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चीन यात्रा की समाप्ति पर प्रधानमंत्री वाजपेयी ने कहा-
तिब्बत के बारे में कोई विसंगति नहीं,
सिक्किम के बारे में चीन ने दृष्टिकोण बदला
अपनी छह दिवसीय चीन यात्रा की समाप्ति पर गत 27 जून को प्रधानमंत्री वाजपेयी ने अपने वक्तव्य में जहां इस यात्रा को आपसी सहयोग के क्षेत्रों की संभावनाएं तलाशने में परिणामकारी बताया, वहीं पारम्परिक सांस्कृतिक संबंधों को पुष्ट करने वाली बताया। शंघाई से जारी इस वक्तव्य में प्रधानमंत्री वाजपेयी ने चीन यात्रा में हुई उपलब्धियों की जानकारी दी। यहां प्रस्तुत है प्रधानमंत्री के उसी वक्तव्य का संपादित स्वरूप-
दिल्ली से प्रस्थान के समय अपने वक्तव्य में मैंने कहा था कि भारत और चीन के बीच निकट संबंध बनाए जाने की आवश्यकता है और इसके पीछे आकाट्य भौगोलिक, राजनीतिक और आर्थिक कारण हैं। राष्ट्रपति हू जिनताओ, अध्यक्ष जियांग जमिन, प्रधानमंत्री वेन जिआबाओ व नए चीनी नेतृत्व के अन्य वरिष्ठ प्रतिनिधियों के साथ हुई मेरी बातचीत अत्यंत सौहार्दपूर्ण और परिणामकारी रही। इन वार्ताओं से हमें एक स्पष्ट संदेश मिला है कि चीन भी आपसी सद्भाव व सभी क्षेत्रों में सहयोग के चहुंमुखी विस्तार की हमारी इच्छा का पूरी तरह से सम्मान करता है। हम इस बात पर भी सहमत थे कि एक बहुध्रुवीय वि·श्व पटल की तलाश में भारत और चीन के बीच सहयोगात्मक संबंध एक सकारात्मक शक्ति के रूप में कारगर होंगे। मेरे साथ वार्ता करने वाले सभी नेताओं ने इस बात पर बल दिया कि वर्तमान भौगोलिक स्थिति की भी मांग है कि भारत और चीन मिलकर कार्य करें।
आपसी संबंधों के विकास के सिद्धान्तों के आधार पर हमने 10 संधियां की हैं और एक संयुक्त घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। ये संधियां द्विपक्षीय सहयोग के नए क्षेत्र तलाशने की हमारी कोशिशों की पुष्टि करती हैं। संयुक्त घोषणापत्र भविष्य में इस रिश्ते के विकास के संबंध में हमारे साझे दृष्टिकोण को रेखांकित करता है। संयुक्त घोषणापत्र आतंकवाद पर हमारा साझा मत दर्शाता है।
जिन महत्वपूर्ण प्रयासों की चर्चा हुई उनमें, निश्चित रूप से, भारत-चीन सीमा विवाद को सुलझाने की बात भी हुई। दोनों देश उन नियमों-तरीकों की चर्चा करते रहे हैं जिन पर चलकर सीमा विवाद सुलझाया जा सकता है।
प्रधानमंत्री वेन जिआबाओ के साथ मेरी बातचीत में इस बात पर सहमति बनी कि समग्र द्विपक्षीय संबंधों के राजनीतिक परिप्रेक्ष्य से सीमा विवाद सुलझाने हेतु उपयुक्त ढांचा तय करने में तेजी लाई जाए और इस उद्देश्य के लिए विशेष प्रतिनिधि नियुक्त किए जाएं। हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार भारत की ओर से विशेष प्रतिनिधि होंगे। चीन ने भी अपना विशेष प्रतिनिधि नियुक्त कर दिया है। हमें उम्मीद है कि यह नयी पहल इस विवादास्पद समस्या के हल की तलाश को गति देगी।
