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सुनो कहानीचूर हुआ घमण्डरावण के बारे में प्रसिद्ध है कि उसने वरुण, कुबेर, इन्द्र, यम जैसे देवताओं को भी जीत लिया था। पर वही रावण किष्किन्धा के राजा बालि और महेश्वर के राजा सहस्रार्जुन से बुरी तरह हार गया था। कहा जाता है कि महा घमण्डी रावण एक बार सहस्रार्जुन से युद्ध करने उसकी राजधानी माहिष्मती गया, पर उस समय सहस्रार्जुन नर्मदा नदी में स्नान करने गया था। रावण वहां पुष्पक विमान से आया था। उसने सोचा, मैं भी पवित्र नर्मदा में नहा लूं और उसके तट पर शिव की पूजा भी कर लूं। रावण ने नर्मदा में स्नान किया और उसके किनारे बालू का शिवलिंग बनाकर वहां अपने सैनिकों से फूल एकत्र कराए। तभी उसके आने की खबर सहस्रार्जुन को हुई तो उसने नर्मदा के जल का बहाव उधर बढ़ा कर सब फूल बहा दिए। रावण बड़ा कुपित हुआ और जहां सहस्रार्जुन स्नान कर रहा था- वहां पहुंचा। उसे युद्ध के लिए ललकारा। दोनों में युद्ध होने लगा। देर तक युद्ध होते-होते सहस्रार्जुन ने घात लगाकर रावण को पकड़ लिया और बन्दी बनाकर अपनी राजधानी ले आया। इसकी जानकारी रावण के पितामह ऋषि पुलस्त्य को हुई तो वे कैलास से चलकर माहिष्मती नगरी आए और सहस्रार्जुन से मिले। उसे समझाया, कहा- “देखो राजन! रावण मेरा पौत्र है-युद्ध में तुम इसे पराजित कर चुके, इससे तुम्हारी कीर्ति बढ़ी-यश बढ़ा किन्तु वत्स! अब उस पराजित रावण को बन्धन-मुक्त कर दो।” पुलस्त्य जी बहुत बड़े ऋषि थे। सभी उनका आदर करते थे। फिर भला सहस्रार्जुन उनका कहा कैसे न मानता। उसने पुलस्त्य जी को सम्मान देते हुए रावण को छोड़ दिया। – मानस त्रिपाठीबूझो तो जानेंप्यारे बच्चो! हमें पता है कि तुम होशियार हो, लेकिन कितने? तुम्हारे भरत भैया यह जानना चाहते हैं। तो फिर देरी कैसी?झटपट इस पहेली का उत्तर तो दो। भरत भैया हर सप्ताह ऐसी ही एक रोचक पहेली पूछते रहेंगे। इस सप्ताह की पहेली है-पिता और चाचाओं से भी, थे वे ज्यादा वीर, मार गिराई सारी सेना, ऐसे थे रणधीर।पकड़ यज्ञ का घोड़ा हर्षित थे वे दोनों भाई, माता ने ही फिर उनकी सबसे पहचान कराई।।उत्तर:(लव-कुश)25
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