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मुस्लिम समाज और भाजपाएम.जे. अकबर, सईद नकवी औरशाहिद सिद्धीकी से बातचीतप्रस्तुति : जितेन्द्र तिवारीस्वतंत्र भारत के इतिहास मेंपहली बारमुस्लिम समाज भाजपा से जुड़ा-एम.जे. अकबर,सम्पादक,द एशियन एज(अंग्रेजी दैनिक) स्वतंत्र भारत के राजनीतिक इतिहास में ऐसा पहली बार दिख रहा है कि बड़ी संख्या में मुस्लिम समाज भाजपा से जुड़ा है। प्रधानमंत्री श्री वाजपेयी और उपप्रधानमंत्री श्री लालकृष्ण आडवाणी ने जो सौहार्द का वातावरण बनाया, उसका असर दिखाई दे रहा है। साथ ही पाकिस्तान के साथ दोस्ती की पहल का भी बहुत असर पड़ा है। क्योंकि जब भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव कम होता है तो उस कारण घरेलू तनाव भी काफी हद तक कम हो जाते हैं।वाजपेयी सरकार के पांच साल के बाद एक और बड़ा परिवर्तन देखने को मिला। वह यह कि अब मुसलमानों के लिए कोई भी पार्टी अछूत नहीं रही। इन्होंने सबको देख लिया है और पाया है कि सबमें कुछ अच्छाइयां हैं तो कुछ बुराइयां भी। इसलिए यह सोच उभर रही है कि हम किसी को एकमुश्त वोट क्यों दें, किसी का वोट बैंक क्यों बनें। हमेशा कहा जाता है कि मुस्लिम एक वोट बैंक हैं, लेकिन इस बार उनमें यह सोच दिखायी दे रही है कि जो उनके लिए कुछ करेगा, वे उसी को वोट देंगे। इस दृष्टि से इस बार वे बहुत परिपक्व होकर मतदान करेंगे।यह कहना अभी कठिन है कि कितने प्रतिशत मुस्लिम मत भाजपा को मिलेंगे, क्योंकि ऐसा पहली बार हो रहा है। लेकिन जिस प्रकार बड़ी संख्या में मुसलमान भाजपा के मंच और जनसभाओं में आए हैं उससे लगता है बड़ी संख्या में मुस्लिम मतदाता भाजपा को वोट देंगे। एक संसदीय क्षेत्र के सर्वेक्षण के दौरान मैंने स्वयं पाया कि मुस्लिम मतदाता भी भाजपा को वोट दे रहा है। भाजपा के प्रति उसके मन की आशंकाएं पूरी तरह तो नहीं, पर कुछ हद तक दूर हुई हैं। इसलिए वह भाजपा को हराने के लिए नकारात्मक मतदान नहीं करेगा। इसका भाजपा पर भी प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि वह मुस्लिम समाज की इसलिए अनदेखी कर देती थी कि उसे तो इनके मत नहीं मिलेंगे। कुल मिलाकर इस परिवर्तन का प्रभाव प्रत्येक दल की नीति पर भी पड़ेगा और राष्ट्रीय राजनीति पर भी।12
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