मैं और प्रधानमंत्री वेन जिआबाओ इस बात पर भी सहमत थे कि वास्तविक नियंत्रण रेखा के स्पष्ट निर्धारण हेतु जारी संयुक्त कार्रवाई अबाधित रूप से चलती रहनी चाहिए। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति बनाए रखने पर भी सहमति जताई गई।
अर्थशास्त्रियों और अधिकारियों के एक संयुक्त अध्ययन दल के गठन का निर्णय मौजूदा क्षेत्रों में हमारे आर्थिक सहयोग के विस्तार और नए क्षेत्रों में इसको लागू करने की दृष्टि से विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। संयुक्त अध्ययन दल लाभकारी आर्थिक संभावनाओं के क्षेत्रों की पहचान करके दोनों सरकारों को द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने, पूंजी निवेश के उन्नयन और भारत और चीन के संयुक्त आर्थिक प्रयासों के लिए द्विपक्षीय और बहुस्तरीय अवसरों के बारे में उपयुक्त कदम सुझाएगा।
चीन के साथ हमारे व्यापार में एक तीसरा सीमा पारगमन मार्ग जुड़े इसके लिए चीन के साथ हमने एक सीमा व्यापार संधि पर हस्ताक्षर किए हैं। इस संधि से, जो सिक्किम और तिब्बत के बीच व्यापार सुगम करेगी, हमने उस प्रक्रिया की भी शुरुआत की है जिसके माध्यम से सिक्किम भारत-चीन संबंधों में किसी मुद्दे की तरह नहीं रहेगा।
तिब्बत पर हमारी मान्यता को लेकर काफी चर्चा-वार्ता हुई है। संयुक्त घोषणापत्र से यह झलकता भी है। मैं शब्दों के विवेचन या लम्बे और पेचीदा स्पष्टीकरण में नहीं जाना चाहता। मैं केवल इतना ही कहना चाहूंगा कि चीनी गणराज्य के तिब्बत स्वायत्तशासी क्षेत्र को लेकर हमारे दृष्टिकोण में कोई अस्पष्टता या विसंगति नहीं है। अत: हम संयुक्त घोषणापत्र में अपने मत को रेखांकित करते हुए संतुष्ट हैं।
चीनी नेतृत्व से मेरी अपनी बातचीत के अलावा हमारे वाणिज्य व उद्योग मंत्री ने अपने समकक्षों व बीजिंग की अन्य उद्योग व व्यापार संस्थाओं से वार्ता की। संचार व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने यहां शंघाई में अनेक बैठकों में भाग लिया। दोनों शहरों में मैंने व्यापार सम्मेलनों को संबोधित किया और हमारे मंत्रियों का चीनी व्यापार प्रतिनिधियों के साथ विचारों का आदान-प्रदान हुआ। इस यात्रा पर मेरे साथ आया व्यापार प्रतिनिधिमंडल विदेशों की मेरी अन्य सभी यात्राओं के सबसे बड़े प्रतिनिधिमंडलों में से एक है। मुझे लगता है कि दोनों देशों के व्यापार और उद्योग क्षेत्र में हमारे आर्थिक रिश्तों की संभावनाओं को लेकर नई चेतना जागी है। दोनों देशों के बीच आपसी वि·श्वास और समझ बढ़ाने के लिए हम इन सकारात्मक कारकों और द्विपक्षीय व बहुस्तरीय सहयोग से पारस्परिक लाभों को अधिकतम करें।
भारत से चीन में बुद्ध की शिक्षाओं का प्रसार करने गए पहले बौद्ध भिक्षु के आगमन की स्मृति में लुयांग गुफा में बना मंदिर और लांगमन शिल्प देखना मेरे लिए अत्यंत आल्हादकारी अनुभव रहा। वहां उत्कृष्ट नक्काशी और बुद्ध की आकर्षक मूत्र्तियां एक गहरा प्रभाव छोड़ती हैं। ये हमें भारत-चीन के बीच जुड़ाव के एक महत्वपूर्ण आयाम की याद दिलाती हैं।
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