीतिक प्रभाव पूर्णतया समाप्त करना जिससे कि गुप्त-गुट के विरुद्ध वे सर न उठा सकें।हिन्दू कहलाने में लज्जा क्यों?(आचार्य विनोबा भावे)कुछ लोगों का आजकल एक गलत खयाल हो गया है। हिन्दुस्थान में आज “सेकुलर स्टेट” की बात चली है। वह अच्छी बात है गलत नहीं। हमारी सभ्यता में ही वह बात है कि जो राज्य चलेगा वह सब धर्मों की समान रक्षा करेगा, पक्षपात नहीं करेगा। अशोक के जमाने में भी खुद अशोक बौद्ध था, परन्तु प्रजा तीन धर्मों में हिन्दू-बौद्ध और जैन में बंटी हुई थी। और तीनों की समान रक्षा होती थी। इसलिए हम अशोक का इतना आदर करते हैं और हमने भी उसी का चिह्न अपने राज्य के लिए लिया है। “सेकुलर स्टेट” तो अच्छा है उसका गोरक्षा के साथ कोई विरोध नहीं है। अगर ऐसा होता है कि आज हिन्दुस्थान में जितने धर्म हैं, उनमें से एक धर्म कहता है कि गाय को मारना पाप है और दूसरा धर्म कहता है कि गाय का कत्ल करना पुण्य है। तो सरकार कहती है कि इस तरह दो धर्मों में विरोध है, तो दोनों को अपने-अपने मत के अनुसार चलने की इजाजत होनी चाहिए, इसलिए सरकार इस बारे में कुछ नहीं कर सकती। इसलिए मैं कहता हूं कि हमारे “सेकुलर स्टेट” में गोरक्षा होनी चाहिए। किन्तु आजकल कुछ लोगों को हिन्दू कहलाने में भी झिझक मालूम होती है। यह बात गलत है। मैं तो कहता हूं कि हर एक हिन्दू अच्छा हिन्दू बने और हर एक मुसलमान अच्छा मुसमलान बने और हर एक ईसाई अच्छा ईसाई बने।17
टिप्पणियाँ