दिंनाक: 12 Aug 2002 00:00:00 |
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वेतन दो हजार, लेकिन गाड़ी….आतंकवादग्रस्त जम्मू-कश्मीर में जहां सब कुछ अस्त-व्यस्त है, वहीं मदरसों की संख्या अप्रत्याशित रूप से बढ़ रही है। 1990 में पुंछ जिले में जहां 13 मदरसे थे, अब वहां 37 मदरसे सक्रिय हैं। इसी तरह राजौरी जिले में मदरसों की संख्या 19 से बढ़कर 26 हो गई है। ऐसे ही अन्य जिलों में भी मदरसों की संख्या बढ़ी है। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार इन मदरसों के अधिकांश मौलवी राज्य के बाहर के हैं। स्थानीय लोगों का कहना है ये मौलवी शिक्षा के नाम पर बच्चों के मन-मस्तिष्क में जहर भर रहे हैं। विशेष रूप से हिन्दू धर्म और हिन्दुओं के प्रति। इसके अलावा ये मौलवी शहर के विभिन्न क्षेत्रों में जाकर इस्लाम का प्रचार करते हैं। पूछने पर ये लोग अपना वेतन दो से तीन हजार तक बताते हैं, किन्तु इनमें से अधिकांश के पास अत्याधुनिक गाड़ी और आलीशान मकान है। कागजों पर इन मदरसों का संचालन अकाफ बोर्ड के हाथ में है, किन्तु सूत्रों का कहना है कि अधिकांश मदरसे विभिन्न आतंकवादी गुटों द्वारा संचालित होते हैं।मदरसों की बढ़ती संख्या पर प्रशासन का कोई वरिष्ठ अधिकारी मुंह तक नहीं खोलना चाहता। किन्तु पुलिस सूत्र मदरसों की बढ़ती संख्या की जानकारी देते हैं। यह भी ज्ञात हुआ है कि इन मदरसों को राज्य सरकार की सहायता मिल रही है। चिन्ता तो इस बात की है कि ये मदरसे संवेदनशील क्षेत्रों में भी पनपने लगे हैं।…और अब मदनी की रिहाई की मांगराजनीतिक स्वार्थ सिद्ध होने चाहिए, फिर यह नहीं देखा जाता कि इसका देश पर क्या असर होगा? कुछ ऐसा ही आजकल केरल में देखने को मिल रहा है। यहां सत्ता के गलियारों से 1998 में कोयम्बटूर बम विस्फोट के आरोपी अब्दुल नसीर मदनी को जेल से रिहा करने की मांग जोर-शोर से उठ रही है। माक्र्सवादी नेतृत्व वाले वाम लोकतांत्रिक मोर्चा और कांग्रेस गठबंधन वाली वाममोर्चा सरकार इस खतरनाक व्यक्ति को रिहा करने की मांग कर रही है। यह वही मदनी है, जिसे कोयम्बटूर में बम विस्फोट करके श्री लालकृष्ण आडवाणी की हत्या का षड्यंत्र रचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। दरअसल मदनी कोई साधारण व्यक्ति नहीं, बल्कि राजनेता है। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पी.डी.पी.) का अध्यक्ष है। पी.डी.पी. का कहना है कि अवसरवादी राजनेताओं ने मदनी की पूरी तरह उपेक्षा की है। उसे चार साल तक जेल में बंद रखना सरासर अन्याय है। वाम लोकतांत्रिक मोर्चा और संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा ने चुनाव से पहले वादा किया था कि मदनी को छोड़ दिया जाएगा, लेकिन साढ़े चार साल बीत जाने के बावजूद आज भी उसे रिहा नहीं किया गया।राजनीतिक स्वार्थों के चलते मदनी जैसे खतरनाक व्यक्ति को अगर छोड़ा जाता है तो देश के लिए इससे अधिक दुर्भाग्य की बात क्या होगी? कोयम्बटूर बम विस्फोट की जांच के लिए नियुक्त विशेष जांच दल ने जिन आरोपियों की सूची न्यायालय को दी थी, उसमें मदनी का नाम 15वें क्रमांक पर था। आरोप है कि उसने इन विस्फोटों के लिए उच्च स्तर के विस्फोटकों की आपूर्ति की थी। उल्लेखनीय है कि मई, 1998 में कोयम्बटूर में 12 स्थानों पर बम विस्फोट हुए थे, जिनमें 58 लोगों की मृत्यु हुई थी और 250 लोग घायल हुए थे। इसके साथ ही 4.37 करोड़ रुपए की सम्पत्ति की हानि भी हुई थी। जांच दल द्वारा प्रस्तुत किए गए आरोप पत्र में मदनी को उन लोगों में भी शामिल बताया गया, जिन्होंने दंगों के दौरान 18 मुस्लिमों को मरवाया था। केरल पुलिस ने इससे पहले 31 मार्च, 1998 को भी मदनी को गिरफ्तार किया था। उस समय केरल में वाम लोकतांत्रिक मोर्चा का शासन था। यह गिरफ्तारी मदनी द्वारा 1992 में कोझिकोड में भड़काऊ भाषण देने के लिए की गई थी। तभी से वह जेल में है। केरल पुलिस के अनुसार मदनी के खिलाफ 24 और मामले भी हैं।7 जुलाई, 1998 को जब कोयम्बटूर न्यायालय द्वारा मदनी को जमानत पर रिहा करने की घोषणा की गई थी, तब तमिलनाडु पुलिस ने राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के अन्तर्गत मदनी की कैद बरकरार रखी। कानून का रास्ता बंद होते देख मदनी की पार्टी और उसके परिवार वाले राजनीति का रास्ता खोज रहे हैं। मदनी की रिहाई का मामला तब ज्यादा गरमाया जब गत सितम्बर में मदनी के राजनीतिक समर्थकों ने मदनी को रिहा न करने का कारण सत्तासीन सरकार के विरुद्ध आंदोलन शुरू करने का फैसला किया था। मुख्यमंत्री ए.के. एंटोनी का घेराव भी किया गया था। लगता है पीडीपी की राजनीतिक चाल सफल होती दिखाई दे रही है, क्योंकि अब मदनी की रिहाई की मांग सत्ता के गलियारों से उठने लगी है।5
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